Saturday, June 28, 2025

हिंद महासागर में बढ़ता खतरा: चीन की रणनीतिक घुसपैठ और भारत की जवाबी रणनीति

 हिंद महासागर में बढ़ता खतरा: चीन की रणनीतिक घुसपैठ और भारत की जवाबी रणनीति

लेखक: सुर्यवंशी IAS | 28 जून, 2025

नई दिल्ली: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अब केवल क्षेत्रीय शक्तियों का प्रभाव नहीं रह गया है। हाल के वर्षों में चीन जैसे बाहरी देशों की मौजूदगी तेज़ी से बढ़ी है, जिससे इस समुद्री क्षेत्र का संतुलन बदल रहा है। विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति की हालिया रिपोर्ट में इस विषय पर गहरी चिंता जताई गई है और चीन की विस्तारवादी रणनीति को भारत के लिए एक गंभीर रणनीतिक चुनौती बताया गया है।

 व्यापार से परे चीन की रणनीति

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अब केवल व्यापारिक साझेदार बनकर नहीं रह गया है। वह बंदरगाहों, हवाई अड्डों और लॉजिस्टिक हबों के रूप में दोहरा उपयोग (Dual-use) वाली संरचनाएं तैयार कर रहा है, जो शांति के समय में वाणिज्यिक रूप से उपयोग की जाती हैं, लेकिन संकट के समय में सैन्य उद्देश्यों के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती हैं।

2017 में जिबूती में बनाए गए सैन्य अड्डे से लेकर श्रीलंका, पाकिस्तान और म्यांमार जैसे देशों में बन रहे बंदरगाहों तक, चीन की यह रणनीति स्पष्ट है—हिंद महासागर में स्थायी उपस्थिति कायम करना।

🛰 समुद्री निगरानी और खुफिया डेटा संग्रह

रिपोर्ट यह भी इंगित करती है कि चीन के तथाकथित "शोध जहाज" समुद्र की गहराई और समुद्र विज्ञान संबंधी संवेदनशील जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं, जो सामरिक दृष्टि से खतरनाक है। ऐसे जहाजों का उपयोग पनडुब्बी निगरानी, खदान युद्ध और अन्य सैन्य योजनाओं में किया जा सकता है।

भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के आस-पास इस प्रकार की गतिविधियाँ, विशेष रूप से अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह के पास, भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए एक प्रत्यक्ष चुनौती बन गई हैं।

 भारत की रणनीति: कूटनीति, सहयोग और सैन्य ताकत

इस स्थिति से निपटने के लिए भारत ने एक बहु-स्तरीय रणनीति अपनाई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत IOR देशों को चीन की गतिविधियों और उनके संभावित दीर्घकालिक खतरों के प्रति जागरूक कर रहा है। दिसंबर 2024 में श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुर कुमार डिसानायके ने दोहराया था कि उनके देश की धरती का उपयोग कभी भारत के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा।

इसके साथ ही भारत ने QUAD जैसे समूहों, इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI) और समुद्री अभ्यासों (जैसे मिलन, मालाबार) के माध्यम से सहयोग बढ़ाया है।

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव: संप्रभुता पर खतरा

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को लेकर भारत ने सख्त रुख अपनाया है। विशेष रूप से इसका प्रमुख हिस्सा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) है, जो पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत इसे संप्रभुता का उल्लंघन मानता है और इस पर बार-बार चीन को कड़ा विरोध दर्ज करा चुका है।

आगे की राह: साझा महासागर में संतुलन बनाए रखना

समिति ने रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि हिंद महासागर का सैन्यीकरण क्षेत्रीय शांति को खतरे में डाल सकता है और व्यापक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अस्थिरता फैला सकता है। भारत को क्षेत्रीय सहयोग, निगरानी क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के पालन पर ध्यान देना होगा।

हिंद महासागर के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत की निर्णायक भूमिका न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि वैश्विक समुद्री संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है।


विश्लेषण: भारत के लिए क्यों है यह अहम?

  • सामरिक जलमार्गों पर चीन का प्रभाव बढ़ रहा है

  • शोध पोतों के माध्यम से खुफिया जानकारी एकत्र की जा रही है

  • दोहरे उपयोग वाले बंदरगाहों से चीन को दीर्घकालिक बढ़त

  • भारत को क्षेत्रीय सहयोग, सैन्य तैयारी और कूटनीति में मजबूती लानी होगी


📌 यह लेख सुर्यवंशी IAS द्वारा “रणनीतिक अध्ययन” श्रृंखला के अंतर्गत तैयार किया गया है, विशेष रूप से UPSC अभ्यर्थियों के लिए।

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