अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ भारत का निर्यात प्रोत्साहन मिशन
सूर्यवंशी आईएएस
द्वारा
परिचय
अमेरिका द्वारा
भारतीय
निर्यात
पर बढ़े
टैरिफ के
बाद
भारत
सरकार
अपने निर्यात
प्रोत्साहन मिशन
(EPM) को
और
अधिक
लक्षित
बना
रही
है।
यह
कदम
भारत
की वैश्विक
आर्थिक चुनौतियों
के प्रति
अनुकूलनीय व्यापार
नीति को
दर्शाता
है, जो यूपीएससी
अभ्यर्थियों के
लिए अंतर्राष्ट्रीय
व्यापार, आर्थिक
नीतियों और
एमएसएमई विकास का
एक
महत्वपूर्ण
टॉपिक
है।
निर्यात प्रोत्साहन
मिशन में
बदलाव क्यों?
अमेरिका ने
भारत
के
प्रमुख
निर्यात
उत्पादों
पर
टैरिफ
बढ़ाए
हैं, जिनमें
शामिल
हैं:
- कपड़ा
एवं
वस्त्र
उद्योग
- झींगा
एवं
समुद्री
भोजन
निर्यात
- कार्बनिक
रसायन
- मशीनरी
एवं
यांत्रिक
उपकरण
इसके प्रभाव
को
कम
करने
के
लिए
सरकार EPM
को क्षेत्र-विशेष बना
रही
है, जिसमें
शामिल
हैं:
एमएसएमई के
लिए सस्ता
ऋण (प्रभावित
क्षेत्रों
में)
निर्यात स्वीकृति
प्रक्रिया में
तेजी
निर्यात प्रोत्साहन (चर्चा
के
अंतर्गत)
संशोधित निर्यात
प्रोत्साहन मिशन
की मुख्य
विशेषताएं
- एमएसएमई
के
लिए
क्रेडिट
गारंटी
- सरकार ₹100
करोड़
तक
के
ऋण
गारंटी
योजना को
निर्यात-उन्मुख
एमएसएमई पर
केंद्रित कर
रही है।
- इससे
छोटे निर्यातकों
को तरलता
सुविधा
और
कम
ब्याज
दर मिलेगी।
- मंत्रालयों
के
बीच
समन्वय
- वाणिज्य,
वित्त, एमएसएमई,
कपड़ा
और
मत्स्य
पालन
मंत्रालय मिलकर
काम करेंगे।
- नौकरशाही
की
बाधाओं
को
दूर
करने पर
ध्यान दिया
जाएगा।
- गैर-टैरिफ
बाधाओं
से
निपटना
- भारतीय
निर्यातकों को वैश्विक
मानकों
(जैसे
FDA, EU नियम) का
पालन करने
में मदद
मिलेगी।
- बजट
2025-26
में इस
मिशन के
लिए ₹2,250 करोड़ आवंटित
किए गए
हैं।
- उद्योगों
के
साथ
परामर्श
- निर्यातकों
से नियमित
फीडबैक लेकर
नीतियों को
व्यावहारिक बनाया
जा रहा
है।
- ग्रांट
थॉर्नटन
भारत जैसी
संस्थाएं सरकार-उद्योग
सहयोग की
पुष्टि करती
हैं।
भारत की
व्यापार नीति
के लिए
महत्व
- बाजार
विविधीकरण: अमेरिका
पर निर्भरता
कम कर EU,
अफ्रीका
और
लैटिन
अमेरिका को
नए बाजार
के रूप
में विकसित
करना।
- आत्मनिर्भर
भारत
से
जुड़ाव: एमएसएमई
को मजबूत
कर निर्यात
बढ़ाना।
- वैश्विक
व्यापार
में
लचीलापन: भविष्य
में ट्रेड
वॉर
और
संरक्षणवादी
नीतियों से
निपटने की
तैयारी।
आगे की
चुनौतियाँ
- डब्ल्यूटीओ
नियम: निर्यात
प्रोत्साहन योजनाएँ विश्व
व्यापार
संगठन
के
सब्सिडी
नियमों का
उल्लंघन न
करें।
- कार्यान्वयन
में
देरी: नौकरशाही
धीमी गति
से राहत
उपायों को
लागू कर
सकती है।
- वैश्विक
प्रतिस्पर्धा:
कपड़ा और
समुद्री उत्पादों
में वियतनाम,
बांग्लादेश से
प्रतिस्पर्धा।
यूपीएससी के
लिए प्रासंगिक
आयाम
अर्थव्यवस्था (जीएस-III)
- अमेरिकी
टैरिफ
का
भारत
के
व्यापार
घाटे
पर
प्रभाव
- एमएसएमई
का
निर्यात
विकास
में
योगदान
- क्रेडिट
गारंटी
योजनाएँ
और
उनकी
प्रभावशीलता
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
(जीएस-II)
- भारत-अमेरिका
व्यापार
संबंध
- डब्ल्यूटीओ
नियम
और
भारत
की
निर्यात
नीतियाँ
सरकारी योजनाएँ
(जीएस-II
& III)
- निर्यात
प्रोत्साहन
मिशन
(बजट
2025-26)
- एमएसएमई
ऋण
गारंटी
योजना
में
सुधार
निष्कर्ष: आगे
की राह
भारत का
संशोधित निर्यात
प्रोत्साहन मिशन वैश्विक
चुनौतियों
के
खिलाफ
एक सक्रिय
कदम है।
यूपीएससी
अभ्यर्थियों
के
लिए
यह
समझना
जरूरी
है
कि
यह
नीति आर्थिक
कूटनीति, अनुकूली
शासन और
एमएसएमई सशक्तिकरण को
दर्शाती
है।
मुख्य संदेश: भारत
को तात्कालिक
राहत उपायों और दीर्घकालिक
निर्यात प्रतिस्पर्धा के
बीच
संतुलन
बनाना
होगा।
ऐसे ही
गहन विश्लेषण
के लिए
सूर्यवंशी आईएएस
को फॉलो
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