विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (बिहार 2025): UPSC के दृष्टिकोण से विश्लेषण
🖋 By
Suryavanshi IAS | समसामयिक
घटनाएँ | राजनीति एवं शासन |
संविधान
प्रसंग
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने
अक्टूबर 2025 में प्रस्तावित बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान शुरू किया है। आयोग का उद्देश्य एक त्रुटिहीन और अद्यतन
मतदाता सूची तैयार करना है ताकि लोकतंत्र की मूल आत्मा — स्वतंत्र, निष्पक्ष
और समावेशी चुनाव — को मजबूती दी जा सके। यह विषय UPSC Prelims और Mains दोनों के लिए प्रासंगिक है।
संवैधानिक
और वैधानिक आधार
प्रावधान |
महत्व |
अनुच्छेद 326 |
भारत के नागरिकों को बिना भेदभाव के सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की गारंटी देता है |
अनुच्छेद 324 |
चुनाव आयोग को भारत में चुनावों की
देखरेख, नियंत्रण और संचालन की शक्ति देता है |
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 |
मतदाता सूची तैयार करने और पात्रता
निर्धारण के लिए विधिक आधार |
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 |
चुनाव प्रक्रिया का विस्तृत प्रावधान, जिसमें मतदाता
अपात्रता की स्थिति शामिल है |
वास्तविक
आंकड़े (2025 की स्थिति)
- बिहार की
प्रारंभिक मतदाता सूची में कुल मतदाता:
7.90 करोड़
- 2003 की
मतदाता सूची में पंजीकृत व्यक्ति:
4.96 करोड़
- अनुमानित मृत/प्रवासी: 1.8 करोड़
(The Hindu Data Point अनुमान)
- 2003 से
शेष जीवित निवासी मतदाता:
लगभग 3.16 करोड़
- नए दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता वाले संभावित मतदाता: 4.74 करोड़
मुख्य
उद्देश्य
- विश्वसनीयता:
मृतक/प्रवासी/ग़ैर-नागरिक हटाना
- समावेशन:
सभी पात्र नागरिकों को सूची में
जोड़ना
- पारदर्शिता:
आधारभूत दस्तावेजों के माध्यम से
सत्यापन
- चुनाव पूर्व तैयारियाँ:
विधानसभा चुनावों से पूर्व सूची को
अपडेट करना
प्रमुख
समस्याएँ और जोखिम
1. दस्तावेजों की अनुपलब्धता
- बिहार में
बर्थ रजिस्ट्रेशन कवरेज केवल 60% के
आसपास (2019 Civil Registration
System Report)
- ग्रामीण क्षेत्रों में मैट्रिक
प्रमाणपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस या पैन कार्ड
की पहुँच सीमित
- आयोग द्वारा
आधार और राशन कार्ड को अमान्य घोषित करना गरीबों
के लिए बाधा
2. समयसीमा की कठोरता
- केवल
1 महीने
में नाम जोड़ने की प्रक्रिया पूरी
करनी होगी
- दावे और आपत्तियों के लिए केवल
अतिरिक्त 1 महीना
- इतनी कम अवधि में
ग्रामीण, प्रवासी
और अल्पसाक्षर वर्ग
तैयारी नहीं कर पाएँगे
3. मतदाता अधिकार का उल्लंघन
- गलत अपात्रता या दस्तावेज़ न होने पर पात्र मतदाता भी बाहर हो सकते हैं, जो
अनुच्छेद 326 का अतिक्रमण होगा
- "One person, one vote" सिद्धांत
की मूल भावना पर संकट
UPSC अभ्यर्थियों के लिए दृष्टिकोण और लिंकिंग पॉइंट्स
पेपर |
विषय |
उत्तर
में कैसे जोड़ें |
GS Paper II |
चुनाव आयोग की भूमिका, नीति कार्यान्वयन
में समावेशिता |
केस स्टडी के रूप में बिहार का उदाहरण
दें |
GS Paper I (Society) |
सामाजिक न्याय, हाशियाकरण |
चुनाव में वंचित वर्गों की भागीदारी
बाधित होना |
GS Paper IV |
नैतिक शासन, संवैधानिक नैतिकता |
निष्पक्षता बनाम प्रशासनिक लापरवाही |
Essay Paper |
लोकतंत्र, भागीदारी, संस्थागत विश्वास |
“Democracy is only as strong as
its weakest voter.” जैसे उद्धरण के साथ |
संभावित
समाधान और सुझाव
- समयसीमा बढ़ाई जाए
— ताकि हाशियाई वर्ग को तैयारी का
अवसर मिले
- आधार और राशन कार्ड को स्वीकार्य दस्तावेज़ माना जाए
- जमीनी स्तर पर अभियान चलाकर जागरूकता और सहायता
- 2029 के
आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर पुनरीक्षण
- IT प्रणाली
का उपयोग कर प्रवासी मतदाताओं को ट्रैक करें
निष्कर्ष
मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की
बुनियाद है। अगर एक भी पात्र नागरिक वोट देने से वंचित होता है, तो वह केवल व्यक्तिगत
अधिकार का हनन नहीं, बल्कि
लोकतंत्र पर सवाल है। आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि त्रुटि सुधार की
प्रक्रिया स्वयं नया अन्याय
न बन जाए।
Suryavanshi
IAS – जहाँ UPSC की
तैयारी होती है समझदारी से
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