Blog Archive

Thursday, July 31, 2025

लोकतंत्र की अग्नि परीक्षा: बिहार की मतदाता सूची पुनरीक्षण और नागरिकता का संकट

 

लोकतंत्र की अग्नि परीक्षा: बिहार की मतदाता सूची पुनरीक्षण और नागरिकता का संकट

लेखक: जे. के. सूर्यवंशी (UPSC अभ्यर्थियों के लिए विशेष)
“वोट कोई एहसान नहीं है। यह अधिकार है। संविधान यही कहता है।”


📌 प्रसंग: क्या है मामला?

बिहार में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने मतदाता सूची का एक विशेष तीव्र पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) शुरू किया है।

कागजों पर यह केवल तकनीकी प्रक्रिया है। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि इससे 65 लाख से अधिक नागरिकों के मतदाता सूची से बाहर होने का खतरा है

अब हर मतदाता को एक महीने के भीतर नई नागरिकता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज़ जमा करने होंगे — वरना नाम हटा दिया जाएगा।

यह केवल कागजी कार्रवाई नहीं है — यह लोकतंत्र का संकट है।


⚖️ संविधान बनाम नौकरशाही

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से तीखे सवाल पूछे:

  • अभी अचानक दस्तावेज़ क्यों मांगे गए?

  • जो लोग ये दस्तावेज़ नहीं जुटा सकते उनका क्या?

  • क्या यह गरीबों, प्रवासियों और अशिक्षितों को निशाना नहीं बना रहा?

लेकिन ECI का जवाब केवल तकनीकी रहा — मानवीय नहीं।

👉 UPSC अभ्यर्थियों को इससे आगे देखना चाहिए। यह दस्तावेजों की बात नहीं है — यह संविधान की आत्मा की बात है।

संविधान कहता है:

  • अनुच्छेद 326: सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार

  • अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता

  • अनुच्छेद 21: गरिमा सहित जीवन का अधिकार

अब बोझ राज्य पर नहीं, नागरिक पर डाल दिया गया है — यह संविधान के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।


📜 इतिहास से तुलना

1951 में जब भारत में पहला चुनाव हुआ,
सुकुमार सेन, पहले मुख्य चुनाव आयुक्त, के सामने 17.3 करोड़ लोगों को वोट देने लायक बनाना एक असंभव कार्य था।

लोग अशिक्षित थे, दस्तावेज़ नहीं थे।
सेन ने चिह्न (symbols) का प्रयोग किया, सरल प्रक्रिया बनाई — क्योंकि उद्देश्य था समावेशन

2025 में, ग्यानेश कुमार, 26वें CEC, के नेतृत्व में यह भावना बदल रही है।
आज पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र जैसे दुर्लभ दस्तावेज़ मांगे जा रहे हैं।
आधार और राशन कार्ड स्वीकार नहीं किए जा रहे — जो गरीबों के पास होते हैं।

तो सवाल उठता है UPSC विद्यार्थियों के लिए:
📌 क्या हमारा लोकतंत्र "समावेशी लोकतंत्र" से "दस्तावेज-आधारित विशेषाधिकार" की ओर बढ़ रहा है?


🧠 नीतिशास्त्र और लोक प्रशासन: विश्लेषण

सुशासन के चार स्तंभ होते हैं:

  • सुलभता (Accessibility)

  • सहानुभूति (Empathy)

  • पारदर्शिता (Transparency)

  • उत्तरदायित्व (Accountability)

बिहार में जो प्रक्रिया चल रही है, वह अड़चन पैदा कर रही है, भ्रमित कर रही है, और गरीबों को बाहर कर रही है

यह नैतिकता बनाम नियम का क्लासिक केस है:

  • नियम: मतदाता सूची को शुद्ध करना

  • आत्मा: हर नागरिक को मतदान का अवसर देना

👉 एक सच्चा प्रशासक किसे चुनेगा?


📖 इतिहास की चेतावनियाँ

  • असम NRC में लाखों को “D-वोटर” कहकर विदेशी घोषित कर दिया गया।

  • अमेरिका के जिम क्रो कानून (Jim Crow Laws): काले लोगों को वोट देने से रोकने के लिए परीक्षण और कर लगाए गए।

इन दोनों में एक बात समान है —
📌 कानूनी आवरण में लोकतंत्र का गला घोंटना।


📚 UPSC दृष्टिकोण: प्रीलिम्स और मेंस से जोड़

प्रीलिम्स से संबंधित टॉपिक:

  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950

  • अनुच्छेद 326

  • भारतीय मतदाता सेवा पोर्टल

  • असम NRC

  • संबंधित निर्णय:

    • Lal Babu Hussein vs ERO (1995)

    • Md. Rahim Ali vs State of Assam (2024)

GS-2:

  • सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर खतरे का विश्लेषण करें।

  • चुनाव आयोग की जिम्मेदारियों का मूल्यांकन करें।

GS-4 (नैतिकता):

  • प्रशासनिक निर्णयों में सहानुभूति और नैतिकता की भूमिका क्या होनी चाहिए?

  • क्या संवैधानिक आदर्शों का पालन करना अफसरशाही की नैतिक जिम्मेदारी है?


आगे की राह: क्या होना चाहिए?

☑️ आधार, राशन कार्ड, स्कूल प्रमाणपत्र आदि को मान्यता मिले।
☑️ समयसीमा को यथोचित बढ़ाया जाए (विशेषकर मानसून में)।
☑️ घर-घर सर्वे और जागरूकता अभियान चलें।
☑️ बूथ स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण व संवेदनशीलता दी जाए।
☑️ स्पष्ट संदेश: वोट अधिकार है — दस्तावेज़ नहीं।


📢 UPSC छात्रों के लिए अंतिम संदेश

लोकतंत्र केवल प्रणाली नहीं — यह एक नैतिक आस्था है:
समानता, स्वर, और न्याय में विश्वास।

आप भविष्य के अफसर हैं। आपकी जिम्मेदारी केवल आदेश मानना नहीं —
कमज़ोर की रक्षा करना,
संविधान की आत्मा को समझना,
और मौन आपातकालों को चुनौती देना भी है।

“वोट एक दस्तावेज़ नहीं, एक घोषणा है — कि हम सभी बराबर हैं।”

🧭 ऐसे अधिकारी बनो जो यह समझे — और उसे जीये।


🟡 #सूर्यवंशीIAS
📌 सजग बनो। संवेदनशील बनो। संविधान के प्रहरी बनो।

No comments:

Post a Comment

From MGNREGA to VB-G RAM G: A Paradigm Shift in Rural Employment Policy

  From MGNREGA to VB-G RAM G: A Paradigm Shift in Rural Employment Policy Context The Union government is set to introduce the Viksit Bhar...