भारत, ट्रंप और तेल की राजनीति: जब दबाव बढ़े, तो जवाब मजबूती से देना चाहिए
✍️ सूर्यवंशी IAS | UPSC छात्रों के लिए नीति, दृष्टिकोण और आत्मबल
🛡️ भूमिका: अब चुप नहीं, स्पष्ट संदेश
“भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।”
🔥 पृष्ठभूमि: जब सहयोगी भी शर्तें थोपने लगें
अमेरिका का आरोप:
-
ट्रंप ने कहा कि भारत “बड़ी मात्रा में रूसी तेल बेच रहा है और भारी मुनाफा कमा रहा है”, जबकि रूस यूक्रेन में लोगों को मार रहा है
-
ट्रंप ने 7 अगस्त से भारी टैरिफ (25%+) लगाने की घोषणा की
-
यूरोपीय संघ ने भी भारतीय रिफाइनरी और कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए
भारत का जवाब:
-
पश्चिम खुद रूस से ऊर्जा, खाद, खनिज और स्टील खरीद रहा है
-
भारत की खरीद एक “आवश्यक राष्ट्रीय मजबूरी” है, जबकि उनकी नहीं
-
भारत पर निशाना साधना “अविवेकपूर्ण और अन्यायपूर्ण” है
🔍 UPSC दृष्टिकोण: रणनीतिक स्वायत्तता का परीक्षण
आज की विदेश नीति:
-
ना गुटनिरपेक्षता
-
ना पश्चिमपरस्ती
-
बल्कि, राष्ट्रीय हित आधारित यथार्थवाद
📌 GS-II और निबंध में उपयोगी टर्म्स:
-
रणनीतिक स्वायत्तता
-
बहुध्रुवीय विश्व
-
ऊर्जा सुरक्षा
-
आर्थिक राष्ट्रवाद
-
नियम आधारित व्यवस्था का पक्षपात
⚖️ भारत के पास तीन रणनीतिक विकल्प
✅ विकल्प 1: यथास्थिति बनाए रखें — और सह लें
-
रूसी तेल की खरीद जारी रखें
-
अमेरिका और यूरोप से FTA की कोशिश जारी रखें
-
उम्मीद करें कि दबाव जल्द कम होगा
📌 यह संयमपूर्ण लेकिन साहसी नीति है
🌍 विकल्प 2: पूर्व की ओर झुकाव — नए साझेदार खोजें
-
GCC, EAEU, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड आदि से तेज़ी से समझौते करें
-
ASEAN के साथ AITIGA पुनः negotiate करें
-
RCEP को फिर से विचार करें
📌 पिछले हफ्तों में Piyush Goyal ने ASEAN को “चीन की बी-टीम” कहा था, लेकिन अब परिस्थितियाँ नीति बदल सकती हैं।
🛑 विकल्प 3: प्रतिउत्तर — दबाव का जवाब दबाव से
-
BTIA (EU) और व्यापार/न्यूक्लियर वार्ता (US) को स्थगित करना
-
ईरान और वेनेज़ुएला से फिर से तेल खरीदना
-
ब्रिक्स, गाजा, और पाकिस्तान नीति पर अमेरिका के दोहरे मापदंडों का खुला विरोध
📌 ये आक्रामक परंतु आत्मनिर्भर नीति होगी
🌐 बड़ा सवाल: भारत विश्व व्यवस्था में कहाँ खड़ा है?
क्या भारत एक:
नियम मानने वाला राष्ट्र (Rule-taker)?नियम तोड़ने वाला राष्ट्र (Rule-breaker)?या नियम बनाने वाला राष्ट्र (Rule-maker)?
संदर्भ:
-
गाजा युद्ध बनाम यूक्रेन युद्ध — पश्चिम की दोहरी नैतिकता
-
ट्रंप की “डीलमेकर” शैली — साझेदारी नहीं, दबाव
-
Quad, Indo-Pacific रणनीति का भविष्य अब अनिश्चित दिखता है
📌 Prelims के लिए तथ्यात्मक नोट्स
-
Rosneft क्या है?
-
Vadinar Refinery कहाँ है?
-
CRAMRA क्या है?
-
AITIGA और RCEP के बारे में जानें
-
EAEU सदस्य देश कौन हैं?
✍️ Mains उत्तरलेखन / निबंध दृष्टिकोण
GS-II प्रश्न:
“रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत की ऊर्जा नीति और रणनीतिक स्वायत्तता पर अमेरिका और यूरोप के दबाव का मूल्यांकन कीजिए।” (250 शब्द)
संभावित निबंध विषय:
“अस्थिर मित्रों की दुनिया में, केवल राष्ट्रीय हित ही स्थायी होते हैं।”
🎯 निष्कर्ष: दबाव की राजनीति का उत्तर केवल संकल्प से दिया जा सकता है
भारत स्पष्ट कह चुका है:
“दूसरों की लड़ाई में हमसे कीमत न मांगे — खासकर जब आप खुद अपने हाथ रंगे बैठे हों।”
आज विदेश नीति में धैर्य, दृष्टि और देशप्रेम — तीनों चाहिए।
संघर्ष नहीं, स्वाभिमान की नीति चाहिए। UPSC की तैयारी सिर्फ जानकारी नहीं — दृष्टिकोण भी माँगती है।
No comments:
Post a Comment