सियांग परियोजना विवाद: स्वदेशी अधिकार, पर्यावरणीय न्याय और रणनीतिक कूटनीति
✍️ Suryavanshi IAS द्वारा UPSC अभ्यर्थियों के लिए विशेष विश्लेषण
🧭 प्रसंग (Context):
मई 2025 में भारत सरकार ने सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना (SUMP) को रणनीतिक कारणों से आगे बढ़ाने के संकेत दिए। इस परियोजना के तहत अरुणाचल प्रदेश में 11,500 मेगावाट की जलविद्युत क्षमता विकसित की जानी है, जिसका विरोध आदिवासी समुदायों, पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है।
इस परियोजना को चीन के तिब्बत में प्रस्तावित मेदोग जलविद्युत स्टेशन (60,000 मेगावाट) के संभावित प्रभावों के उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
🔎 मुख्य मुद्दे:
1. स्वदेशी अधिकारों का उल्लंघन
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27 गांव डूबने की संभावना, 1.5 लाख से अधिक आदि जनजातियों का विस्थापन
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पारंपरिक कृषि भूमि, धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक धरोहरों का खतरा
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पेसा अधिनियम और वन अधिकार अधिनियम 2006 की अनदेखी
2. पर्यावरणीय प्रभाव
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परियोजना भूकंपीय ज़ोन-V में प्रस्तावित है — बाँध टूटने का खतरा
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जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र, और वन कवर पर गंभीर प्रभाव
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EIA प्रक्रिया में स्थानीय सहभागिता की कमी
3. रणनीतिक उद्देश्य बनाम पर्यावरणीय न्याय
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सरकार की दलील: चीन की यारलुंग त्सांगपो परियोजना से खतरा
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विशेषज्ञों की राय: "रणनीति" के नाम पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कुचलना अनुचित
🌍 नदी कूटनीति और सीमापार नदियाँ (Transboundary Rivers):
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यारलुंग त्सांगपो (तिब्बत) भारत में सियांग बनती है और असम में ब्रह्मपुत्र
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चीन से कोई जल संधि नहीं, सिर्फ वर्षा डेटा साझा करने का समझौता
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एकतरफा परियोजनाएँ नदी कूटनीति को कमजोर करती हैं
🧠 प्रमुख अवधारणाएँ (UPSC Keywords):
अवधारणा | महत्त्व |
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स्वदेशी अधिकार | पेसा और वन अधिकार अधिनियम के तहत संवैधानिक संरक्षण |
पारिस्थितिक नाजुकता | हिमालयी क्षेत्र की सीमित वहन क्षमता |
सांस्कृतिक विस्थापन | आदिवासी परंपराओं का नुकसान |
भागीदारी आधारित शासन | स्थानीय समुदाय की राय को प्राथमिकता देना |
रणनीतिक अवसंरचना | राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम स्थानीय अधिकार |
नदी कूटनीति | ब्रह्मपुत्र-त्सांगपो विवाद और भारत-चीन जल संबंध |
📚 UPSC पाठ्यक्रम से संबंध:
पेपर | संबंधित विषय |
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GS Paper 1 | जनजातीय संस्कृति, भौगोलिक विशेषताएँ |
GS Paper 2 | सरकार की नीति, भागीदारी शासन, अधिकार आधारित दृष्टिकोण |
GS Paper 3 | पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA), आपदा प्रबंधन, रणनीतिक सुरक्षा |
GS Paper 4 | नैतिक दुविधा: राष्ट्रीय हित बनाम मानवाधिकार |
❓ प्रारंभिक परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न (PYQs + Practice MCQ)
PYQ 1 (2019):
प्रश्न: भारत में जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के संरक्षण हेतु कौन-से उपाय अपनाए गए हैं?
विकल्प में शामिल थे: EIA, CAMPA, वन अधिकार अधिनियम
उत्तर: ✔️ सभी विकल्प
अभ्यास प्रश्न:
Q: यारलुंग त्सांगपो निम्नलिखित में से किस नदी की ऊपरी धारा है?
a) गंगा
b) यमुना
c) ब्रह्मपुत्र
d) गोदावरी
उत्तर: ✅ c) ब्रह्मपुत्र
✍️ मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न (Model Mains Qs)
GS-2 (250 शब्द)
प्रश्न: "सियांग जलविद्युत परियोजना भारत के रणनीतिक हितों के लिए आवश्यक हो सकती है, किंतु यह आदिवासी अधिकारों और पर्यावरणीय संतुलन के लिए चुनौतीपूर्ण है।" टिप्पणी करें।
GS-3 (150 शब्द)
प्रश्न: "सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक परियोजनाओं को पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से संतुलित कैसे किया जा सकता है?" — विचार प्रस्तुत करें।
📢 Suryavanshi IAS कहता है:
"सियांग परियोजना सिर्फ जलविद्युत या सुरक्षा की बात नहीं है — यह परीक्षण है कि भारत एक लोकतांत्रिक और न्यायसंगत राष्ट्र के रूप में कैसे कार्य करता है। नीति निर्माण में स्थानीय स्वायत्तता, पारिस्थितिकीय विवेक और मानव अधिकारों का संतुलन जरूरी है।"
📌 निष्कर्ष (Conclusion):
भारत को एक ओर जहाँ रणनीतिक जरूरतों का ध्यान रखना है, वहीं दूसरी ओर लोकतंत्र, पर्यावरणीय न्याय और स्वदेशी समुदायों की गरिमा को भी सम्मान देना होगा। कोई भी राष्ट्र तब तक मज़बूत नहीं होता जब तक उसकी नीति में जन सहभागिता और सांस्कृतिक समावेशन न हो।
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