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Friday, August 1, 2025

ट्रंप का टैरिफ़ युद्ध 2.0 और भारत का बहुपक्षीय धर्मसंकट

 

ट्रंप का टैरिफ़ युद्ध 2.0 और भारत का बहुपक्षीय धर्मसंकट

"जब संस्थाएं खोखली की जा रही हों, तो चुप रहना भी अपराध है।"

✍️ Suryavanshi IAS के लिए विशेष विश्लेषण


🔎 प्रसंग: ट्रंप का आदेश और भारत पर 25% टैरिफ़ का प्रहार

1 अगस्त 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) के तहत भारत के निर्यात पर 25% सीमा शुल्क (tariff) लगाने की घोषणा की।
इसकी पृष्ठभूमि भारत द्वारा रूसी रक्षा और ऊर्जा खरीद को लेकर अमेरिकी असहमति है। इसके अतिरिक्त उन्होंने एक और जुर्माने (penalty) की भी बात की है — जिसकी विस्तृत जानकारी फिलहाल नहीं दी गई है।

ट्रंप का यह कदम केवल एक आर्थिक प्रतिबंध नहीं, बल्कि वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था (multilateral order) के प्रति अविश्वास का संकेत भी है।


🏛️ ट्रंप का दृष्टिकोण: संस्थाएं नहीं, शक्ति प्राथमिकता

वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने स्पष्ट कहा कि:

"WTO को ट्रंप-1 ने गहरा झटका दिया और ट्रंप-2 में पूरी तरह नष्ट कर दिया है।"

ट्रंप की नीतियों ने निम्नलिखित संस्थाओं और समझौतों को क्षति पहुंचाई:

  • 🌐 WTO (विश्व व्यापार संगठन) – अपीलीय निकाय ठप

  • 🧬 WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) – सदस्यता और फंडिंग से हटना

  • 🌱 Paris Climate Agreement – से अमेरिका का बाहर निकलना

  • 🎓 UNESCO – सदस्यता समाप्त

  • 🛑 Unilateral tariffs – WTO की व्यवस्था को दरकिनार कर देना


🇮🇳 भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए नियम आधारित वैश्विक शासन व्यवस्था (rules-based multilateral order):

  • आर्थिक न्याय सुनिश्चित करती है

  • व्यापारिक संरक्षणवाद से बचाव करती है

  • जलवायु और स्वास्थ्य जैसे वैश्विक विषयों पर समर्थन देती है

  • रणनीतिक स्वायत्तता को सशक्त बनाती है

यदि ऐसी संस्थाएं निष्क्रिय हो जाएँगी, तो भारत जैसे राष्ट्र निर्णय लेने की मेज़ से दूर कर दिए जाएँगे।


📜 UPSC में पूछे गए प्रासंगिक प्रश्न

GS-II, 2021:
"‘बहुपक्षवाद संकट में है।’ हाल की वैश्विक घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में नियम-आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली की प्रासंगिकता पर चर्चा करें।"

GS-II, 2020:
"वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत-अमेरिका संबंधों का क्या महत्व है? उनके बीच सहमति और मतभेद के क्षेत्र बताइए।"

GS-II, 2019:
"चीन अमेरिका के लिए वैश्विक वर्चस्व की चुनौती बन चुका है। इस संदर्भ में भारत-अमेरिका संबंधों की स्थिति की विवेचना करें।"


⚖️ भारत की चुनौतियाँ और कूटनीतिक विकल्प

🔹 1. बहुपक्षीय संरचनाओं का समर्थन जारी रखना

भारत को WTO, WHO, UNFCCC जैसे मंचों पर सुधार की मांग के साथ-साथ नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए।

🔹 2. दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाना

BRICS, SCO, ASEAN, अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार और कूटनीति को बढ़ावा देकर पश्चिमी निर्भरता को संतुलित करना होगा।

🔹 3. आत्मनिर्भर भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से जोड़ना

आत्मनिर्भरता का अर्थ अलगाव नहीं, बल्कि उत्पादकता, नवाचार और वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धा होना चाहिए।

🔹 4. घरेलू रणनीतिक पारदर्शिता

रूस के साथ रक्षा समझौते, ऊर्जा सौदों आदि पर संसदीय समीक्षा और नीति स्पष्टता ज़रूरी है — जिससे अमेरिका जैसे साझेदारों के साथ संवाद बना रहे।


🧭 भारत को मौन नहीं, नेतृत्व करना होगा

"भारत को अब 'स्लोगन कूटनीति' से आगे बढ़कर वैश्विक संस्थाओं की रक्षा और पुनर्निर्माण का वाहक बनना होगा।"

इस संकट में भारत के पास दो ही विकल्प हैं:

  • या तो वह ट्रंप की द्विपक्षीय धौंसनीति को स्वीकार करे

  • या फिर वह बहुपक्षवाद की आवाज़ बनकर वैश्विक मंचों को पुनर्जीवित करे


📝 निष्कर्ष:

डिजिटल युग में शक्ति केवल सैन्य या आर्थिक नहीं, बल्कि वैश्विक संस्थाओं के माध्यम से परिभाषित होती है।
भारत को चाहिए कि वह:

  • अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार के लिए नेतृत्व करे

  • रणनीतिक स्वायत्तता और बहुपक्षवाद के संतुलन को बनाए रखे

  • और “मौन दर्शक नहीं, सक्रिय सूत्रधार” की भूमिका निभाए

क्योंकि अगर भारत नहीं बोलेगा, तो नियम कोई और बनाएगा — और शायद भारत के खिलाफ बनाएगा।


🧠 UPSC उत्तर लेखन के लिए टिप्स:

  • प्रस्तावना में प्रसंग (टैरिफ़ + ट्रंप नीति)

  • मुख्य भाग में बहुपक्षवाद, भारत की भूमिका, संस्थाओं की स्थिति

  • प्रभाव और नीतिगत विकल्प

  • निष्कर्ष में भविष्य की रणनीति या संविधान के आदर्शों का उल्ले

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