पवन ऊर्जा बनाम पक्षी और समुद्री पारिस्थितिकी: भारत के हरित लक्ष्यों के लिए दोधारी तलवार
✍️ Suryavanshi IAS द्वारा | UPSC GS प्रीलिम्स + मेंस GS1, GS3 हेतु उपयुक्त
📌 प्रसंग (Context)
2025 की पहली छमाही में भारत ने 3.5 गीगावाट नई पवन ऊर्जा जोड़ी (82% वार्षिक वृद्धि), जिससे कुल स्थापित क्षमता 51.3 GW हो गई। परंतु, हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा किए गए अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है कि भारत के थार रेगिस्तान में स्थित पवन चक्कियों से विश्व में सबसे अधिक पक्षी मृत्यु दर देखी गई है।
🗂️ UPSC पाठ्यक्रम के अनुसार प्रासंगिकता
पेपर | विषय | प्रासंगिकता |
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प्रीलिम्स GS | पर्यावरण, पारिस्थितिकी | नवीकरणीय ऊर्जा, जैव विविधता पर प्रभाव |
मेंस GS1 | संसाधनों का वितरण, भूगोल | थार रेगिस्तान, पवन ऊर्जा क्षेत्र, तटीय पारिस्थितिकी |
मेंस GS3 | पर्यावरण, संरक्षण, जलवायु परिवर्तन | EIA, टिकाऊ विकास, जैव विविधता पर प्रभाव |
🔍 अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
🌵 स्थलीय पवन ऊर्जा: थार रेगिस्तान (जैसलमेर, राजस्थान)
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अध्ययन क्षेत्र: 3,000 वर्ग किमी | 900 पवन टरबाइन | 272 पक्षी प्रजातियाँ
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प्रजातियाँ: इनमें अत्यंत संकटग्रस्त 'ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' (Ardeotis nigriceps) भी शामिल
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पद्धति: 90 टरबाइनों के 150 मीटर दायरे में शवों की खोज
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परिणाम: 124 पक्षी शव मिले
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समायोजित मृत्यु दर: 4,464 पक्षी प्रति 1,000 वर्ग किमी प्रति वर्ष
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नियंत्रण स्थल (500-2000 मीटर दूर): कोई शव नहीं → टरबाइन कारण सिद्ध
📊 तुलना:
स्थान | मृत्यु दर |
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कच्छ व दावणगेरे (2019) | 0.47 पक्षी/टरबाइन/वर्ष |
थार (2025) | 1.24 पक्षी/टरबाइन/माह |
🌊 अपतटीय पवन ऊर्जा (Offshore Wind): भविष्य की दिशा या नई चुनौती?
🌐 भारत की अपतटीय क्षमता:
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लक्ष्य: 2030 तक 30 GW
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तटरेखा: 7,600 किमी
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अधिकार क्षेत्र (EEZ): 2.3 मिलियन वर्ग किमी
🌊 खंभात की खाड़ी (गुजरात) – केस स्टडी:
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EIA में दर्ज: डॉल्फ़िन, शार्क, समुद्री सरीसृप
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निर्माण चरण: ध्वनि व गाद से संवेदनशील प्रजातियाँ प्रभावित
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परिचालन चरण: प्रभाव "सीमित" बताया गया
🛑 चिंता: अभी भी अपतटीय परियोजनाओं पर लंबी अवधि के प्रभाव का शोध सीमित
⚠️ पारिस्थितिकीय जोखिम
प्रकार | प्रभाव |
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पक्षी टकराव | ब्लेड तेज गति से घूमते हैं → प्रवासी पक्षियों को ख़तरा |
आवास विखंडन | घोंसले, आवास क्षेत्रों में बाधा |
प्रवासी मार्ग में बाधा | टरबाइन उड़ान में बाधा |
समुद्री ध्वनि प्रदूषण | निर्माण के दौरान डॉल्फ़िन, मछलियों पर प्रभाव |
शव क्षरण व scavenging | अध्ययन में सुधारित आंकड़े इस्तेमाल |
🛠️ समाधान एवं नीति सुझाव
स्रोत | सुझाव |
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BirdLife International | एक ब्लेड को काले रंग से पेंट करना |
जोखिम समय में टरबाइन बंद करना | |
रडार आधारित प्रणाली | |
विशेषज्ञ (Selvaraj) | सबसे प्रभावी – निर्माण पूर्व साइट चयन |
🧾 UPSC प्रीलिम्स में पूछे गए प्रश्नों से संबंध
📌 Prelims GS:
(2020): Carbon nanotubes पर प्रश्न –
📍 Renewable technology व पर्यावरण का समावेश UPSC में महत्त्वपूर्ण
(2016): भारतीय कोयले की विशेषताएँ –
📍 ऊर्जा संसाधन व पर्यावरण का संतुलन पूछना एक प्रवृत्ति रही है
📌 Mains GS:
GS3 – 2021:
"वैकल्पिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के लाभ और भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर उनके प्रभाव स्पष्ट करें।"
✔️ पवन ऊर्जा से जैव विविधता पर प्रभाव – उत्तर में जोड़ें
GS1 – 2020:
"भारत में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के स्थान निर्धारण के कारकों पर चर्चा करें।"
✔️ थार रेगिस्तान केस को उदाहरण रूप में जोड़ें
📚 मुख्य बिंदु (UPSC उत्तरों में प्रयोज्य):
बिंदु | उपयोग |
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Flyway Conflict Zones | भूगोल या पर्यावरण उत्तरों में |
Wind-Energy-Biodiversity Paradox | GS3/निबंध में |
EIA Policy Gaps | व्यावहारिक आलोचना |
Eco-centric vs Tech-centric Growth | निबंध / GS4 दृष्टिकोण |
✅ अभ्यास प्रश्न (UPSC Prelims Pattern)
प्रश्न: भारत की पवन ऊर्जा के संदर्भ में निम्न में से कौन से कथन सही हैं?
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भारत में सभी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए EIA अनिवार्य है।
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अपतटीय पवन परियोजनाओं के लिए EIA आवश्यक है।
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थार रेगिस्तान एक प्रवासी पक्षी मार्ग पर स्थित है।
विकल्प:
a) केवल 1 और 2
b) केवल 2 और 3 ✅
c) केवल 1 और 3
d) 1, 2 और 3
✍️ उत्तर लेखन संरचना (GS3 – Mains)
प्रश्न: "नवीकरणीय ऊर्जा सतत विकास के लिए आवश्यक है, लेकिन इसका पारिस्थितिक पदचिह्न भी ध्यान में रखना चाहिए।" पवन ऊर्जा के संदर्भ में आलोचनात्मक विवेचना करें।
संरचना:
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परिचय: भारत के हरित लक्ष्य और ऊर्जा विस्तार
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मुख्य भाग:
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पक्षियों, पारिस्थितिकी पर प्रभाव
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थार अध्ययन, खंभात केस स्टडी
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नीति खामियाँ (onshore में EIA की कमी, marine शोध की कमी)
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निष्कर्ष: “ऊर्जा और पारिस्थितिकी दोनों का संतुलन ही सतत विकास का मूल है।”
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