बायोचार: एक संभावित कार्बन समाधान
✳️ बायोचार क्या है?
बायोचार एक कार्बन-समृद्ध चारकोल है जो कृषि अवशेष और जैविक ठोस कचरे से बनता है। यह अपशिष्ट प्रबंधन का टिकाऊ विकल्प है और नकारात्मक उत्सर्जन (negative emissions) के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन सकता है।
🔹 बायोचार उत्पादन के उप-उत्पाद और उनसे ऊर्जा कैसे बनाई जा सकती है?
उप-उत्पाद:
-
सिंगैस (syngas): 20-30 मिलियन टन
-
बायो-ऑयल (bio-oil): 24-40 मिलियन टन
उपयोग:
-
सिंगैस से 8-13 TWh बिजली पैदा की जा सकती है — भारत की कुल बिजली का 0.5-0.7%
-
बायो-ऑयल से 12-19 मिलियन टन डीजल/केरोसीन की जगह ली जा सकती है — तेल आयात में कमी
-
यह लगभग 2% जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में कमी ला सकता है।
🔹 निर्माण क्षेत्र में बायोचार की भूमिका कैसे हो सकती है?
-
कंक्रीट में 2-5% बायोचार मिलाने पर:
-
ताकत और गर्मी सहनशीलता में सुधार (20% तक)
-
प्रति घन मीटर 115 किलोग्राम CO₂ का स्थायी भंडारण
-
इसे कार्बन सिंक के रूप में उपयोग किया जा सकता है
-
🔹 कार्बन क्रेडिट सिस्टम में बायोचार को कम क्यों आँका जाता है?
-
मानकीकृत फीडस्टॉक और कार्बन लेखा पद्धति की कमी
-
निवेशक विश्वास में कमी
-
संगठनात्मक समन्वय का अभाव (कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण विभागों में तालमेल नहीं)
-
नीतिगत समर्थन और जागरूकता की कमी
-
मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन (MRV) प्रणाली कमजोर
🔹 बायोचार को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए क्या उपाय होने चाहिए?
-
R&D में निवेश:
-
क्षेत्रीय फीडस्टॉक मानक
-
जैव-अवशेष उपयोग के लिए कृषि-जलवायु ज़ोन आधारित दिशानिर्देश
-
-
नीति एकीकरण:
-
राज्य जलवायु कार्य योजनाओं में बायोचार को जोड़ना
-
फसल अवशेष प्रबंधन और जैव-ऊर्जा योजनाओं में इसका समावेश
-
-
कार्बन क्रेडिट मान्यता:
-
बायोचार को मान्य कार्बन रिमूवल तकनीक के रूप में पहचान देना
-
इससे किसानों और निवेशकों को अतिरिक्त आय मिलेगी
-
-
स्थानीय स्तर पर उत्पादन इकाइयाँ:
-
गांवों में स्थापित करने से 5.2 लाख ग्रामीण नौकरियाँ बन सकती हैं
-
जल-शुद्धिकरण, उर्वरक की बचत (10-20%) और उत्पादन में वृद्धि (10-25%) जैसे लाभ भी मिलते हैं
-
🔹 बायोचार एक स्थायी कार्बन सिंक कैसे है?
-
100-1000 वर्षों तक कार्बन को मिट्टी में संचित रख सकता है
-
नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन 30-50% तक कम कर सकता है (जो CO₂ से 273 गुना अधिक हानिकारक है)
-
मिट्टी की गुणवत्ता, पानी धारण क्षमता, और जैविक कार्बन में सुधार करता है
-
उद्योगों के धुएँ से CO₂ सोखने में उपयोग किया जा सकता है (हालांकि दक्षता कम है)
✅ निष्कर्ष:
बायोचार कोई जादुई समाधान नहीं है, लेकिन यह विज्ञान-आधारित, बहु-क्षेत्रीय रणनीति है जो भारत के जलवायु और विकास लक्ष्यों को एक साथ आगे बढ़ा सकती है। इसके लिए नीति, विज्ञान, और समाज के बीच मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है।
No comments:
Post a Comment