ट्रम्प टैरिफ का भारतीय निर्यात पर प्रभाव: यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए विस्तृत विश्लेषण
सूर्यवंशी आईएएस द्वारा
परिचय
अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर बढ़े हुए टैरिफ (आयात शुल्क) की घोषणा ने भारत की निर्यात क्षमता पर चिंताएँ बढ़ा दी हैं। 11
अगस्त,
2025 को भारत सरकार ने संसद में स्पष्ट किया कि मांग, गुणवत्ता और अनुबंध संबंधी शर्तों जैसे कारकों के संयोजन से इन टैरिफ का प्रभाव तय होगा।
यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए, ऐसी व्यापार नीतियों के आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभावों को समझना महत्वपूर्ण है, खासकर अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारतीय अर्थव्यवस्था और करंट अफेयर्स के संदर्भ में। यह ब्लॉग इस मुद्दे का विस्तृत विश्लेषण, इसके प्रभाव और सरकारी प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करता है।
पृष्ठभूमि: ट्रम्प टैरिफ क्या हैं?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल में भारत सहित कई देशों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाए थे। अब 2025 में, अमेरिका ने निम्नलिखित घोषणाएँ की हैं:
- 25%
का प्रतिशोधात्मक
टैरिफ (7 अगस्त,
2025 से प्रभावी)।
- अतिरिक्त
25% टैरिफ (27
अगस्त,
2025 से), जिससे कुल
टैरिफ 50% हो
जाएगा।
प्रभावित निर्यात
- अमेरिका
को भारत
का 55% माल
निर्यात इन
टैरिफ
से
प्रभावित
होगा।
- प्रमुख
क्षेत्र:
- इस्पात
और एल्युमीनियम
- कपड़ा
और परिधान
- रसायन
और फार्मास्यूटिकल्स
- ऑटोमोबाइल
पुर्जे
- कृषि
उत्पाद (जैसे
झींगा, बासमती
चावल)
संसद में सरकार का जवाब
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु रखे:
- अभी
कोई आकलन
नहीं: सरकार
ने
अभी
तक
कोई
औपचारिक
आकलन
नहीं
किया
है,
लेकिन
मानती
है
कि मांग,
गुणवत्ता और
अनुबंध जैसे
कारक
प्रभाव
तय
करेंगे।
- राष्ट्रीय
हितों की
सुरक्षा: सरकार किसानों,
एमएसएमई और
निर्यातकों के
हितों
की
रक्षा
के
लिए
आवश्यक
कदम
उठाएगी।
- संभावित
जवाबी कार्रवाई:
- अमेरिका
के
साथ कूटनीतिक
वार्ता।
- निर्यात
बाजार विविधीकरण (यूरोपीय
संघ,
अफ्रीका,
आसियान)।
- घरेलू
नीतिगत समर्थन (सब्सिडी,
निर्यात
प्रोत्साहन)।
भारत पर आर्थिक प्रभाव
1. अल्पकालिक चुनौतियाँ
- निर्यात
आय में
कमी: कपड़ा
और
इस्पात
जैसे
क्षेत्रों
में
मांग
घट
सकती
है।
- एमएसएमई
पर दबाव:
छोटे
निर्यातकों
को
नुकसान
हो
सकता
है।
- व्यापार
घाटे की
आशंका: अगर
निर्यात
घटता
है,
तो
अमेरिका
के
साथ व्यापार
घाटा बढ़
सकता
है।
2. दीर्घकालिक समाधान
- बाजार
विविधीकरण: यूरोप,
यूके और
अफ्रीका के
साथ
नए
व्यापार
समझौते।
- घरेलू
मांग बढ़ाना: पीएलआई
(उत्पादन संबंधित
प्रोत्साहन) जैसी
योजनाओं
से
उत्पादन
का
उपयोग।
- गुणवत्ता
सुधार: उच्च
मूल्य
वाले
उत्पादों
पर
ध्यान
देना।
भू-राजनीतिक पहलू: भारत-अमेरिका व्यापार संबंध
- ऐतिहासिक
संदर्भ: अमेरिका
भारत
का सबसे
बड़ा व्यापारिक
भागीदार (~130 अरब
डॉलर,
2024)।
- रणनीतिक
संतुलन: व्यापार
तनाव
के
बावजूद रक्षा
और प्रौद्योगिकी
सहयोग (QUAD, iCET) मजबूत।
- डब्ल्यूटीओ
में चुनौती:
भारत
इन
टैरिफ
को विश्व
व्यापार संगठन में
चुनौती
दे
सकता
है।
यूपीएससी के लिए प्रासंगिक प्रश्न
मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर III
- अर्थव्यवस्था, जीएस पेपर II -
अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
- "अमेरिकी
टैरिफ का
भारतीय निर्यात
क्षेत्र पर
क्या प्रभाव
पड़ेगा? भारत
को इसके
प्रभाव को
कम करने
के लिए
क्या कदम
उठाने चाहिए?"
- "प्रतिशोधात्मक
टैरिफ द्विपक्षीय
व्यापार संबंधों
को कैसे
प्रभावित करते
हैं? भारत
और अमेरिका
के संदर्भ
में विश्लेषण
करें।"
प्रारंभिक परीक्षा (तथ्य-आधारित)
- प्रश्न:
अमेरिका
को
भारत
का
कितना
प्रतिशत
निर्यात
नए
टैरिफ
से
प्रभावित
होगा?
- (a)
35%
- (b)
55%
- (c)
70%
- (d)
25%
- उत्तर:
(b) 55%
निष्कर्ष: भारत के लिए आगे की राह
हालांकि ट्रम्प टैरिफ चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन ये भारत के लिए एक अवसर भी हैं:
✅ आत्मनिर्भर भारत के तहत घरेलू उत्पादन बढ़ाना।
✅ यूके, यूरोप और जीसीसी के साथ मुक्त व्यापार समझौतों
(FTA) के जरिए निर्यात बाजार विविधीकरण।
✅ कूटनीतिक वार्ता द्वारा बेहतर शर्तें प्राप्त करना।
यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए, यह मुद्दा व्यापार नीति, आर्थिक सुदृढ़ता और रणनीतिक कूटनीति का एक उत्कृष्ट केस स्टडी है।
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