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Thursday, July 24, 2025

वोट, प्रवास और पहचान का संघर्ष

 

वोट, प्रवास और पहचान का संघर्ष

बिहार की 2025 की मतदाता सूची से नाम विलोपन और भारत की गतिशील नागरिकता की संवैधानिक चुनौती

✍️ Suryavanshi IAS | शासन, राजनीति और नैतिकता श्रंखला


🔍 खंड 1: परिचय — लोकतंत्र का अदृश्य संकट

1 अगस्त 2025 को, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के प्रथम चरण को पूर्ण कर रहा है। इसी के साथ उभरकर आया है एक गहन विवाद — लाखों प्रवासी मजदूरों और गरीबों के नाम सूची से गायब पाए गए हैं।

  • पूरे राज्य में 12 लाख से अधिक नाम हटाए गए

  • गोपलगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, कटिहार जैसे जिलों में यह संख्या 5%–7% तक पहुंच गई

  • प्रमुख कारण: पुनरीक्षण के समय मतदाता का “उपस्थित न होना”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:

  • विपक्ष: इसे गरीबों और अल्पसंख्यकों को जानबूझकर हटाने की साजिश बता रहा है

  • सत्ताधारी दल: इसे मतदाता सूची को शुद्ध करने की आवश्यकता बता रहा है

लेकिन दोनों पक्ष मूल समस्या को नहीं समझते — भारत का मतदाता कानून एक स्थिर समाज के लिए बना था, जबकि आज का भारत एक गतिशील, प्रवासी समाज है।


🧭 खंड 2: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि — जब कानून ने स्थायित्व को मानक बना दिया

🏛️ Representation of the People Act, 1950:

  • जब यह कानून बना था (1950), तब भारत की जनसंख्या का 82% ग्रामीण और केवल 8% प्रवासी था

  • मान लिया गया कि लोग जहां पैदा होते हैं, वहीं रहते और वोट करते हैं

  • इस स्थिरता पर आधारित कानून में “सामान्य निवास” (Ordinary Residence) को मतदाता पंजीकरण का आधार बनाया गया

प्रमुख कानूनी प्रावधान:

धाराउद्देश्य
धारा 19किसी विधानसभा क्षेत्र में मतदाता बनने के लिए “सामान्य निवासी” होना आवश्यक है
धारा 22यदि कोई व्यक्ति अब “सामान्य निवासी” नहीं है, तो उसका नाम हटाया जा सकता है

यह कानून गतिशील भारत की सामाजिक-आर्थिक सच्चाई से तालमेल नहीं खाता

📊 खंड 3: भारत में प्रवास की सच्चाई

भारत अब एक प्रवासी समाज बन चुका है:

  • जनगणना 2011 के अनुसार: 45 करोड़ आंतरिक प्रवासी (भारत की आबादी का 37%)

  • बिहार:
    🔸 36% परिवारों में कम से कम एक प्रवासी
    🔸 लगभग 1.8 करोड़ बिहारी राज्य से बाहर निवास करते हैं

प्रवास प्रकारउद्देश्य
ग्रामीण से शहरीरोजगार, शिक्षा
अंतरराज्यीयनिर्माण, ईंट भट्ठा, खेती
चक्रीय प्रवासकुछ महीने काम, फिर गाँव वापसी — अस्थायी-स्थायी के बीच की स्थिति

इन प्रवासियों के लिए उनका वोट, उनकी पहचान है — और जब उनका नाम सूची से हटता है, तो उन्हें लगता है कि वे लोकतंत्र से बाहर कर दिए गए हैं।

⚖️ खंड 4: नागरिकता ≠ मतदाता सूची

भारत में एक गंभीर भ्रम है — नागरिकता (Citizenship) और निवास (Residency) को एक ही मान लेना।

अवधारणाअर्थस्रोत
नागरिकतासंवैधानिक स्थिति — आप भारत के नागरिक हैं या नहींसंविधान, नागरिकता अधिनियम 1955
निवासमतदाता सूची में पंजीकरण का क्षेत्रीय आधारRPA 1950

इसका मतलब है:

आप भारतीय नागरिक हो सकते हैं, फिर भी मतदाता सूची से बाहर कर दिए जा सकते हैं, यदि आप अपने "निवास स्थान" पर मौजूद नहीं थे।


🌏 खंड 5: अंतरराष्ट्रीय उदाहरण — समाधान संभव हैं

भारत के अलावा कई लोकतंत्रों ने इस चुनौती को समझदारी से सुलझाया है:

देशसमाधान
🇺🇸 अमेरिकामेल-इन बैलट, दूरस्थ मतदान
🇵🇭 फिलीपींसविदेशी प्रवासी मतदाता सुविधा, 60%+ मतदान
🇦🇺 ऑस्ट्रेलियामोबाइल मतदान केंद्र, दूर-दराज़ में जाकर मतदान करवाना
🇩🇪 जर्मनीबिना व्यक्तिगत पुष्टि के कोई नाम नहीं हटता

इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि साफ-सुथरी मतदाता सूची और समावेशी लोकतंत्र में टकराव नहीं, बल्कि संतुलन हो सकता है — बशर्ते संस्थागत इच्छाशक्ति हो।

🏛️ खंड 6: भारत निर्वाचन आयोग की भूमिका — केवल प्रक्रिया या दायित्व भी?

ECI कहता है कि वह कानून से बंधा है — यह कानूनी रूप से सही है।

लेकिन:

  • ECI कोई डाकघर नहीं है, यह संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत एक संवैधानिक संस्था है

  • इसका कार्य केवल सूची बनाना नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक समावेशन सुनिश्चित करना भी है

  • इसे चाहिए कि वह
    🔹 वैकल्पिक मॉडल प्रस्तुत करे
    🔹 प्रवासी पंजीकरण के पायलट प्रयोग करे
    🔹 संसद से कानून सुधार की मांग करे

“मूक तटस्थता, जब अन्याय स्पष्ट हो, एक नैतिक विफलता है।”


🧠 खंड 7: UPSC हेतु प्रासंगिकता

📘 GS पेपर 2 – शासन एवं संविधान

  • निर्वाचन सुधार

  • भारत निर्वाचन आयोग की भूमिका

  • प्रवासी मजदूरों के अधिकार

📘 GS पेपर 3 – सामाजिक मुद्दे

  • प्रवास और बहिष्करण

  • असमानता और भागीदारी

📘 GS पेपर 4 – नैतिकता

  • प्रक्रिया बनाम न्याय

  • संवेदनशील प्रशासन

  • मौन भेदभाव


✍️ Mains Practice Question (GS-2)

प्रश्न:
भारत की चुनावी प्रणाली में “सामान्य निवास” को मतदाता बनने की शर्त बनाना, बढ़ती प्रवासन प्रवृत्तियों के सामने क्या कानूनी, प्रशासनिक एवं नैतिक चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है? बिहार 2025 के उदाहरण सहित उत्तर दीजिए।
(250 शब्द)


🧾 Prelims MCQs (हिंदी में)

Q1. 'Representation of the People Act, 1950' की कौन सी धारा "सामान्य निवास" की शर्त निर्धारित करती है?

a) धारा 15
b) धारा 17
c) धारा 19
d) धारा 22


Q2. भारत में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आंतरिक प्रवासियों की अनुमानित संख्या क्या थी?

a) 20 करोड़
b) 35 करोड़
c) 45 करोड़
d) 55 करोड़


Q3. निम्नलिखित में से कौन सा देश दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल मतदान केंद्र का उपयोग करता है?

a) अमेरिका
b) ऑस्ट्रेलिया
c) ब्रिटेन
d) कनाडा


🔑 Suryavanshi IAS निष्कर्ष

"वोट का अधिकार केवल मतदान करने का अधिकार नहीं है — यह लोकतंत्र द्वारा यह स्वीकार करना है कि आप मौजूद हैं।"

  • प्रवासी होना, नागरिकता से बाहर नहीं करता

  • कानून जो आज की सच्चाई से मेल नहीं खाता, वह न्याय नहीं कर सकता

  • निर्वाचन आयोग को चाहिए कि वह केवल सूची न बनाए — वह लोकतांत्रिक समावेशन का संरक्षक बने


🧠 Suryavanshi IAS: जहाँ तथ्यों से नीतियां बनती हैं, और संवैधानिकता से नेतृत्व उपजता है।

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