Blog Archive

Friday, August 1, 2025

भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौता (FTA): डिजिटल संप्रभुता का समर्पण?

 

भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौता (FTA): डिजिटल संप्रभुता का समर्पण?

📌 प्रसंग:

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को भारत सरकार ने "स्वर्ण मानक" कहा है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे देश के लिए ऐतिहासिक बताया है, और दावा किया है कि किसी संवेदनशील क्षेत्र में कोई समझौता नहीं किया गया।

लेकिन, इस समझौते के डिजिटल क्षेत्र पर प्रभाव पर न तो आधिकारिक टिप्पणी हुई, न ही मीडिया ने गंभीरता दिखाई। जबकि यह क्षेत्र न केवल आज के भारत को जोड़ता है, बल्कि भविष्य की आत्मनिर्भरता और वैश्विक शक्ति बनने की नींव है।


🔍 मुख्य चिंता: भारत की डिजिटल संप्रभुता को खतरा

FTA के ज़रिये भारत ने ऐसे कई डिजिटल सिद्धांतों को छोड़ दिया है, जिन्हें वह वर्षों से WTO और वैश्विक मंचों पर दृढ़ता से रखता आया है।


💻 प्रमुख मुद्दे और समझौतों का विश्लेषण

1. 🔐 सॉर्स कोड तक पूर्व-अनुमति पहुंच का त्याग

  • भारत ने यह अधिकार छोड़ दिया है कि वह विदेशी डिजिटल उत्पादों/सेवाओं का सॉर्स कोड पहले से मांग सके — भले ही वो देश की सुरक्षा, स्वास्थ्य, या टेलीकॉम से जुड़े हों।

  • यह पूर्णतः भारत की पूर्व स्थिति से विपरीत है।

  • अमेरिका तक ने 2023 में इस नीति को वापस लिया, लेकिन भारत ने अब इसे स्थायी रूप से छोड़ दिया।

📌 प्रभाव: भारत का कोई भी नियामक निकाय भविष्य में AI, हेल्थ ऐप्स या सुरक्षा सॉफ़्टवेयर की जांच नहीं कर सकेगा।


2. 📊 ‘ओपन गवर्नमेंट डेटा’ की बराबर पहुंच

  • भारत ने यूके को ओपन गवर्नमेंट डेटा तक समान और भेदभाव रहित पहुंच देने की सहमति दी है।

  • आज डेटा एक रणनीतिक संसाधन है — खासकर AI विकास के लिए।

📌 प्रभाव: भारत की सरकारी डेटा पर आधारित AI प्रगति और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान।


3. 🌐 डेटा स्थानीयकरण व डेटा प्रवाह पर कमजोरी

  • भारत ने "स्वतंत्र डेटा प्रवाह" और "डेटा स्थानीयकरण" पर आंशिक रूप से मजबूती दिखाई, लेकिन यह क्लॉज़ जोड़ा गया कि यदि भारत भविष्य में किसी और देश को छूट देगा, तो यूके को भी वही छूट देनी होगी।

📌 प्रभाव: भविष्य में भारत की स्वतंत्र डिजिटल नीति सीमित हो जाएगी।


📉 डिजिटल समझौते: वापस नहीं लौटने वाले रास्ते

डिजिटल व्यापार नियमों को एक बार मंजूरी मिल जाने पर उन्हें बदलना या वापसी करना असंभव हो जाता है।

भारत द्वारा ये रियायतें देना:

  • पश्चिमी, बिग-टेक-केन्द्रित डिजिटल ढांचे को स्वीकार करना है।

  • भारत की स्वतंत्र डिजिटल रणनीति और आत्मनिर्भरता को कमजोर करना है।


क्यों हुई ये चूक?

  • डिजिटल संप्रभुता का राजनीतिक समर्थन या जनसमर्थन नहीं है।

  • डिजिटल नीति विशेषज्ञों की अनुपस्थिति में व्यापार वार्ताएं होती हैं।

  • भारत के पास डिजिटल औद्योगीकरण का स्पष्ट रोडमैप नहीं है।


🌍 वैश्विक स्थिति की तुलना:

देशनीति की स्थिति
🇺🇸 अमेरिकासॉर्स कोड और डेटा प्रवाह नीति से पीछे हटा
🇨🇳 चीनडेटा पर सख्त नियंत्रण और संप्रभु नीति
🇪🇺 यूरोपीय संघGDPR के तहत डेटा संरक्षण
🇮🇳 भारतFTA के तहत अपने सिद्धांतों से पीछे हटा

🛣️ आगे की राह: Suryavanshi IAS दृष्टिकोण

✅ 1. पूर्ण डिजिटल संप्रभुता नीति तैयार करें

  • भारत को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा कि कौन-कौन से डिजिटल पहलू राष्ट्रीय हित में अछूते रहेंगे।

✅ 2. डिजिटल औद्योगीकरण रणनीति बनाएं

  • भारतीय स्टार्टअप, डेटा सुरक्षा और स्वदेशी AI को बढ़ावा मिले।

✅ 3. व्यापार वार्ताओं में टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ शामिल हों

  • डिजिटल संप्रभुता के विशेषज्ञ नीति निर्धारण में शामिल हों।

✅ 4. जन-जागरूकता और मीडिया विमर्श बढ़ाएं

  • डिजिटल आज़ादी को केवल तकनीकी नहीं, राष्ट्रहित का मुद्दा बनाया जाए।


🧠 निष्कर्ष:

भारत ने U.K. के साथ हुए FTA में डिजिटल क्षेत्र में जो रियायतें दी हैं, वे सिर्फ वर्तमान में नहीं, भविष्य की संप्रभुता, स्वतंत्रता और आर्थिक शक्ति को भी प्रभावित करेंगी।

🛑 "डिजिटल संप्रभुता ही आज की राष्ट्रीय संप्रभुता है — इसके बिना आज़ादी सिर्फ एक नारा है।"

No comments:

Post a Comment

Urban Migration and Obesity in India: A Health Crisis in the Making

  Urban Migration and Obesity in India: A Health Crisis in the Making (UPSC-Relevant Analysis by Suryavanshi IAS Academy) Why This...