प्रश्न: भारत में स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण के संदर्भ में लिथियम बैटरी रीसाइक्लिंग के महत्त्व पर चर्चा कीजिए। इसमें आने वाली चुनौतियाँ और उनके समाधान भी बताइए। (250 शब्द)
उत्तर:
भारत स्वच्छ ऊर्जा की ओर तेज़ी से अग्रसर है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) और नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण की भूमिका अहम है। इस परिवर्तन का मुख्य आधार लिथियम-आयन बैटरियाँ हैं, जो उपयोग के बाद एक प्रकार के ई-कचरे में बदल जाती हैं। इन बैटरियों की रीसाइक्लिंग भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण दोनों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
रीसाइक्लिंग से लिथियम, कोबाल्ट, निकल, मैंगनीज़ जैसे मूल्यवान धातुओं की पुनर्प्राप्ति होती है, जिससे भारत की आयात निर्भरता कम होती है और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रगति होती है। इसके साथ ही यह सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देता है, ई-कचरा कम करता है और बैटरी निर्माण की कार्बन तीव्रता घटाता है।
हालांकि, इसमें कई चुनौतियाँ हैं:
-
संगठित संग्रह और निपटान प्रणाली की कमी
-
प्रौद्योगिकी की सीमाएँ और उच्च लागत
-
असंगठित क्षेत्र का वर्चस्व और असुरक्षित निपटान
-
जन-जागरूकता की कमी
समाधान:
-
बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 को सख्ती से लागू किया जाए
-
R&D को बढ़ावा दिया जाए, विशेषकर हाइड्रोमेटलर्जी और डायरेक्ट रीसाइक्लिंग में
-
औपचारिक रीसाइक्लिंग उद्योग को प्रोत्साहन और सब्सिडी दी जाए
-
जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं
-
PLI योजनाओं में रीसाइक्लिंग को एकीकृत किया जाए
निष्कर्षतः, लिथियम बैटरी रीसाइक्लिंग भारत की हरित ऊर्जा रणनीति का एक अनिवार्य स्तंभ बन सकता है, यदि इसे सही नीति, तकनीक और जनभागीदारी से आगे बढ़ाया जाए।
संगठित संग्रह और निपटान प्रणाली की कमी
प्रौद्योगिकी की सीमाएँ और उच्च लागत
असंगठित क्षेत्र का वर्चस्व और असुरक्षित निपटान
जन-जागरूकता की कमी
बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 को सख्ती से लागू किया जाए
R&D को बढ़ावा दिया जाए, विशेषकर हाइड्रोमेटलर्जी और डायरेक्ट रीसाइक्लिंग में
औपचारिक रीसाइक्लिंग उद्योग को प्रोत्साहन और सब्सिडी दी जाए
जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं
PLI योजनाओं में रीसाइक्लिंग को एकीकृत किया जाए
लिथियम बैटरी रीसाइक्लिंग – संक्षिप्त नोट्स
✅ महत्त्व
-
इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा भंडारण और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग।
-
स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और सतत विकास में सहायक।
-
लिथियम, कोबाल्ट, निकल, मैंगनीज़ जैसे महत्वपूर्ण धातुओं की पुनर्प्राप्ति।
-
आयात पर निर्भरता में कमी → आत्मनिर्भर भारत को बल।
-
सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा, ई-कचरा में कमी।
-
बैटरी निर्माण का कार्बन फुटप्रिंट घटता है।
⚠️ चुनौतियाँ
-
संग्रह और निपटान की प्रभावी व्यवस्था नहीं
-
प्रौद्योगिकी की कमी – कुशल और बड़े पैमाने पर रीसाइक्लिंग नहीं हो पा रही
-
असंगठित क्षेत्र द्वारा असुरक्षित तरीकों से निपटान
-
उच्च लागत और ऊर्जा-खपत वाली तकनीक
-
जन-जागरूकता की कमी
💡 समाधान
-
बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 को प्रभावी तरीके से लागू करें।
-
हाइड्रोमेटलर्जी और डायरेक्ट रीसाइक्लिंग जैसी तकनीकों पर R&D बढ़ाएं।
-
स्टार्टअप्स और औपचारिक रीसाइक्लिंग कंपनियों को प्रोत्साहन दें।
-
जन-जागरूकता अभियान चलाएं।
-
PLI योजना में रीसाइक्लिंग को शामिल करें।
📌 निष्कर्ष
लिथियम बैटरी रीसाइक्लिंग भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नीति, तकनीक और जागरूकता के साथ यह अपशिष्ट से संपत्ति बनने का माध्यम बन सकता है।
No comments:
Post a Comment