प्रश्न: वैश्विक सैन्य खर्च में वृद्धि से सार्वजनिक कल्याण, संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संस्थानों और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर क्या प्रभाव पड़ता है? भारत के लिए एक संतुलित नीति सुझाइए।
परिचय (Introduction):
हाल के वर्षों में वैश्विक सैन्य खर्च में तीव्र वृद्धि देखी गई है। SIPRI के अनुसार, 2024 में रक्षा खर्च $2.7 ट्रिलियन तक पहुँच गया — जो 1988 के बाद की सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि (9.4%) है। इस सैन्यीकरण की प्रवृत्ति न केवल अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर रही है, बल्कि सामाजिक विकास, संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली, और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में प्रगति को भी बाधित कर रही है।
मुख्य भाग (Body):
I. सार्वजनिक कल्याण पर प्रभाव
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बजटीय भीड़ प्रभाव (Crowding Out Effect):
रक्षा बजट में वृद्धि अक्सर स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण जैसे सामाजिक क्षेत्रों के खर्च को घटाती है।
उदाहरण: भारत का रक्षा बजट (2024): ₹6.81 लाख करोड़, जबकि आयुष्मान भारत को ₹7,200 करोड़। -
स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर:
कम व मध्यम आय वाले देशों में, रक्षा पर अत्यधिक खर्च स्वास्थ्य ढांचे को कमजोर करता है।
USAID बंद होने से 2030 तक अनुमानित 1.4 करोड़ अतिरिक्त मौतें संभावित हैं (Lancet रिपोर्ट)।
II. संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संस्थानों पर प्रभाव
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UN का बजट संकट:
वैश्विक सैन्य खर्च ($2.7 ट्रिलियन) की तुलना में UN का बजट केवल $44 बिलियन है।
2025 में केवल $6 बिलियन प्राप्त हुए, जिससे उसे बजट घटाकर $29 बिलियन करना पड़ा। -
शांति व विकास मिशनों पर असर:
UN के मानवीय प्रयास, विकास लक्ष्य, और शांति अभियान वित्तीय संकट के कारण प्रभावित हो रहे हैं।
III. सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रभाव
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SDG-3 (स्वास्थ्य):
NCDs की रोकथाम के लिए $1 प्रति व्यक्ति वार्षिक निवेश से 2030 तक 70 लाख जानें बच सकती हैं — लेकिन फंड की प्राथमिकता बदल गई है। -
SDG-13 (जलवायु परिवर्तन):
NATO का 3.5% GDP रक्षा खर्च → 200 मिलियन टन अतिरिक्त CO₂ उत्सर्जन (Conflict & Environment Observatory) -
SDG-1 (गरीबी उन्मूलन):
केवल $70–325 बिलियन/वर्ष के निवेश से वैश्विक गरीबी हटाई जा सकती है — यह कुल सैन्य खर्च का केवल ~12% है।
IV. भारत के लिए संतुलित नीति सुझाव
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"स्मार्ट सुरक्षा" अवधारणा अपनाना:
पारंपरिक सैन्य शक्ति के साथ-साथ मानव सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य और जलवायु लचीलापन पर निवेश। -
रक्षा और विकास खर्च में संतुलन:
रक्षा बजट में आवश्यक वृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर न्यूनतम 2.5% GDP खर्च सुनिश्चित करना। -
UN व बहुपक्षीय संस्थानों को समर्थन:
भारत को वैश्विक मंचों पर शांति, विकास और मानवाधिकार आधारित नेतृत्व प्रस्तुत करना चाहिए। -
रणनीतिक स्वदेशीकरण:
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) से दीर्घकालीन बजटीय दबाव घटेगा।
निष्कर्ष (Conclusion):
सैन्य खर्च की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता, विशेषतः अस्थिर भूराजनीतिक परिस्थितियों में। परंतु जब यह खर्च सार्वजनिक कल्याण, स्वास्थ्य और जलवायु जैसे जीवन-मूल्य क्षेत्रों से संसाधन छीन लेता है, तब यह विकास के मार्ग में अवरोधक बन जाता है। भारत को एक ऐसे समावेशी और संतुलित सुरक्षा दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो शांति के साथ प्रगति सुनिश्चित करे।
✅ उत्तर लेखन टिप्स:
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GS-II (Governance, International institutions), GS-III (Budgeting, SDGs, Security)
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फैक्ट्स का हवाला दें: SIPRI, UN बजट, Lancet study
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समसामयिक उदाहरण: NATO 5% लक्ष्य, ऑपरेशन सिंदूर, USAID संकट
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भारत के लिए नीति सुझाना अनिवार्य है
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