संविधान की प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द: विवाद, कानूनी स्थिति और UPSC के लिए महत्त्व
🗞️ वर्तमान संदर्भ (24 जुलाई 2025)
राज्यसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्पष्ट किया कि सरकार की ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को संविधान की प्रस्तावना से हटाने की कोई योजना या इरादा नहीं है। ये शब्द आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा जोड़े गए थे।
हालांकि, RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले की ओर से इन शब्दों पर राष्ट्रीय बहस की मांग और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान कि ये शब्द संविधान की मूल आत्मा के विरुद्ध हैं, इस विषय को फिर से चर्चा में ला चुके हैं।
📜 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
-
1950 में जब संविधान लागू हुआ, उस समय प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द नहीं थे।
-
इन्हें 1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया।
✅ संशोधित प्रस्तावना (1976 के बाद):
“हम, भारत के लोग, भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए...”
⚖️ न्यायिक स्थिति
🔹 सर्वोच्च न्यायालय (2024 एवं पूर्व में):
-
2024 में SC ने इन शब्दों को हटाने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
-
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के अनुसार:
-
प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है।
-
संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) को बदला नहीं जा सकता।
-
🔹 न्यायालय की व्याख्या:
शब्द | भारतीय संदर्भ में अर्थ |
---|---|
धर्मनिरपेक्षता | राज्य का किसी धर्म से पक्षपात न करना; सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण |
समाजवाद | कल्याणकारी राज्य की अवधारणा; आर्थिक असमानता में कमी; निजी क्षेत्र के साथ सामंजस्य |
🏛️ संवैधानिक दृष्टिकोण
-
प्रस्तावना न्यायालय में लागू नहीं होती, लेकिन यह संविधान की व्याख्या में मार्गदर्शक है (Berubari केस, 1960)।
-
42वां संशोधन वैध माना गया — संसद प्रस्तावना को संशोधित कर सकती है, पर मूल संरचना नहीं बदल सकती।
🔍 राजनीतिक विमर्श बनाम संवैधानिक वास्तविकता
चाहे कुछ संगठनों या नेताओं की ओर से परिवर्तन की मांग उठाई जा रही हो, लेकिन कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं चली है।
अगर प्रस्तावना में बदलाव करना हो, तो:
-
संसद में 2/3 बहुमत चाहिए।
-
कुछ मामलों में राज्यों की सहमति भी आवश्यक है।
-
मूल संरचना सिद्धांत की अवहेलना नहीं की जा सकती।
📘 UPSC में पहले पूछे गए प्रश्न
📝 मुख्य परीक्षा (Mains):
1. [GS II – 2015]
"Republic" शब्द से जुड़े विशेषणों की चर्चा करें। क्या वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ये बचाव योग्य हैं?
2. [GS II – 2020]
"संविधान की प्रस्तावना, संविधान के दर्शन को समझने की कुंजी है।" स्पष्ट करें।
3. [GS II – 2022]
भारत के संविधान को समाजवादी दस्तावेज कहना कहाँ तक उचित है?
🧠 अभ्यास प्रश्न (MCQ)
Q.1: 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द संविधान में किस संशोधन के माध्यम से जोड़े गए थे?
A) 40वां संशोधन
B) 42वां संशोधन ✅
C) 44वां संशोधन
D) 52वां संशोधन
Q.2: निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
-
'धर्मनिरपेक्ष' शब्द संविधान में मूल रूप से था।
-
'समाजवाद' निजी क्षेत्र के विकास के विरुद्ध है।
सही विकल्प चुनें:
A) केवल 1
B) केवल 2
C) दोनों 1 और 2
D) न तो 1, न ही 2 ✅
🎯 UPSC छात्रों के लिए महत्त्व क्यों?
-
यह विषय राजनीति और शासन (GS II) के अंतर्गत आता है।
-
संविधान, न्यायपालिका की भूमिका, और राजनीतिक विमर्श को समझने में सहायक है।
-
निबंध, मुख्य परीक्षा, और प्रारंभिक परीक्षा — तीनों के लिए उपयोगी।
📌 निष्कर्ष
संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द संवैधानिक मूल्यों के प्रतीक हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने संरक्षित माना है। कोई भी संशोधन या परिवर्तन संविधान की मूल संरचना के विरुद्ध नहीं होना चाहिए।
No comments:
Post a Comment