मुद्रा दरों की कमजोरी: रूपये की स्थिति (GDP — आंकड़े, दृष्टिकोण)
सितंबर 2025 के दौरान, हर गुजरते हफ्ते के साथ भारतीय रुपया (INR) अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले अपनी निम्नतम स्तर तक गिर गया। 23 सितंबर को, 1 डॉलर = ₹88.6 की दर दर्ज की गई। अर्थात् जो भी भारत में अमेरिकी या अन्य विदेशी वस्तु (जिसकी कीमत डॉलर में है, जैसे कच्चा तेल) खरीदना चाहता है, उसे अब पहले की तुलना में अधिक रुपये देने होंगे।
रुपया गिरावट का परिदृश्य
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इस गिरावट की शुरुआत अचानक नहीं हुई; यह लंबे समय से जारी दबाव का परिणाम है।
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2025 की शुरुआत से अब तक रूपया डॉलर के मुकाबले 3 % से अधिक कमजोर हो गया है।
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सिर्फ पिछले एक महीने में ही रुपया लगभग 1.3 % गिरा है।
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अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राएँ (यूरो, येन, चीनी युआन आदि) डॉलर के मुकाबले मजबूत हुई हैं, जबकि रूपये का प्रदर्शन कमजोर रहा है।
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रुपया केवल डॉलर के मुकाबले ही नहीं, बल्कि यूरो और पाउंड के मुकाबले भी गिरा है।
प्रभाव
नकारात्मक प्रभाव
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मंहगे आयात: कच्चे माल, मशीनरी, ऊर्जा आदि अधिक महंगे होंगे।
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यह महँगाई बढ़ा सकता है।
सकारात्मक पक्ष
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निर्यात को बढ़ावा: भारतीय वस्तुएँ विदेशों में सस्ती होंगी।
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इस समय जब अन्य देशों ने व्यापार नीतियों में संरक्षणवाद बढ़ाया है, कमजोर रुपया भारत के निर्यातकों को कुछ लाभ दे सकता है।
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इस कारण, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पिछले वर्ष की तुलना में रूपये को बचाने के लिए हस्तक्षेप कम किया है।
कमजोरी के कारक
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निर्यात में कमी: वैश्विक संरक्षणवाद और अमेरिका की टैरिफ नीतियों ने भारत के निर्यात पर नकारात्मक दबाव डाला है।
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विदेशी निवेश की कमी:
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विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में गिरावट दर्ज की जा रही है।
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यह गिरावट भारत की GDP और कंपनियों की कमाई के कमजोर आंकड़ों से प्रेरित है।
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मुद्रा की मांग-साप्लाई असंतुलन: मुद्रा विनिमय दरें इस पर निर्भर करती हैं कि किसी मुद्रा की मांग कितनी है।
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यदि विदेशी निवेशकों द्वारा रुपए की अधिक मांग हो, तो रुपया मजबूत होगा।
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लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा।
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आगे की राह
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निर्यात संवर्धन: व्यापार बाधाओं को कम करना, व्यापार साझेदारों को विविध करना।
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निवेश आकर्षित करना:
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आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना।
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नीति स्पष्टता, बेहतर कारोबार माहौल।
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महँगाई नियंत्रण: कमजोर मुद्रा के लाभों को स्वीकारते हुए आयात मामलों से उत्पन्न दबावों को संभालना।
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आत्मनिर्भर विकास: आंतरिक मांग व निवेश के मार्ग से निर्भरता कम करना।
UPSC प्रासंगिकता
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GS पेपर III (अर्थव्यवस्था): मुद्रा अवमूल्यन, FPI/FDI प्रवाह, व्यापार-निवेश संबंधी विश्लेषण।
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GS पेपर II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): अमेरिकी टैरिफ नीतियों का भारत पर प्रभाव।
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निबंध विषय: “कमजोर मुद्रा: भारत के लिए बोझ या अवसर?”
अभ्यास प्रश्न
मेन (Mains):
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कमजोर रूपये के प्रभावों का विश्लेषण कीजिए — बाह्य क्षेत्र और आर्थिक स्थिरता पर।
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क्या आप सहमत हैं कि कमजोर रुपया भारत के निर्यातकों के लिए उपयोगी है? उदाहरण सहित चर्चा करें।
प्रीलिम्स (Prelims):
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वर्तमान दर (सितंबर 2025): ₹88.6 प्रति USD
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FPI = विदेशी पोर्टफोलियो निवेश
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FDI = प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
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