बिहार की मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया: एक लोकतांत्रिक मूल्यांकन
✍️ UPSC के लिए विश्लेषणात्मक हिंदी ब्लॉग | लेखक: Suryavanshi IAS
📘 UPSC सिलेबस से जुड़ाव
✅ GS Paper 2 – शासन और राजनीति
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निर्वाचन प्रक्रिया और सुधार
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निर्वाचन आयोग की भूमिका
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पारदर्शिता और जवाबदेही के संस्थागत तंत्र
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अल्पसंख्यकों और प्रवासी समूहों की राजनीतिक भागीदारी
✅ GS Paper 1 – भारतीय समाज
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जनसंख्या और प्रवासन
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अल्पसंख्यकों की स्थिति
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लैंगिक असमानता और भागीदारी
🧭 प्रसंग: बिहार की विशेष तीव्र पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR)
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कुल मतदाता: 7.24 करोड़
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जनवरी 2025 की तुलना में 56 लाख से अधिक मतदाताओं की कमी
📌 निर्वाचन आयोग (ECI) ने किन कारणों से नाम हटाए?
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मृत्यु
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दो जगहों पर नाम दर्ज होना
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स्थायी प्रवासन (migration)
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मतदाता का पता न चलना (Untraceable)
लेकिन विवरणात्मक जिलेवार विश्लेषण से संकेत मिलता है कि यह प्रक्रिया कुछ खास जनसंख्या समूहों को अधिक प्रभावित कर सकती है — विशेषकर:
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मुस्लिम बहुल जिले
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अधिक प्रवासन वाले क्षेत्र
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महिलाओं की अपेक्षाकृत अधिक मतदान दर
📊 जिलेवार विश्लेषण: प्रमुख निष्कर्ष
🕌 1. मुस्लिम बहुल जिलों में मतदाता सूची से अधिक नाम हटाए गए
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जिन जिलों में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत अधिक है, वहां नाम हटाने की दर भी अधिक पाई गई।
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Pearson Correlation: r ≈ +0.43 (मध्यम सकारात्मक सहसंबंध)
👥 2. SC बहुल जिलों में अपेक्षाकृत कम नाम हटे
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अनुसूचित जातियों (SC) की अधिकता वाले जिलों में कम मतदाताओं के नाम हटे।
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Pearson Correlation: r ≈ -0.46 (मध्यम नकारात्मक सहसंबंध)
➡️ यह संकेत करता है कि संभवतः SC बहुल क्षेत्रों में स्थायीत्व, कम प्रवासन और बेहतर पहचान प्रणाली हो सकती है।
🧳 3. प्रवासन (Migration) एक महत्त्वपूर्ण कारण
बिहार भारत का एक प्रमुख प्रवासन राज्य है, जहां पुरुष प्रवास विशेष रूप से रोज़गार के लिए होता है।
🔍 मापन कैसे हुआ?
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2024 लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी को देखा गया।
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कई जिलों में, महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया, जबकि पंजीकरण के अनुसार पुरुष मतदाता अधिक थे।
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इसका अर्थ: पुरुष मतदाता प्रवासन के कारण अनुपस्थित रहे।
📈 सहसंबंध:
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महिलाओं के अपेक्षाकृत अधिक मतदान और नाम विलोपन में सकारात्मक सहसंबंध (r ≈ 0.40) मिला।
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अर्थात् प्रवासन अधिक → नाम हटाने की संभावना अधिक
⚖️ लोकतांत्रिक मूल्य और चिंता के मुद्दे
❗ 1. चुनावी पारदर्शिता बनाम सामाजिक समावेश
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एक ओर मतदाता सूची से मृत और डुप्लीकेट नाम हटाना आवश्यक है।
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दूसरी ओर, यदि यह प्रक्रिया अल्पसंख्यकों या प्रवासी समूहों को अधिक प्रभावित करे, तो यह लोकतांत्रिक समावेशिता पर आघात है।
❗ 2. पारदर्शिता और शिकायत निवारण की कमी
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लाखों नाम हटे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किन आधारों पर किसका नाम हटा।
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शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया कठिन होने से कई असली मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं।
📜 कानूनी और संवैधानिक पहलू
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अनुच्छेद 326: वयस्क मताधिकार बिना किसी धार्मिक, जातीय, या लैंगिक भेदभाव के
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जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950-51: मतदाता पंजीकरण और अर्हता से संबंधित
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उच्चतम न्यायालय: लगातार समावेशी और पारदर्शी पंजीकरण की बात करता है
📚 UPSC GS पेपर 2 व 1 में पूछे गए प्रश्न (पिछले 8 वर्षों में)
वर्ष | प्रश्न | पेपर |
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2023 | भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की चुनौतियाँ क्या हैं? सुधार सुझाएं। | GS-2 |
2022 | निर्वाचन आयोग की भूमिका और चुनौतियों की समीक्षा करें। | GS-2 |
2021 | डिजिटल शासन और लोकतांत्रिक जवाबदेही में संबंध की विवेचना करें। | GS-2 |
2020 | क्या राजनीतिक बहिष्करण संरचनात्मक होता है? उदाहरण सहित समझाएं। | GS-2 |
2019 | प्रवासन का शहरी योजना और प्रतिनिधित्व पर क्या प्रभाव है? | GS-1 |
2018 | विविधता भरे समाज में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की चुनौतियाँ। | GS-2 |
2017 | सार्वजनिक संस्थानों की भूमिका और लोकतांत्रिक भागीदारी में योगदान। | GS-2 |
✍️ UPSC उत्तरलेखन अभ्यास प्रश्न (GS-2)
प्रश्न: “मतदाता सूची की शुद्धता आवश्यक है, लेकिन यह समावेशिता और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।” बिहार में SIR के संदर्भ में विश्लेषण करें।
उत्तर संरचना:
भूमिका:
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लोकतंत्र में मतदाता सूची की भूमिका और SIR का संक्षिप्त उल्लेख
मुख्य भाग:
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निर्वाचन आयोग के औपचारिक कारण
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मुस्लिम बहुल जिलों में अधिक नाम विलोपन
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SC बहुल जिलों में कम विलोपन
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प्रवासन से जुड़े मुद्दे
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पारदर्शिता और शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता
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संवैधानिक अधिकारों पर प्रभाव
निष्कर्ष:
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लोकतंत्र में केवल प्रशासनिक शुद्धता नहीं, बल्कि सार्वजनिक विश्वास और समान भागीदारी भी जरूरी है।
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Electoral reforms का उद्देश्य "हर नाम की गिनती" से ज्यादा "हर आवाज़ की सुनी जाए" होना चाहिए।
🧠 समाप्ति विचार: क्या भारत का लोकतंत्र डिजिटल समावेश से पिछड़ रहा है?
➡️ अगर हमें एक विकसित भारत (Viksit Bharat) बनाना है, तो मतदाता सूची को सिर्फ डेटाबेस नहीं, बल्कि सम्मान और प्रतिनिधित्व का दस्तावेज़ मानना होगा।
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