होम रूल आंदोलन (1916–1918)
📖 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
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1905 में बंगाल का विभाजन हुआ, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया।
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स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन (1905–1908) के बाद राष्ट्रवादियों ने उग्र रुख अपनाया।
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1907 में कांग्रेस में विभाजन हुआ:
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उदारवादी (Moderates): ब्रिटिश शासन से संवाद और सुधार चाहते थे।
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उग्रवादी (Extremists): सीधे स्वराज की मांग करते थे।
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सरकार ने उग्र क्रांतिकारियों और नेताओं पर कड़ा दमन किया, जिससे राजनीतिक गतिविधियाँ धीमी पड़ गईं।
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इसी दौरान प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) शुरू हो गया। ब्रिटेन ने भारत से सैनिक और संसाधन मांगे। बदले में भारतीय नेताओं ने स्वशासन (Self-Government) की मांग की।
🔥 होम रूल आंदोलन के कारण
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ब्रिटिश शासन से असंतोष: भारत में भारतीयों को निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं था।
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कांग्रेस का विभाजन (1907): आंदोलन कमज़ोर हो गया था।
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प्रथम विश्व युद्ध: भारत ने युद्ध में मदद की, अब बदले में अधिकार चाहता था।
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आयरलैंड के होम रूल आंदोलन से प्रेरणा: भारत में भी वैसा ही स्वशासन चाहिए था।
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राष्ट्रीय नेताओं का दमन: नेताओं को गिरफ्तार किया गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगी — नई रणनीति की ज़रूरत थी।
👥 मुख्य नेता
नेता | क्षेत्र | विवरण |
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बाल गंगाधर तिलक | महाराष्ट्र, कर्नाटक | “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” का नारा दिया। उन्होंने पश्चिमी भारत में आंदोलन को तेज़ किया। |
ऐनी बेसेंट | मद्रास (दक्षिण भारत) | एक ब्रिटिश महिला, थियोसोफिस्ट और समाज सुधारक थीं। उन्होंने दक्षिण भारत में आंदोलन को लोकप्रिय बनाया और New India समाचार पत्र शुरू किया। |
🏛️ होम रूल लीग की स्थापना
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तिलक की लीग:
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नाम: इंडियन होम रूल लीग
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स्थापना: अप्रैल 1916
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क्षेत्र: महाराष्ट्र, मध्य प्रांत, कर्नाटक
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ऐनी बेसेंट की लीग:
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स्थापना: सितंबर 1916
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क्षेत्र: मद्रास और बाकी भारत
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उन्होंने New India और Commonweal पत्रिकाएं शुरू कीं।
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📢 मांग और तरीके
🔶 मुख्य मांग:
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ब्रिटिश शासन के अधीन स्वशासन (Home Rule) — जैसा कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को मिला था।
🟢 प्रमुख तरीके:
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भाषण, सभाएं, लेक्चर
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समाचार पत्र, पैम्फलेट
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लीग की स्थानीय शाखाएं
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अहिंसक और संवैधानिक तरीके
💥 ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया
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पहले तो उन्होंने आंदोलन को नजरअंदाज किया, लेकिन जब यह तेजी से बढ़ा तो घबरा गए।
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1917 में ऐनी बेसेंट को गिरफ्तार कर लिया गया — इसका देशभर में विरोध हुआ।
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इससे आंदोलन को और समर्थन मिला।
📆 महत्वपूर्ण घटनाएं (कालक्रमानुसार)
वर्ष | घटना |
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1914 | विश्व युद्ध की शुरुआत। भारत को आशा थी कि युद्ध के बदले अधिकार मिलेंगे। |
1916 | तिलक ने अपनी होम रूल लीग शुरू की। |
1916 | ऐनी बेसेंट ने अपनी लीग शुरू की। |
1916 | लखनऊ समझौता: कांग्रेस (उदारवादी + उग्रवादी) और मुस्लिम लीग का समझौता। |
1917 | ऐनी बेसेंट की गिरफ्तारी। आंदोलन अपने चरम पर। |
अगस्त 1917 | मोंटेग्यू घोषणा: ब्रिटिश सरकार ने भारत को धीरे-धीरे स्वशासन देने का वादा किया। |
1918 | आंदोलन धीमा पड़ा (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के कारण) |
🌟 होम रूल आंदोलन का प्रभाव
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राष्ट्रीयता का पुनर्जागरण: कई वर्षों की चुप्पी के बाद राजनीति में जान आई।
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राजनीतिक एकता: कांग्रेस के दोनों गुटों (उदारवादी और उग्रवादी) में फिर से मेल हुआ।
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जन भागीदारी: मध्यम वर्ग, विद्यार्थी, वकील, महिलाएं भी शामिल होने लगे।
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ब्रिटिश सरकार पर दबाव: मोंटेग्यू द्वारा 1917 में स्वशासन का वादा किया गया।
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आगे के आंदोलनों की नींव: गांधी जी के असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह के लिए ज़मीन तैयार हुई।
🧠 निष्कर्ष (Conclusion)
होम रूल आंदोलन (1916–1918) भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ था। यह शांतिपूर्ण, संगठित और प्रभावशाली आंदोलन था जिसने स्वशासन की मांग को राष्ट्रव्यापी बना दिया। भले ही यह आंदोलन अपने लक्ष्य को तुरंत न पा सका, लेकिन इसने भविष्य के जनांदोलनों के लिए रास्ता खोल दिया।
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