चोल गंगम: तमिलनाडु की भूली-बिसरी जल-संरचना की विरासत
सूर्यवंशी IAS द्वारा
प्रस्तावना
तमिलनाडु के हृदय में स्थित एक प्राचीन जलाशय – चोल गंगम या पोननेरी झील – जो कभी राजेंद्र चोल प्रथम की उत्तरी विजय का प्रतीक था, आज बदहाली में पड़ा है। 1,000 साल पहले निर्मित यह झील जल प्रबंधन, सिंचाई, और सांस्कृतिक गौरव का एक अद्भुत उदाहरण है, जो आज उपेक्षा का शिकार है। भारत जब इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की ओर बढ़ रहा है, तो इस ऐतिहासिक जल संरचना की उपेक्षा हमारे लिए सीख का विषय है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
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निर्माता: राजेंद्र चोल I (राजराज चोल I के पुत्र), 11वीं शताब्दी की शुरुआत।
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उद्देश्य: गंगा जलमयं जयस्तम्भम् – गंगा विजय की स्मृति में एक जल स्तम्भ के रूप में।
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संदर्भ स्रोत: तिरुवालंगाडु ताम्रपट्ट, के.ए. नीलकंठ शास्त्री की पुस्तक The Cholas।
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उपयोगिता:
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गंगैकोंड चोलपुरम की राजधानी को पेयजल की आपूर्ति।
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1,564 एकड़ भूमि की सिंचाई।
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60 एकड़ के महल और आसपास के क्षेत्रों को पानी प्रदान करना।
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प्रवासी पक्षियों के लिए विश्राम स्थल (कोडियाकरई पक्षी अभयारण्य के रास्ते में)।
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इंजीनियरिंग कौशल का प्रतीक
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लंबाई: प्रारंभ में लगभग 25.7 किमी (16 मील), अब केवल 17 किमी शेष।
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बांध: लेटेराइट पत्थरों से बना अंडाकार बांध – जल-दाब सहने के लिए।
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स्लूइस प्रणाली: गाद (सिल्ट) को पकड़ने के लिए विशेष डिजाइन।
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गाद निर्वहन तकनीक:
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पोषक तत्वों से भरपूर गाद को धान के खेतों में पहुंचाना।
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‘थूम्पू’ प्रणाली – भंवर के ज़रिए गाद का निर्वहन।
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रख-रखाव के लिए ‘कुडीमरामथु’ (सामूहिक श्रम परंपरा) और ‘एरी आयम’ (जल कर) का प्रावधान।
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वर्तमान दुर्दशा
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सूखा और सिकुड़न: केवल वर्षा जल पर निर्भर, कोल्लीडम नदी से आने वाली नहरें बंद पड़ी हैं।
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अतिक्रमण: झील के तल में ब्रिटिश-कालीन पुल बना है।
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पर्यावरणीय क्षति:
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प्रवासी पक्षियों का प्रवास रुका।
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जल-स्तर 650 फीट तक नीचे गिर चुका है।
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बहाल नहीं हो पाया: 1855 में ही पुनरुद्धार की योजना बनी, लेकिन आज तक क्रियान्वयन नहीं हुआ।
आज की प्रासंगिकता
1. भूजल पुनर्भरण और जल-सुरक्षा
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यदि कोल्लीडम नदी से फिर जोड़ा जाए:
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उत्तरी कावेरी डेल्टा के 12 प्राचीन झीलों को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
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गंगैकोंड चोलपुरम का भूजल स्तर पुनः भर सकता है।
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चेन्नई जैसे शहरों को आपातकालीन जल आपूर्ति मिल सकती है।
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2. कृषि उपज में वृद्धि
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तिरुचि और साउथ आर्कोट ज़िलों की हज़ारों एकड़ भूमि फिर उपजाऊ हो सकती है।
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वीरानम झील की निकासी प्रणाली के रूप में भी कार्य कर सकती है।
3. सांस्कृतिक संरक्षण
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भारत के प्राचीन जल-बुद्धिमत्ता का प्रतीक।
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संरक्षित स्मारक घोषित कर पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सकता है।
4. पारिस्थितिकी संतुलन
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प्रवासी पक्षियों की वापसी संभव।
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बाढ़ नियंत्रण और जल-संग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य कर सकती है।
आगे की राह / सिफारिशें
समस्या | समाधान |
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नहरों का टूटना, झील का सूखना | कोल्लीडम से दोबारा जोड़ना, पुरानी जल योजनाओं का पुनर्निर्माण। |
पारिस्थितिकी विनाश | पुनर्जलीकरण, पक्षी अभयारण्य से फिर जोड़ना। |
जागरूकता की कमी | प्रधानमंत्री की यात्रा, स्मृति-सिक्का, जन-जागरूकता अभियान। |
नीति ध्यान की कमी | अमृत सरोवर योजना, स्मार्ट सिटी योजना, राज्य विरासत नीति में शामिल करना। |
तकनीकी बाधा | PWD इंजीनियर, जल-इतिहास विशेषज्ञ, स्थानीय श्रम प्रणाली की भागीदारी। |
UPSC से जुड़ी उपयोगिता
GS पेपर | विषय |
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GS I | प्राचीन भारत का इतिहास, चोल शासन, सांस्कृतिक धरोहर। |
GS II | शासन प्रणाली – विरासत नीति, स्थानीय स्वशासन। |
GS III | पर्यावरण और जल संरक्षण, सतत कृषि। |
निबंध | "जल: परंपरा और संकट", "प्राचीन भारत की आधारभूत संरचनाएं: आज की प्रेरणा" |
GS IV (नैतिकता) | उत्तरदायित्व, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण। |
निष्कर्ष
चोल गंगम एक भूली-बिसरी झील नहीं, बल्कि भारत के जल-प्रबंधन का गौरवशाली अध्याय है। इसे पुनर्जीवित कर हम न केवल पानी की समस्या हल कर सकते हैं, बल्कि अपने संस्कृतिक विरासत, कृषि क्षेत्र और पारिस्थितिकी का भी पुनरुद्धार कर सकते हैं। प्रधानमंत्री की प्रस्तावित यात्रा इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर सामने ला सकती है – बशर्ते केवल रस्म अदायगी न हो, बल्कि ठोस नीति निर्णय भी लिए जाएं।
🧠 माइंड मैप: चोल गंगम – एक जलविज्ञानिक चमत्कार
[चोल गंगम झील] |
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[ऐतिहासिक महत्व] [इंजीनियरिंग कमाल] [वर्तमान स्थिति] [समाधान]
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राजेंद्र चोल, विजय बांध, स्लूइस, गाद सूखा, 650 फीट नहर पुनरुद्धार
गंगा जलमय स्तंभ थूम्पू प्रणाली भूजल गिरावट विरासत संरक्षण
🔹 Prelims (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. चोल गंगम (Chola Gangam) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
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यह झील राजराज चोल प्रथम द्वारा निर्मित की गई थी।
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इसका निर्माण गंगा विजय की स्मृति में किया गया था।
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यह झील कावेरी नदी द्वारा सीधे पोषित होती है।
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यह झील पहले प्रवासी पक्षियों का विश्राम स्थल थी।
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?
a) केवल 2 और 4
b) केवल 1, 2 और 3
c) केवल 2, 3 और 4
d) सभी सही
✅ उत्तर: a) केवल 2 और 4
2. 'कुडीमरामथु' (Kudimaramathu) का संबंध किससे है?
a) कृषि भूमि के भू-राजस्व निर्धारण से
b) जल-स्रोतों के सामुदायिक रख-रखाव से
c) मंदिर प्रशासन से
d) सैनिक भर्ती प्रणाली से
✅ उत्तर: b) जल-स्रोतों के सामुदायिक रख-रखाव से
3. ‘थूम्पू’ (Thoompu) संरचना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
a) वर्षा जल संग्रहण
b) जल में उपस्थित गाद को संग्रहित करना
c) जल निकासी में भंवर निर्माण द्वारा गाद को खेतों तक पहुँचाना
d) नहरों में पानी का नियंत्रण
✅ उत्तर: c) जल निकासी में भंवर निर्माण द्वारा गाद को खेतों तक पहुँचाना
🔹 Mains (वर्णात्मक प्रश्न)
GS-I: भारतीय इतिहास एवं सांस्कृतिक विरासत
प्रश्न 1:
राजेंद्र चोल द्वारा निर्मित चोल गंगम झील को भारत की प्राचीन जल-प्रबंधन परंपराओं के उदाहरण के रूप में कैसे देखा जा सकता है? इस झील की ऐतिहासिक, पर्यावरणीय और इंजीनियरिंग विशेषताओं की चर्चा करें। (250 शब्द)
GS-II: शासन व्यवस्था
प्रश्न 2:
चोल गंगम जैसे प्राचीन जलाशयों की उपेक्षा से क्या संकेत मिलते हैं? राज्य सरकार और स्थानीय निकायों की भूमिका इन विरासत जल संरचनाओं के संरक्षण और पुनर्जीवन में कैसे सुनिश्चित की जा सकती है? (250 शब्द)
GS-III: पर्यावरण और सतत विकास
प्रश्न 3:
जल सुरक्षा के संदर्भ में पारंपरिक जल संसाधनों का पुनरुद्धार वर्तमान भारत के लिए क्यों आवश्यक है? चोल गंगम झील को एक केस स्टडी के रूप में प्रस्तुत कीजिए। (250 शब्द)
🔹 Essay (निबंध लेखन)
विकल्प 1:
"जल केवल संसाधन नहीं, संस्कृति है – प्राचीन भारत से वर्तमान तक जल प्रबंधन की यात्रा।"
विकल्प 2:
"विकास बनाम विरासत: क्या भारत अपनी ऐतिहासिक जल संरचनाओं को भूल रहा है?"
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