⚛️ क्वांटम यादृच्छिकता और साइबर सुरक्षा का भविष्य – UPSC के दृष्टिकोण से
✍️ Suryavanshi IAS द्वारा
📚 GS-3: विज्ञान और प्रौद्योगिकी | आंतरिक सुरक्षा | उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ
🔐 प्रस्तावना
2013 में एडवर्ड स्नोडन ने जब अमेरिकी और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों द्वारा आम यूजर्स की ऑनलाइन एन्क्रिप्शन को तोड़े जाने का खुलासा किया, तो दुनिया को साइबर सुरक्षा की गंभीरता का अहसास हुआ।
उन्होंने समाधान सुझाया: एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का बड़े पैमाने पर उपयोग। लेकिन क्या ये सुरक्षा प्रणाली वास्तव में अटूट है?
सुरक्षा का आधार है – सही मायनों में यादृच्छिक (truly random) कुंजी। अब वैज्ञानिकों ने इस कुंजी को प्राप्त करने का एक नया तरीका खोजा है – क्वांटम यादृच्छिकता।
🧾 UPSC GS-3 पाठ्यक्रम में प्रासंगिकता
GS-3 विषय:
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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हाल की प्रगति
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आईटी, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो प्रौद्योगिकी
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आंतरिक सुरक्षा में संचार नेटवर्क की भूमिका
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साइबर सुरक्षा
🔐 क्रिप्टोग्राफी में यादृच्छिकता (Randomness) क्या है?
किसी भी एन्क्रिप्शन प्रणाली की सफलता उस कुंजी की गोपनीयता पर निर्भर करती है जिससे डेटा को साइफरटेक्स्ट (अगम्य रूप) में बदला जाता है।
इस कुंजी को यादृच्छिक (random) होना चाहिए ताकि कोई व्यक्ति अनुमान न लगा सके।
आज भी कई कंपनियाँ जैसे Cloudflare अपनी कुंजी के लिए लावा लैंप्स की तस्वीरों से प्राप्त डेटा का उपयोग करती हैं – जिसे “pseudorandom” कहा जाता है।
❗ लेकिन यह पूर्णतः यादृच्छिक नहीं होता — यह अनुमानित (predictable) हो सकता है।
⚛️ क्वांटम यादृच्छिकता: एक क्रांति
क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) में घटनाएं स्वाभाविक रूप से यादृच्छिक होती हैं। जैसे:
एक फोटॉन की ध्रुवण स्थिति (polarisation) मापे जाने से पहले निश्चित नहीं होती।
कैसे होता है उपयोग?
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CUB और NIST के वैज्ञानिकों ने 15 मिलियन बार फोटॉनों की ध्रुवण स्थिति मापी।
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प्राप्त बिट स्ट्रिंग को DRAND नामक स्वतंत्र स्रोत से आए बीज (seed) से प्रोसेस किया गया।
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अंतिम रूप में 512 बिट की निष्पक्ष और यादृच्छिक कुंजी प्राप्त हुई।
🔗 ट्रस्ट के लिए ब्लॉकचेन का उपयोग – Twine प्रोटोकॉल
ब्लॉकचेन तकनीक को जोड़ा गया ताकि कोई भी पार्टी पूरे प्रोटोकॉल की सत्यता की जांच कर सके।
तीन संस्थान जुड़े थे:
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NIST: कच्चे बिट्स बनाए
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CUB: प्रोसेसिंग की
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DRAND: यादृच्छिक बीज दिया
हर कदम को हैश फिंगरप्रिंट से सुरक्षित किया गया। यदि डेटा में कोई बदलाव हो तो फिंगरप्रिंट बदल जाएगा — जिससे भरोसेमंद और पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित होती है।
🇮🇳 भारत में हो रहा प्रयास
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रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI): क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन पर काम
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SETS (चेन्नई): QRNG का निर्माण
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ISRO-DRDO: उपग्रह आधारित क्वांटम कम्युनिकेशन
❓ UPSC के पिछले प्रश्नों से संबंध
🔸 2017 (GS-3)
🔸 2017 (GS-3)
🔸 2016 (GS-3)
प्रश्न: क्लाउड आधारित होस्टिंग बनाम इन-हाउस सर्वर की सुरक्षा पर चर्चा करें।
📚 उत्तरलेखन के लिए मुख्य शब्दावली
शब्द | अर्थ |
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क्वांटम यादृच्छिकता | स्वाभाविक रूप से अनिश्चित परिणाम |
एंटैंगल्ड फोटॉन | जुड़े हुए फोटॉन जिनके गुण परस्पर संबंधित |
यादृच्छिकता एक्सट्रैक्टर | पक्षपाती बिट्स को निष्पक्ष बनाने वाला फंक्शन |
ब्लॉकचेन | कड़ीबद्ध डेटा संरचना |
ट्वाइन प्रोटोकॉल | ब्लॉकचेन आधारित सत्यापन प्रणाली |
📌 लाभ और चुनौतियाँ
✅ लाभ:
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पूर्णतः यादृच्छिक कुंजी निर्माण
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ट्रेस योग्य और पारदर्शी प्रक्रिया
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भविष्य के क्वांटम कंप्यूटर के हमलों से सुरक्षा
❌ चुनौतियाँ:
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उपकरण महंगे और जटिल हैं
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वाणिज्यिक स्तर पर लागू करना कठिन
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40 दिन में सिर्फ 7434 बिट्स उत्पन्न हुए
🧭 भारत के लिए आगे की दिशा
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क्वांटम अनुसंधान में निवेश
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ब्लॉकचेन आधारित सरकारी अनुप्रयोग विकसित करें
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साइबर सुरक्षा में आत्मनिर्भरता
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शैक्षणिक पाठ्यक्रम में आधुनिक टेक्नोलॉजी का समावेश
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वैश्विक सहयोग, लेकिन रणनीतिक आत्मनिर्भरता बनाए रखें
📝 उत्तर लेखन अभ्यास
प्रश्न: क्वांटम यादृच्छिकता साइबर सुरक्षा के भविष्य को कैसे बदल सकती है? भारत में इसके अवसर और चुनौतियों पर चर्चा करें। (250 शब्द)
📚 प्रीलिम्स प्रैक्टिस (MCQ)
प्रश्न: 'Randomness Extractor' का मुख्य कार्य क्या है?
✅ उत्तर: C
🔚 निष्कर्ष
क्वांटम यादृच्छिकता और ब्लॉकचेन तकनीक का यह संयोजन साइबर सुरक्षा को एक नए युग में ले जाता है। भारत को इस तकनीक में आत्मनिर्भर बनकर डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) को मजबूत करना चाहिए।
📍 ऐसे और UPSC केंद्रित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखों के लिए जुड़े रहें – Suryavanshi IAS के साथ।
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