सुरोगेसी : नीति, नैतिकता और शासन की विफलता
✍️ सूर्यवंशी IAS ब्लॉग विशेष – UPSC दृष्टिकोण से विश्लेषण
➡️ भूमिका
2024 में राजस्थान से एक दंपति आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया के लिए तेलंगाना के सिकंदराबाद पहुँचा। एक क्लिनिक ने उन्हें सुरोगेसी के लिए मना लिया और 30 लाख रुपये लेकर एक बच्चा सौंपा। बाद में डीएनए परीक्षण से पता चला कि बच्चा उनका जैविक संतान नहीं था। इस घटना ने चिकित्सा व्यवस्था, नैतिकता, और शासन की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
➡️ घटना का सारांश
दंपति को यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर द्वारा सुरोगेसी की सलाह दी गई।
30 लाख रुपये में बच्चा देने का वादा किया गया।
डीएनए परीक्षण में पाया गया कि बच्चा जैविक रूप से उनका नहीं है।
क्लिनिक की मालिक डॉ. नम्रता फरार हो गईं।
पुलिस ने जांच कर सुरोगेसी के नाम पर एक बच्चे की खरीद-बिक्री रैकेट का पर्दाफाश किया।
➡️ कानूनी पक्ष
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धाराओं के तहत:
षड्यंत्र (धारा 61),
धोखाधड़ी (धारा 316),
झूठे दस्तावेज़ (धारा 336), आदि के अंतर्गत मामला दर्ज किया।
साथ ही सुरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021 की धाराएँ:
धारा 38, 39, 40 के तहत दोषी ठहराया गया।
➡️ नैतिक और सामाजिक प्रश्न
क्या प्रजनन तकनीक के नाम पर मानव व्यापार हो रहा है?
क्या गरीब महिलाओं को लालच देकर शोषण किया जा रहा है?
क्या डॉक्टरों द्वारा 'विश्वास' और 'वैज्ञानिक प्रक्रिया' की आड़ में नैतिकता से समझौता हो रहा है?
➡️ नियामक विफलताएं
बिना लाइसेंस क्लिनिक दो साल से चल रहा था।
पूर्व में डॉ. नम्रता का लाइसेंस निलंबित किया गया था, फिर भी उन्होंने काम जारी रखा।
Indian Sperm Tech नाम की संस्था भी बिना पंजीकरण चल रही थी।
➡️ सुरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021
केवल परोपकारी (altruistic) सुरोगेसी की अनुमति।
व्यावसायिक सुरोगेसी प्रतिबंधित।
केवल पंजीकृत क्लिनिक में प्रक्रियाएँ हो सकती हैं।
अपराध सिद्ध होने पर 10 वर्ष तक की सजा और ₹10 लाख तक जुर्माना।
➡️ UPSC दृष्टिकोण
📌 प्रश्न (GS Paper II - शासन और नीति): "सुरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में नैतिकता और पारदर्शिता की आवश्यकता को कैसे दर्शाता है?"
📌 प्रश्न (GS Paper IV - नैतिकता): "आप एक डॉक्टर हैं और एक जोड़ा आपकी क्लिनिक में बच्चा पाने के लिए आता है। एक दलाल आपको पैसे के बदले में गैरकानूनी तरीके से भ्रूण देने का प्रस्ताव करता है। आप क्या करेंगे?" - (Case Study)
➡️ सड़क आगे (Way Forward)
✅ सभी फर्टिलिटी क्लीनिक का पंजीकरण और नियमित ऑडिट।
✅ RI Witness जैसी तकनीकों का उपयोग – जो नमूनों में गड़बड़ी को रोकती हैं।
✅ गरीब और कमजोर महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज कल्याण विभाग की निगरानी।
✅ नैतिक शिक्षा का चिकित्सा पाठ्यक्रम में समावेश।
✅ नियामक प्राधिकरणों को अधिकारों के साथ जवाबदेह बनाना।
➡️ निष्कर्ष
सुरोगेसी का उद्देश्य किसी भी जोड़े की संतान पाने की आशा को पूरा करना है – न कि इसे एक व्यापारिक अवसर बनाना। भारत जैसे देश में जहां चिकित्सा प्रणाली पर भरोसा ही मुख्य आधार है, वहां ऐसे घोटाले सामाजिक विश्वास को तोड़ते हैं। नीति और नैतिकता दोनों स्तरों पर गहरी पुनर्रचना की आवश्यकता है।
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