The 14th Dalai Lama at 90: Religion, Reincarnation and Realpolitik
14वें दलाई लामा के 90 वर्ष: धर्म, पुनर्जन्म और भू-राजनीति
By : Suryavanshi IAS
🕉️ Introduction: A Legacy at a Crossroads
परिचय: एक परंपरा मोड़ पर
2025 में 14वें दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो ने 90वां जन्मदिन मनाया। इस वर्षगांठ को खास बनाता है उनका घोषणा करना कि वे अपने उत्तराधिकारी की योजना की घोषणा करेंगे।
इससे पहले, 2 जुलाई 2025 को उन्होंने पुष्टि की कि 600 साल पुरानी यह परंपरा उनके बाद भी जारी रहेगी।
👉 यह न केवल धार्मिक महत्व का विषय है, बल्कि भारत-चीन संबंध, धार्मिक स्वतंत्रता, शरणार्थी नीति, और हिमालयी क्षेत्र की राजनीति से भी जुड़ा है — इसलिए UPSC GS-1, GS-2 और Essay पेपर के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
👤 **Who is the Dalai Lama?
दलाई लामा कौन हैं?**
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नाम: ल्हामो थोन्डुप (Lhamo Thondup)
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धार्मिक नाम: तेनज़िन ग्यात्सो (Tenzin Gyatso)
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जन्म: 1935, अमदो, तिब्बत
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गद्दी पर बैठना: 1940
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भारत आगमन: 1959, ल्हासा विद्रोह के बाद
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वर्तमान निवास: धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश (Little Lhasa)
🛕 **The Institution of Dalai Lama
दलाई लामा की परंपरा**
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‘दलाई लामा’ का अर्थ: "बुद्धि का महासागर" (Ocean of Wisdom)
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इन्हें अवलोकितेश्वर (करुणा के बोधिसत्व) का पुनर्जन्म माना जाता है
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16वीं सदी में मंगोल शासक अल्तान खान ने तीसरे अवतार सोनाम ग्यात्सो को यह उपाधि दी
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यह परंपरा पुनर्जन्म (Reincarnation) पर आधारित है
👶 अगला दलाई लामा उस बच्चे को माना जाता है जो पूर्व लामा की वस्तुओं की पहचान कर लेता है और पारंपरिक चिन्हों को धारण करता है
🗺️ **India and the Dalai Lama
भारत और दलाई लामा का संबंध**
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1959 में भारत ने उन्हें शरण (asylum) दी
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धर्मशाला में उन्होंने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की स्थापना की
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भारत ‘वन चाइना पॉलिसी’ को मानता है और तिब्बत को चीन का हिस्सा मानता है
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लेकिन भारत में दलाई लामा को धार्मिक स्वतंत्रता है
📌 यह संतुलन भारत की रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) का उदाहरण है — UPSC GS-2 में अत्यंत प्रासंगिक
✋ **Middle Way Approach
मध्य मार्ग नीति**
दलाई लामा का प्रस्ताव:
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चीन के भीतर स्वायत्तता (Autonomy within China)
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संस्कृति, धर्म, भाषा और पारिस्थितिकी की रक्षा
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राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं, लेकिन वास्तविक आत्मनिर्णय (Genuine Self-rule)
🔁 **Succession Crisis
उत्तराधिकार संकट**
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चीन चाहता है कि अगला दलाई लामा चीन में जन्मे और उसकी स्वीकृति से बने
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दलाई लामा ने कहा कि:
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उनका पुनर्जन्म भारत या किसी स्वतंत्र देश में होगा
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उत्तराधिकारी का चुनाव Gaden Phodrang Trust द्वारा होगा
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चीन का इसमें कोई भूमिका नहीं होगी
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⚠️ इससे भविष्य में दो प्रतिस्पर्धी दलाई लामा हो सकते हैं — एक चीन समर्थित और दूसरा तिब्बती निर्वासित समुदाय द्वारा मान्य
🗂️ Timeline in Brief (संक्षिप्त समयरेखा)
वर्ष | घटना |
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1270 | कुबलई खान ने बौद्ध गुरु को तिब्बत सौंपा |
1640 | गेलुग्पा (पीली टोपी) संप्रदाय का प्रभुत्व |
1904 | यंगहसबैंड अभियान: ब्रिटिश हस्तक्षेप |
1950 | चीन की PLA तिब्बत में घुसी |
1959 | दलाई लामा भारत आए, धर्मशाला में बसे |
2011 | दलाई लामा ने राजनीतिक भूमिका छोड़ी |
2025 | उत्तराधिकारी की घोषणा की पुष्टि |
🌏 **International Significance
अंतरराष्ट्रीय महत्व**
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दलाई लामा अहिंसा और करुणा के प्रतीक हैं
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उनका उत्तराधिकारी तय करना धर्म और भू-राजनीति दोनों में विवाद का कारण बन सकता है
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यह भारत की चीन नीति, सीमा सुरक्षा और नैतिक कूटनीति पर भी असर डालता है
📝 **UPSC Exam Relevance
यूपीएससी परीक्षा में प्रासंगिकता**
✅ GS-1 (History & Culture):
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बौद्ध धर्म, तिब्बती परंपराएं
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पुनर्जन्म की धारणाएं और धार्मिक परंपराएं
✅ GS-2 (IR & Polity):
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भारत-चीन संबंध
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शरण नीति और वन चाइना पॉलिसी
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निर्वासित सरकारों की स्थिति
✅ Essay Topics (निबंध विषय):
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“Spiritual Institutions and Political Power”
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“Tibet and the Himalayan Question”
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“Asylum and Diplomacy: India’s Balancing Act”
✅ Previous UPSC Questions (with links)
GS-1 (2020):
How Indian traditions have influenced art and architecture?
🧠 उत्तर में तिब्बती विहार, नालंदा परंपरा, और धर्मशाला स्थित तिब्बती मंदिरों का उदाहरण दें
GS-2 (2018):
Discuss the measures India and China have taken to manage their border disputes.
🧠 उत्तर में तिब्बत मुद्दे, दलाई लामा की शरण और चीन की प्रतिक्रिया का विश्लेषण करें
🙏 **Conclusion: A Spiritual Future at Stake
निष्कर्ष: भविष्य की आत्मा दांव पर**
दलाई लामा का 90वां वर्ष सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक मोड़ है।
उनका उत्तराधिकारी कौन और कहां होगा — इससे न केवल धर्म, बल्कि भारत-चीन संबंध, तिब्बती अस्मिता, और वैश्विक धर्मनिरपेक्षता की दिशा तय होगी।
👁️ UPSC अभ्यर्थियों के लिए, यह विषय इतिहास, भू-राजनीति, धर्म और कूटनीति के संगम का बेहतरीन उदाहरण है।
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