भोपाल गैस त्रासदी: एक औद्योगिक दुर्घटना से न्यायिक पुनर्विचार तक
✍️ Suryavanshi IAS द्वारा | UPSC तैयारी हेतु | अद्यतन: जुलाई 2025
🗓️ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 2-3 दिसंबर 1984 की रात
दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक, जब भोपाल (मध्य प्रदेश) स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के संयंत्र से जहरीली मिक्सल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ।
इसका असर:
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तत्काल 3,000 से अधिक लोगों की मृत्यु
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वर्षों बाद तक 20,000 से अधिक मौतों और स्थायी बीमारियों का अनुमान
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लाखों लोग अब भी कैंसर, फेफड़े की बीमारियों, किडनी फेलियर आदि से जूझ रहे हैं
इस गैस के संपर्क में आने से होती हैं:
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श्वसन विफलता
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आंखों की चोटें
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कैंसर और अंगों की विफलता
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तंत्रिका व प्रजनन तंत्र पर असर
UCC (Union Carbide Corporation) अमेरिका की कंपनी थी, जिसे 2001 में Dow Chemicals ने अधिग्रहित कर लिया।
⚖️ कानूनी व न्यायिक घटनाक्रम
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1985: सरकार ने पीड़ितों के लिए दावा प्रस्तुत करने हेतु भोपाल गैस त्रासदी (दावों की प्रक्रिया) अधिनियम, 1985 पारित किया
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1989: सुप्रीम कोर्ट ने 470 मिलियन डॉलर के समझौते को स्वीकृति दी — जिसे अपर्याप्त बताया गया
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1991 से: पुनःमूल्यांकन की मांग व आपराधिक जिम्मेदारी तय करने की याचिकाएं
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2023: सुप्रीम कोर्ट ने Curative Petitions खारिज कर दीं, कहा कि मुआवजे की कमी केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है
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2025: पीड़ित संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि गंभीर रूप से बीमार व स्थायी रूप से अक्षम पीड़ितों को “अस्थायी चोट” या “मामूली चोट” की श्रेणी में डाल कर वर्षों से कम मुआवजा दिया गया
🧑⚖️ जुलाई 2025 का सुप्रीम कोर्ट निर्णय: क्या नया हुआ?
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने पीड़ित संगठनों को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दी।
मुख्य बिंदु:
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सुप्रीम कोर्ट ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की
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याचिका में मांग थी कि कैंसर, किडनी फेलियर जैसी बीमारियों से पीड़ितों को स्थायी विकलांगता के तहत वर्गीकृत किया जाए
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प्रतिनिधित्व किया वरिष्ठ अधिवक्ताओं — राजू रामचंद्रन, करूणा नंदी और प्रसन्ना एस ने
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सही वर्गीकरण से पीड़ितों को उचित मुआवजा व चिकित्सा सहायता मिलेगी
🔍 UPSC के लिए महत्व
📘 GS पेपर 2:
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शासन, कल्याणकारी कानून व न्यायपालिका की भूमिका
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पर्यावरणीय कानून और मानवाधिकार
📗 GS पेपर 3:
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आपदा प्रबंधन
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औद्योगिक दुर्घटनाएँ और कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व
🔁 UPSC में पूछे गए प्रश्न (भूतपूर्व)
📝 प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
प्रश्न 1. भोपाल गैस त्रासदी के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
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रिसाव वाली गैस मिकसाइल आइसोसाइनेट थी।
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यूनियन कार्बाइड एक भारतीय कंपनी थी।
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1985 में भोपाल गैस त्रासदी अधिनियम पारित हुआ।
सही कथन चुनिए:
a) केवल 1 और 2
b) केवल 1 और 3 ✅
c) केवल 2 और 3
d) सभी सही
📝 मुख्य परीक्षा (Mains):
प्रश्न (GS पेपर 3 - 2016):
"भोपाल गैस त्रासदी आज भी भारत की औद्योगिक सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की कमियों की याद दिलाती है।"
औद्योगिक आपदाओं में न्यायपालिका और सरकार की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
🧩 अभ्यास प्रश्न (2025 के अनुसार)
प्रश्न: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की पुनर्वर्गीकरण याचिका पर सुनवाई की अनुमति दी। इस परिप्रेक्ष्य में भारत के पर्यावरणीय न्याय, कॉर्पोरेट जवाबदेही और पीड़ितों के पुनर्वास के दृष्टिकोण की समालोचनात्मक समीक्षा कीजिए। (250 शब्द)
🧠 UPSC के लिए मुख्य बिंदु
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भोपाल त्रासदी सिर्फ अतीत की घटना नहीं, चलती हुई न्यायिक प्रक्रिया है
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समझिए 1985 का अधिनियम, सुप्रीम कोर्ट के 1989, 2023 और 2025 के निर्णय
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उत्तरों में नवीनतम उदाहरण जोड़ें
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GS-4 (नैतिकता) में भी इस केस का प्रयोग कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व और नैतिक दायित्व समझाने में करें
📂 अतिरिक्त अध्ययन सामग्री:
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भोपाल गैस त्रासदी अधिनियम, 1985
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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय (1989, 2023, 2025)
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ARC रिपोर्ट, PIB नोट्स
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National Green Tribunal की भूमिका
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✍️ तैयारी हो तो ऐसी — गहराई से, संदर्भ के साथ।
🧭 इतिहास खत्म नहीं होता, न्याय निरंतर चलता है।
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