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Thursday, July 31, 2025

जलवायु परिवर्तन आपकी आंत को कैसे प्रभावित कर रहा है?

 

जलवायु परिवर्तन आपकी आंत को कैसे प्रभावित कर रहा है?

भोजन, स्वास्थ्य और सूक्ष्मजीवों के बीच छिपे संबंध पर आधारित विशेष UPSC ब्लॉग


🔍 परिचय: जलवायु संकट और आंत का जुड़ाव

जब हम जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य की बात करते हैं, तो आमतौर पर ध्यान केंद्रित होता है—गर्मी की लहरें, वायु प्रदूषण, संचारी रोग और कुपोषण पर।
लेकिन एक नई समीक्षा रिपोर्ट, जो The Lancet Planetary Health में प्रकाशित हुई है, यह संकेत देती है कि जलवायु परिवर्तन मानव आंत के माइक्रोबायोटा (gut microbiota) को भी प्रभावित कर सकता है।

यह सूक्ष्म परिवर्तन हमारे पाचन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है, खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में जैसे कि भारत।


🧫 गट माइक्रोबायोटा (Gut Microbiota) क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

  • गट माइक्रोबायोटा हमारे पाचन तंत्र में मौजूद 100 ट्रिलियन से अधिक जीवाणु, वायरस, कवक, और प्रोटोज़ोआ का समुदाय है।

  • ये सूक्ष्मजीव:

    • भोजन के पाचन में मदद करते हैं

    • विटामिन और एंजाइम बनाते हैं

    • प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं

    • मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य तक प्रभावित करते हैं

जितनी अधिक विविधता, उतना बेहतर स्वास्थ्य।

The BMJ (2018) के अनुसार, माइक्रोबायोटा की विविधता में कमी देखी गई है:

  • एक्जिमा

  • डायबिटीज (टाइप 1 और 2)

  • आंत की सूजन संबंधी बीमारियाँ

  • न्यूरोलॉजिकल समस्याएं


🌡️ गट माइक्रोबायोटा पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कैसे पड़ता है?

🍚 भोजन की गुणवत्ता में गिरावट

जलवायु परिवर्तन के कारण:

  • फसलों में प्रोटीन, आयरन, जिंक और फॉस्फोरस की मात्रा कम हो रही है

  • उच्च CO₂ स्तर फसलों की पोषण क्षमता को घटा रहा है

  • दूध, मांस, समुद्री भोजन की उपलब्धता घट रही है

🧬 इसका आंत पर प्रभाव

  • पौष्टिकता की कमी से गट डिस्बायोसिस होता है (सूक्ष्मजीवों का असंतुलन)

  • इससे कुपोषण, संक्रमण, इम्युनिटी में गिरावट होती है

  • बच्चे, बुजुर्ग और आदिवासी समुदाय सबसे अधिक प्रभावित


🚰 खाद्य से आगे: पर्यावरणीय कारकों का असर

  • जलवायु परिवर्तन पानी, मिट्टी और वायुमंडलीय सूक्ष्मजीवों को भी बदलता है

  • गर्मी बढ़ने से खाद्य और जल जनित संक्रमण बढ़ते हैं

  • इन सभी का संयुक्त असर मानव आंत माइक्रोबायोटा पर पड़ता है


🇮🇳 भारत में स्थिति अधिक गंभीर क्यों है?

Indian Institute of Public Health, Gandhinagar के शोध के अनुसार:

  • गर्मी बढ़ने से कुपोषण और संक्रमण के मामले बढ़े हैं

  • शहरी गरीब वर्ग को एक साथ कई संकटों का सामना करना पड़ता है:

    • हीटवेव

    • दूषित भोजन और पानी

    • पोषण की कमी

    • वायु प्रदूषण


🧠 विज्ञान और तकनीकी प्रगति क्या कहती है?

  • मेटाजीनोमिक्स (Metagenomics) और कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी नई जानकारियाँ सामने ला रही हैं

  • Dr. Vineet Kumar Sharma (IISER, Bhopal) ने GutBugBD नामक ओपन-सोर्स डाटाबेस बनाया है

  • यह दर्शाता है कि गट माइक्रोबायोटा कैसे न्यूट्रास्युटिकल्स और दवाओं पर प्रभाव डालता है


🧩 चुनौतियाँ क्या हैं?

  1. अनुशासन के बीच की दूरी: अधिकांश शोधकर्ता जलवायु और सूक्ष्मजीवों को एक साथ नहीं जोड़ते

  2. वित्तीय सहयोग की कमी: अंतरराष्ट्रीय और बहु-क्षेत्रीय शोध सीमित हैं

  3. प्रभाव की जटिलता: भोजन, गर्मी, प्रदूषण, रोग—ये सभी एक साथ प्रभाव डालते हैं


📘 UPSC सिलेबस में प्रासंगिकता

पेपरविषय
GS पेपर 3जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय गिरावट, जैव प्रौद्योगिकी
GS पेपर 2स्वास्थ्य नीति, पोषण सुरक्षा
निबंध“स्वास्थ्य और पर्यावरण”, “मूक संकट: आंत में पलता रोग”
GS पेपर 4समानता और सतत स्वास्थ्य सेवाएं (Case Study रूप में)

📝 UPSC के पिछले वर्षों से जुड़े प्रश्न

  1. GS Paper 3, 2021 (Mains)
    "क्या आप सहमत हैं कि मानसून व्यवहार में बदलाव मानवजनित कारणों से हो रहा है? इसका खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव समझाइए।"

  2. Essay Paper, 2020
    "जीवन सूक्ष्मजीवों के बिना असंभव है।"

  3. Prelims 2021
    *“बेंजीन प्रदूषण के स्रोत कौन-कौन से हैं?” (वातावरण-स्वास्थ्य लिंक)


निष्कर्ष

मानव आंत सिर्फ पाचन अंग नहीं, बल्कि जलवायु-संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र है।
खाद्य प्रणाली में गिरावट, गर्मी, और प्रदूषण हमारे सूक्ष्मजीवों के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं।

UPSC अभ्यर्थियों को यह विषय विज्ञान, पर्यावरण, स्वास्थ्य और नीति के चारों आयामों में जोड़ने में मदद करेगा — विशेष रूप से GS पेपर, निबंध और साक्षात्कार में।


📌 Suryavanshi IAS टिप:
इस विषय को एक केस स्टडी, डायग्राम, या आधुनिक उदाहरण के रूप में उत्तरों में सम्मिलित करें। जैसे:
“गर्मी बढ़ने से गट डिस्बायोसिस और कुपोषण दोनों एक चक्र में जुड़े हैं।”

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