स्वास्थ्य शासन में नागरिक भागीदारी: यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए विश्लेषण
सूर्यवंशी आईएएस द्वारा
भूमिका
तमिलनाडु की मक्कलाई थेडी मरुथुवम (2021)
और कर्नाटक की गृह आरोग्य (2024,
2025 में विस्तारित) जैसी योजनाएँ भारत में गैर-संचारी रोगों
(NCDs) के लिए द्वार-द्वार स्वास्थ्य सेवा की ओर बढ़ते कदम को दर्शाती हैं। हालाँकि ये योजनाएँ पहुँच को बेहतर बनाती हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती हैं: क्या नागरिक स्वास्थ्य नीति-निर्माण में प्रभावी ढंग से भाग ले पा रहे हैं?
यह ब्लॉग स्वास्थ्य शासन में नागरिक भागीदारी की समीक्षा करता है, जो यूपीएससी के जनरल स्टडीज (GS)
पेपर 2 (शासन) और GS पेपर 3 (स्वास्थ्य) से जुड़ा है। हम पिछले 10 वर्षों के यूपीएससी के प्रश्नों का भी विश्लेषण करेंगे।
स्वास्थ्य शासन में नागरिक भागीदारी क्यों महत्वपूर्ण है?
1. लोकतांत्रिक जवाबदेही एवं समावेशिता
- नीतियाँ
केवल
नौकरशाही
या
चिकित्सा
अभिजन
के
बजाय
जनता
की
आवश्यकताओं
को
प्रतिबिंबित
करें।
- उदाहरण: एनआरएचएम
(2005) के तहत ग्राम
स्वास्थ्य स्वच्छता
एवं पोषण
समितियाँ (VHSNCs) का
गठन
किया
गया,
लेकिन
इनकी
बैठकें
अनियमित
और
धन
का
उपयोग
कम
होता
है।
2. ज्ञानमूलक अन्याय का विरोध
- दलित,
आदिवासी,
महिलाएँ
जैसे
वंचित
समूहों
को
स्वास्थ्य
नीति
में
प्रतिनिधित्व
नहीं
मिलता।
- उदाहरण: शहरी
क्षेत्रों
में महिला
आरोग्य समितियाँ सामाजिक
पदानुक्रम
के
कारण
प्रभावी
नहीं
हैं।
3. स्वास्थ्य परिणामों में सुधार
- सामुदायिक
भागीदारी
से
आशा
कार्यकर्ताओं
(ASHA, ANM) के साथ
सहयोग
बेहतर
होता
है।
- उदाहरण: केरल
का जनता
की योजना
अभियान (1996) ने
स्थानीय
स्वास्थ्य
शासन
को
मजबूत
किया।
भारत के स्वास्थ्य शासन में चुनौतियाँ
समस्या |
प्रभाव |
चिकित्सकीय प्रभुत्व |
डॉक्टर (जो पश्चिमी चिकित्सा मॉडल में प्रशिक्षित हैं) स्वास्थ्य प्रशासन का नेतृत्व करते हैं, सामाजिक निर्धारकों को नजरअंदाज करते हैं। |
दिखावटी भागीदारी |
VHSNCs जैसी समितियाँ केवल कागजों में मौजूद हैं, वास्तविक शक्ति नहीं। |
लाभार्थी मानसिकता |
नागरिकों को अधिकार-धारक नहीं, बल्कि सेवा प्राप्तकर्ता के रूप में देखा जाता है। |
संरचनात्मक सुधारों का अभाव |
अधिकारियों के लिए समुदायों को शामिल करने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं। |
यूपीएससी पिछले वर्षों के प्रश्न
(PYQs) – प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा
प्रारंभिक परीक्षा (पिछले 10 वर्ष)
1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
(NHM) के प्रमुख घटक कौन-से हैं?
(2018)
- आशा
कार्यकर्ता
- रोगी
कल्याण समितियाँ
- जननी
शिशु सुरक्षा
कार्यक्रम (JSSK)
- प्रधानमंत्री
स्वास्थ्य सुरक्षा
योजना (PMSSY)
उत्तर: 1,
2, 3
- व्याख्या: PMSSY
तृतीयक
देखभाल
के
लिए
एक
अलग
योजना
है,
जबकि
NHM आशा, VHSNCs और
रोगी
कल्याण
समितियों
के
माध्यम
से
प्राथमिक
और
द्वितीयक
स्वास्थ्य
सेवा
पर
केंद्रित
है।
2. VHSNCs के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
(2016)
- ये
राष्ट्रीय
स्वास्थ्य
मिशन
के
तहत
अनिवार्य
हैं।
- इनमें
पंचायती
राज
प्रतिनिधि
शामिल
होते
हैं।
- ये
आईसीडीएस
और
स्वच्छता
की
निगरानी
करते
हैं।
उत्तर: 1,
2, 3
- व्याख्या: VHSNCs
NHM का हिस्सा
हैं,
पंचायत
सदस्यों
को
शामिल
करते
हैं,
और
स्वास्थ्य,
पोषण
तथा
स्वच्छता
पर
नजर
रखते
हैं।
मुख्य परीक्षा
(GS-2 एवं GS-3)
1. "भारत में स्वास्थ्य शासन में जनभागीदारी कमजोर है।"
कारणों की विवेचना करते हुए सुधार सुझाइए।
(GS-2, 2020)
- मुख्य
बिंदु:
- कारण: चिकित्सकीय
प्रभुत्व,
नौकरशाही
प्रतिरोध,
जागरूकता
की
कमी।
- सुधार: VHSNCs
को
मजबूत
करना,
स्वास्थ्य
अधिकारियों
को
प्रशिक्षण,
सामाजिक
अंकेक्षण।
2. भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
(GS-2, 2019)
- मुख्य
बिंदु:
- सफलता: समुदाय
और
स्वास्थ्य
प्रणाली
के
बीच
सेतु।
- चुनौतियाँ: अधिक
कार्यभार,
कम
वेतन,
औपचारिक
मान्यता
का
अभाव।
3. भारत गैर-संचारी रोगों
(NCDs) के लिए स्वास्थ्य सेवा वितरण कैसे सुधार सकता है?
(GS-3, 2021)
- मुख्य
बिंदु:
- तमिलनाडु
की मक्कलाई
थेडी मरुथुवम जैसी
द्वार-द्वार
योजनाएँ।
- सामुदायिक
भागीदारी
के
माध्यम
से
निवारक
देखभाल।
आगे का रास्ता: स्वास्थ्य शासन में सुधार
- 'लाभार्थी'
से 'अधिकार-धारक'
की ओर
बदलाव – "स्वास्थ्य
अधिकार-धारक"
शब्द
का
प्रयोग
करें।
- स्थानीय
समितियों को
मजबूत करना –
नियमित
बैठकें,
सामाजिक
अंकेक्षण,
VHSNCs के लिए
निर्बंधित
धन।
- अधिकारियों
को प्रशिक्षण –
आईएएस/स्वास्थ्य
अधिकारियों
के
लिए
सार्वजनिक
स्वास्थ्य
प्रशासन
पाठ्यक्रम।
- समावेशी
भागीदारी – स्वास्थ्य
समितियों
में
वंचित
समूहों
के
लिए
आरक्षण।
निष्कर्ष
भारत के स्वास्थ्य शासन को संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है ताकि यह दिखावटी भागीदारी से आगे बढ़ सके। मक्कलाई थेडी मरुथुवम जैसी योजनाएँ सराहनीय हैं, लेकिन नागरिकों को सशक्त किए बिना ये ऊपर से थोपी गई योजनाएँ बनकर रह जाएँगी।
यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए, यह विषय GS-2
(शासन) और GS-3
(स्वास्थ्य) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पिछले प्रश्न दर्शाते हैं कि यूपीएससी विकेंद्रीकरण, आशा कार्यकर्ता और NCD प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है—इसलिए यह
2025-26 के लिए उच्च-प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।
यूपीएससी की तैयारी के लिए और अधिक जानकारी के लिए, सूर्यवंशी आईएएस को फॉलो करें!
please send some questions sir
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