भारत का पेटेंट परिदृश्य: विश्वविद्यालय बदलाव के वाहक
(यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए विश्लेषण - सूर्यवंशी आईएएस)
प्रस्तावना
नोबेल पुरस्कार विजेता डेविड ग्रॉस के अनुसार, 'मेक इन इंडिया' की सफलता के लिए भारत को "पहले खोजना, फिर आविष्कार करना और अंत में निर्माण करना" होगा। वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के इस दौर में अनुसंधान एवं नवाचार (R&D) में निवेश भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखता है।
भारत की नवाचार यात्रा: प्रमुख रुझान
1. पेटेंट फाइलिंग में ऐतिहासिक बदलाव
2000 के दशक: चीन, अमेरिका, जापान जैसे देशों का दबदबा; भारतीय संस्थानों का हिस्सा 20% से कम।
2023 में मील का पत्थर: भारतीय आवेदकों ने कुल पेटेंट फाइलिंग्स में 57% हिस्सेदारी हासिल की ।
ग्रांटेड पेटेंट्स: 2021 में भारत ने अमेरिका को पछाड़कर दूसरा स्थान प्राप्त किया।
2. तकनीकी क्षेत्रों में विविधता
कंप्यूटर विज्ञान: 2000 में 1.27% से बढ़कर 2023 में 26.5%।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग: 8.27% से 16.41%।
बायोमेडिकल: 0.6% से 10% तक उछाल।
3. प्रक्रिया में तेजी, पर चुनौतियाँ बरकरार
80% पेटेंट अभी भी "निर्णयाधीन" (बढ़ती संख्या और कानूनी जटिलताएँ)।
प्रसंस्करण समय:
2000s: 8-10 वर्ष
2020s: 2-3 वर्ष (कुछ तो फाइलिंग के वर्ष में ही स्वीकृत)।
विश्वविद्यालय: नवाचार के नए ध्रुव
1. पेटेंट फाइलर्स का बदलता चेहरा
कंपनियों का हिस्सा: 2000 में 43% → 2023 में 17% से कम।
शैक्षणिक संस्थान: 2023 तक 43% हिस्सेदारी (IIT मद्रास: 2023 में 300 पेटेंट, IIT बॉम्बे: 421 पेटेंट)।
व्यक्तिगत आविष्कारक: 10% से 32% तक उछाल।
2. सरकारी पहलें जो गेम-चेंजर बनीं
कपिला कार्यक्रम (2020): उच्च शिक्षा में IPR जागरूकता।
अटल इनोवेशन मिशन (2016): विश्वविद्यालयों में स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा।
पेटेंट नियमों में सुधार:
शैक्षणिक संस्थानों/MSMEs के लिए फीस में 80% छूट।
डिजिटल फाइलिंग और त्वरित जाँच प्रक्रिया।
आगे की राह: चुनौतियाँ और अवसर
1. R&D निवेश बढ़ाने की जरूरत
वर्तमान: GDP का 0.67% (अमेरिका: 3.5%, चीन: 2.5%)।
लक्ष्य: कम से कम 2% तक पहुँचना आवश्यक।
2. व्यावसायिकरण और तकनीक हस्तांतरण
पेटेंट्स को उत्पादों में बदलने की आवश्यकता (उदाहरण: IITs के इन्क्यूबेशन सेंटर्स)।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा।
3. वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयारी
क्वांटम कंप्यूटिंग, AI, जैव प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों पर फोकस।
अंतरराष्ट्रीय पेटेंट फाइलिंग (PCT) को प्रोत्साहन।
यूपीएससी प्रासंगिकता
जीएस पेपर-III (अर्थव्यवस्था/विज्ञान-तकनीक):
राष्ट्रीय IPR नीति और इसका प्रभाव।
स्टार्टअप इंडिया/मेक इन इंडिया से जुड़े पहलू।
जीएस पेपर-II (शासन):
शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका राष्ट्रीय नवाचार में।
R&D फंडिंग और तकनीकी स्वावलंबन।
निबंध/नैतिकता:
"आत्मनिर्भर भारत: नवाचार से निर्माण तक"
"भारत की वैज्ञानिक प्रगति: संभावनाएँ और बाधाएँ"
निष्कर्ष: ज्ञान अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर
भारत का पेटेंट लैंडस्केप साबित करता है कि हम वैश्विक तकनीक के उपभोक्ता से रचनाकार बन रहे हैं। अगले दो दशकों में अनुसंधान निवेश, शिक्षा-उद्योग सहयोग और नीतिगत सहायता के जरिए यह सफलता और मजबूत हो सकती है।
"आविष्कार ही समृद्धि की कुंजी है" — डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
(सूर्यवंशी आईएएस - यूपीएससी विशेषज्ञ)
🔍 यूपीएससी के लिए कीवर्ड्स:
पेटेंट फाइलिंग रुझान | कपिला कार्यक्रम | R&D निवेश
IITs की पेटेंट सफलता | अटल इनोवेशन मिशन | ज्ञान अर्थव्यवस्था
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