एम. एस. स्वामीनाथन: भारत के कृषि क्रांति के जनक और खाद्य सुरक्षा के प्रहरी
परिचय
भारत के सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन (1925–2023) की जन्म शताब्दी देश भर में बड़े स्तर पर मनाई जा रही है। यह अवसर केवल एक वैज्ञानिक को श्रद्धांजलि नहीं है, बल्कि उस परिवर्तन का प्रतीक है जिसने भारत को खाद्यान्न की कमी वाले देश से आत्मनिर्भर कृषि राष्ट्र में बदल दिया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 1960 के पहले भारत की खाद्य स्थिति
-
आज़ादी के बाद भारत में बार-बार अकाल और खाद्यान्न संकट उत्पन्न होते रहे।
-
1950–60 के दशक में भारत को PL-480 योजना के तहत अमेरिका से गेहूं आयात करना पड़ता था।
-
कृषि उत्पादन वर्षा पर निर्भर था और पैदावार बहुत कम थी।
-
इस स्थिति को बदलने के लिए वैज्ञानिक समाधान की आवश्यकता थी।
डॉ. स्वामीनाथन का योगदान: हरित क्रांति के सूत्रधार
🌾 1. हरित क्रांति के अगुआ
-
डॉ. स्वामीनाथन ने नॉर्मन बोरलॉग के साथ मिलकर भारत में उच्च उपज वाली किस्मों (HYVs) का प्रचार किया।
-
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में HYV गेहूं (जैसे सोनारा 64) का प्रयोग किया गया।
-
परिणाम: भारत की गेहूं उत्पादन क्षमता 1970 तक दोगुनी हो गई।
📊 2. नीति निर्धारण और संस्थान निर्माण
-
राष्ट्रीय किसान आयोग (2004–06) के अध्यक्ष रहे।
-
MSP = C2 लागत + 50% लाभ देने की सिफारिश की, जो आगे चलकर सरकारी नीतियों में शामिल हुआ (PM-AASHA)।
-
छोटे किसानों, महिला किसानों और स्थायी खेती पर ज़ोर दिया।
🌱 3. 'एवरग्रीन रेवोल्यूशन' के जनक
-
हरित क्रांति के पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए डॉ. स्वामीनाथन ने ‘एवरग्रीन क्रांति’ की संकल्पना दी – उत्पादन बढ़ाओ, लेकिन प्रकृति की रक्षा के साथ।
-
जैविक खेती, स्थानीय बीज, पारिस्थितिक संतुलन और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया।
🏛️ 4. संस्थानों की स्थापना
-
एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) की स्थापना की – जिसमें जैव गांव, पोषण सुरक्षा, जलवायु अनुकूल खेती पर कार्य होता है।
-
ICAR, IFFCO और जीन बैंक जैसी संस्थाओं के विकास में योगदान।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए प्रमुख विषय
विषय | GS पेपर | प्रासंगिकता |
---|---|---|
खाद्य सुरक्षा | GS3 – अर्थव्यवस्था, कृषि | पोषण, भंडारण, वितरण नीति |
सतत कृषि | GS3 – पर्यावरण | जैव विविधता, जल संरक्षण |
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी | GS3 – S&T का उपयोग | HYV, ICT, जैवप्रौद्योगिकी |
महिला सशक्तिकरण | GS2 – शासन | महिला किसान अधिकार |
नीति और संस्थान | GS2 – कल्याण योजनाएं | किसान आयोग, MSP सुधार |
आज के भारत पर प्रभाव
-
भारत गेहूं और चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है।
-
उनकी सोच से प्रेरित योजनाएँ: PM-KISAN, eNAM, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)।
-
"शून्य भूख भारत" के विचार को पोषण अभियान, मिड-डे मील और रसोई बगानों से बल मिला।
📘 NCERT लिंक: टेबल फॉर्मेट
📚 NCERT कक्षा/विषय 🔍 प्रमुख बिंदु 📝 डॉ. स्वामीनाथन से संबंध कक्षा 9 – अर्थशास्त्र (अध्याय 1) HYV बीज, सिंचाई, कृषि उत्पादन हरित क्रांति के सूत्रधार, HYV गेहूं का प्रसार कक्षा 11 – भूगोल (भारत: कृषि अध्याय) फसलों का वितरण, क्षेत्रीय असंतुलन Evergreen Revolution का विचार – संतुलित कृषि विकास कक्षा 12 – जीव विज्ञान (बायोटेक्नोलॉजी) GM फसलें, पोषण संवर्धित अनाज MSSRF द्वारा जैव गाँव, पोषक कृषि की वकालत
📚 NCERT कक्षा/विषय | 🔍 प्रमुख बिंदु | 📝 डॉ. स्वामीनाथन से संबंध |
---|---|---|
कक्षा 9 – अर्थशास्त्र (अध्याय 1) | HYV बीज, सिंचाई, कृषि उत्पादन | हरित क्रांति के सूत्रधार, HYV गेहूं का प्रसार |
कक्षा 11 – भूगोल (भारत: कृषि अध्याय) | फसलों का वितरण, क्षेत्रीय असंतुलन | Evergreen Revolution का विचार – संतुलित कृषि विकास |
कक्षा 12 – जीव विज्ञान (बायोटेक्नोलॉजी) | GM फसलें, पोषण संवर्धित अनाज | MSSRF द्वारा जैव गाँव, पोषक कृषि की वकालत |
🗞️ करेंट अफेयर्स लिंक: टेबल फॉर्मेट
🗓️ विषय 🧭 मुख्य बिंदु 💡 स्वामीनाथन का दृष्टिकोण/प्रभाव राष्ट्रीय किसान आयोग (2006) MSP = C2 + 50%, महिला किसान अधिकार किसान हितैषी मूल्य नीति, समावेशी कृषि सुधार NFSA 2013 खाद्य वितरण, पोषण, PDS "Food Security = पोषण + पहुंच + स्थायित्व" का विचार SDG-2 (Zero Hunger) 2030 तक भूख मिटाना “Zero Hunger India” मिशन और भूख मुक्त भारत PM-AASHA, PM-KISAN फसल मूल्य सुरक्षा, नकद सहायता किसान सम्मान, मूल्य स्थिरता – आयोग की सिफारिशों से प्रेरित Global Hunger Index Reports भारत की गिरती रैंकिंग पोषण सुरक्षा की उपेक्षा पर स्वामीनाथन की चेतावनी
🗓️ विषय | 🧭 मुख्य बिंदु | 💡 स्वामीनाथन का दृष्टिकोण/प्रभाव |
---|---|---|
राष्ट्रीय किसान आयोग (2006) | MSP = C2 + 50%, महिला किसान अधिकार | किसान हितैषी मूल्य नीति, समावेशी कृषि सुधार |
NFSA 2013 | खाद्य वितरण, पोषण, PDS | "Food Security = पोषण + पहुंच + स्थायित्व" का विचार |
SDG-2 (Zero Hunger) | 2030 तक भूख मिटाना | “Zero Hunger India” मिशन और भूख मुक्त भारत |
PM-AASHA, PM-KISAN | फसल मूल्य सुरक्षा, नकद सहायता | किसान सम्मान, मूल्य स्थिरता – आयोग की सिफारिशों से प्रेरित |
Global Hunger Index Reports | भारत की गिरती रैंकिंग | पोषण सुरक्षा की उपेक्षा पर स्वामीनाथन की चेतावनी |
🔑 UPSC उत्तर लेखन के लिए टूलकिट
🧠 कैटेगरी 🛠️ उपयोग कीजिए इन टर्म्स को सिद्धांत/दृष्टिकोण Evergreen Revolution, Zero Hunger India, Bio-village नीति/रिफॉर्म National Farmer Commission, Nutritional Security टिप्पणी/उद्धरण "If agriculture goes wrong, nothing else will have a chance to go right." वर्तमान नीतियाँ PM-AASHA, NFSA, PM-KISAN, eNAM
🧠 कैटेगरी | 🛠️ उपयोग कीजिए इन टर्म्स को |
---|---|
सिद्धांत/दृष्टिकोण | Evergreen Revolution, Zero Hunger India, Bio-village |
नीति/रिफॉर्म | National Farmer Commission, Nutritional Security |
टिप्पणी/उद्धरण | "If agriculture goes wrong, nothing else will have a chance to go right." |
वर्तमान नीतियाँ | PM-AASHA, NFSA, PM-KISAN, eNAM |
आगे की राह: स्वामीनाथन की दृष्टि से सीख
✅ उत्पादन के साथ पर्यावरण संतुलन
✅ सीमांत किसानों और महिलाओं का सशक्तिकरण
✅ तकनीक का समावेशी उपयोग
✅ कृषि में नवाचार
✅ मूल्य आधारित नीति निर्माण
निष्कर्ष
डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन का जीवन विज्ञान, सेवा और स्थायित्व का आदर्श है। उन्होंने भारत को खाद्य संकट से उबार कर एक पोषण-सुरक्षित और किसान-केन्द्रित कृषि व्यवस्था की नींव रखी। आज जब भारत किसानों की आय दोगुनी करने और SDG-2 (Zero Hunger) की दिशा में बढ़ रहा है, तब स्वामीनाथन की सोच पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
याद रखने योग्य कथन (Essay / Ethics के लिए):
“अगर कृषि गलत दिशा में जाएगी, तो कुछ भी सही दिशा में नहीं जा सकता।” – एम. एस. स्वामीनाथन
No comments:
Post a Comment