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Friday, August 1, 2025

विश्व फेफड़े कैंसर दिवस: साँस लेना विशेषाधिकार नहीं, जन्मसिद्ध अधिकार है — भारत को अब चेत जाना चाहिए

 

विश्व फेफड़े कैंसर दिवस: साँस लेना विशेषाधिकार नहीं, जन्मसिद्ध अधिकार है — भारत को अब चेत जाना चाहिए

✍️ लेखक: जे.के. सूर्यवंशी
— एक ऐसी बीमारी पर, जो चुपचाप मारती है, और एक राष्ट्र पर, जो अब भी चुप है


“हम अर्थव्यवस्था पर बहस करते हैं, चुनाव पर लड़ते हैं।
पर क्या कोई पूछेगा — जनता की साँसों का क्या?”

1 अगस्त को पूरी दुनिया मनाती है विश्व फेफड़े कैंसर दिवस (World Lung Cancer Day)
पर यह सिर्फ एक तारीख नहीं है, यह एक जागृति है, एक आईना जो दिखाता है कि हम कितनी तेजी से अपने ही साँसों के दुश्मन बनते जा रहे हैं।


🌍 फेफड़े का कैंसर: एक वैश्विक आपदा

  • 🌐 हर साल 2.2 मिलियन (22 लाख) नए फेफड़े कैंसर के मामले

  • ☠️ लगभग 18 लाख मौतें — जो सभी कैंसर मौतों का 18% से अधिक है

  • 🌪️ यह आज भी दुनिया का सबसे घातक कैंसर है

विकसित देशों (जैसे अमेरिका, जापान, यूके) में अब मौतों की दर कम हो रही है —
क्योंकि वहाँ:

  • जल्दी पहचान,

  • सख्त धूम्रपान कानून,

  • और स्वच्छ वायु नीति लागू हैं।

लेकिन भारत में?

आँकड़े बढ़ते जा रहे हैं। और चुप्पी और गहरी होती जा रही है।


🇮🇳 भारत में फेफड़े कैंसर: एक उभरता हुआ संकट

🔍 आंकड़े (ICMR, Globocan 2020 के अनुसार):

  • 📈 भारत में हर साल 72,510 फेफड़े कैंसर के नए मामले

  • ☠️ हर साल 66,279 मौतें फेफड़े कैंसर से

  • 🔴 80% से अधिक मामलों की पहचान स्टेज 3 या 4 पर होती है — यानी बहुत देर में

  • 👨‍🦱 पुरुषों में यह दूसरा सबसे आम कैंसर है (पहला — मुँह का कैंसर)

🚹 पुरुषों पर असर ज़्यादा:

  • भारत में धूम्रपान से जुड़े कैंसर, पुरुषों की 25% से अधिक मौतों का कारण हैं


🌍 भारत बनाम विश्व: तुलना जो चौंकाती है

संकेतक🌍 विश्व स्तर🇮🇳 भारत
वार्षिक नए मामले22 लाख~72,500
वार्षिक मौतें18 लाख~66,300
जल्दी पहचान दर>40%<15%
5 साल जीवित रहने की दर~20%<5%
नियमित सीटी स्कैन कवरेजप्रचलितनगण्य
तंबाकू नियंत्रण नीतिकड़ीमध्यम (कम लागू)

🚬 तंबाकू: भारत का खुला जहर

  • भारत में 28 करोड़ तंबाकू उपभोक्ता — दुनिया में दूसरा स्थान

  • हर साल 13 लाख से अधिक मौतें तंबाकू से

  • 🚬 बिडी, सिगरेट, गुटखा — सस्ते, खुले में बिकते हैं

  • कई राज्यों में नाबालिगों को भी आसानी से मिल जाता है तंबाकू

किताबों पर टैक्स, पर कैंसर की पुड़िया सस्ती — ये कैसी नीति?


🏭 प्रदूषण: साँसों का अदृश्य कातिल

फेफड़े का कैंसर सिर्फ धूम्रपान से नहीं होता —
भारत में वायु प्रदूषण भी एक बड़ा कारण बन चुका है।

  • 🌆 दुनिया के 20 में से 14 सबसे प्रदूषित शहर भारत में

  • 🚨 PM2.5 जैसे सूक्ष्म कण, सीधे फेफड़ों में कैंसर का कारण बनते हैं

  • WHO ने वायु प्रदूषण को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन माना है — यानी कैंसर पैदा करने वाला

सिगरेट नहीं पी, फिर भी सांसों से ज़हर अंदर जा रहा है।


⚠️ लक्षण जिन पर ध्यान देना चाहिए

फेफड़े के कैंसर की सबसे बड़ी चुनौती —
शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते।
जब लक्षण आते हैं, तब बीमारी अक्सर बहुत बढ़ चुकी होती है

🚩 प्रमुख लक्षण:

  • लगातार खांसी

  • सीने में दर्द

  • वजन कम होना

  • खून वाली खांसी

  • सांस लेने में तकलीफ़

  • थकावट

🔍 स्क्रीनिंग:

  • Low-Dose CT Scan — सबसे असरदार

  • लक्षित समूह: 50+ उम्र, धूम्रपान इतिहास, औद्योगिक कामगार, परिवार में इतिहास

भारत में यह जांच:

  • मंहगी,

  • शहरी क्षेत्रों तक सीमित,

  • और सरकारी योजनाओं में शामिल नहीं


💊 इलाज उपलब्ध, पर पहुँच दुर्लभ

भारत में आधुनिक उपचार उपलब्ध:

  • सर्जरी

  • कीमोथेरेपी

  • इम्यूनोथेरेपी

  • टार्गेटेड थेरेपी

लेकिन:

  • इलाज लाखों में, बीमा से बाहर

  • ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञों की भारी कमी

  • सरकारी अस्पतालों में लंबी प्रतीक्षा सूची

  • ज्यादातर मरीज आखिरी स्टेज में आते हैं

भारत में फेफड़े का मरीज सिर्फ बीमारी से नहीं, सिस्टम से भी लड़ता है।


रोकथाम: इलाज से ज़्यादा असरदार, ज़्यादा सस्ता

भारत को चाहिए:

  • 🚭 सिंगल सिगरेट / बीड़ी बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध

  • 🚫 पब्लिक प्लेस पर सख्त धूम्रपान रोकथाम

  • 🏥 CT स्कैन को स्क्रीनिंग नीति में शामिल करना

  • 🧪 आयुष्मान भारत में फेफड़े की जांच को शामिल करना

  • 🌱 शहरों में ग्रीन जोन बनाना, वायु गुणवत्ता सुधारना

  • 📢 स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियान

  • 💰 तंबाकू पर भारी टैक्स और जांच पर सब्सिडी


🌞 सूर्यवंशी दृष्टिकोण: अब और देरी नहीं

हम कब तक साँसों को नज़रअंदाज़ करेंगे?

फेफड़े का कैंसर सिर्फ एक बीमारी नहीं — यह एक चेतावनी है।
अगर हमने अभी नहीं चेता, तो अगला आँकड़ा कोई अपना हो सकता है।

हमें:

  • मरीज को दोष देना बंद करना होगा,

  • सरकार से जवाबदेही माँगनी होगी,

  • और स्वच्छ वायु को नारा नहीं, अधिकार बनाना होगा।


"साँस लेना हर इंसान का जन्मसिद्ध अधिकार है।
आइए, ऐसा भारत बनाएं जहाँ ये अधिकार छीना न जाए —
न सिगरेट से, न धुएँ से, न चुप्पी से।"

जे.के. सूर्यवंशी

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