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Tuesday, August 5, 2025

बिहार की मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया: एक लोकतांत्रिक मूल्यांकन

 

बिहार की मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया: एक लोकतांत्रिक मूल्यांकन

✍️ UPSC के लिए विश्लेषणात्मक हिंदी ब्लॉग | लेखक: Suryavanshi IAS


📘 UPSC सिलेबस से जुड़ाव

GS Paper 2 – शासन और राजनीति

  • निर्वाचन प्रक्रिया और सुधार

  • निर्वाचन आयोग की भूमिका

  • पारदर्शिता और जवाबदेही के संस्थागत तंत्र

  • अल्पसंख्यकों और प्रवासी समूहों की राजनीतिक भागीदारी

GS Paper 1 – भारतीय समाज

  • जनसंख्या और प्रवासन

  • अल्पसंख्यकों की स्थिति

  • लैंगिक असमानता और भागीदारी


🧭 प्रसंग: बिहार की विशेष तीव्र पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR)

1 अगस्त 2025 को बिहार में मतदाता सूचियों का मसौदा (Draft) जारी किया गया, जो Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया के बाद तैयार हुआ।
इस संशोधन में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु सामने आए:

  • कुल मतदाता: 7.24 करोड़

  • जनवरी 2025 की तुलना में 56 लाख से अधिक मतदाताओं की कमी

📌 निर्वाचन आयोग (ECI) ने किन कारणों से नाम हटाए?

  • मृत्यु

  • दो जगहों पर नाम दर्ज होना

  • स्थायी प्रवासन (migration)

  • मतदाता का पता न चलना (Untraceable)

लेकिन विवरणात्मक जिलेवार विश्लेषण से संकेत मिलता है कि यह प्रक्रिया कुछ खास जनसंख्या समूहों को अधिक प्रभावित कर सकती है — विशेषकर:

  • मुस्लिम बहुल जिले

  • अधिक प्रवासन वाले क्षेत्र

  • महिलाओं की अपेक्षाकृत अधिक मतदान दर


📊 जिलेवार विश्लेषण: प्रमुख निष्कर्ष

🕌 1. मुस्लिम बहुल जिलों में मतदाता सूची से अधिक नाम हटाए गए

  • जिन जिलों में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत अधिक है, वहां नाम हटाने की दर भी अधिक पाई गई।

  • Pearson Correlation: r ≈ +0.43 (मध्यम सकारात्मक सहसंबंध)

🧠 UPSC दृष्टिकोण:
यह निष्कर्ष सीधा भेदभाव साबित नहीं करता, लेकिन यह दर्शाता है कि मतदाता सूची की सफाई प्रक्रिया में अल्पसंख्यकों की संभावित बहिष्कृति की आशंका है। इससे लोकतंत्र में विश्वास प्रभावित हो सकता है।


👥 2. SC बहुल जिलों में अपेक्षाकृत कम नाम हटे

  • अनुसूचित जातियों (SC) की अधिकता वाले जिलों में कम मतदाताओं के नाम हटे

  • Pearson Correlation: r ≈ -0.46 (मध्यम नकारात्मक सहसंबंध)

➡️ यह संकेत करता है कि संभवतः SC बहुल क्षेत्रों में स्थायीत्व, कम प्रवासन और बेहतर पहचान प्रणाली हो सकती है।


🧳 3. प्रवासन (Migration) एक महत्त्वपूर्ण कारण

बिहार भारत का एक प्रमुख प्रवासन राज्य है, जहां पुरुष प्रवास विशेष रूप से रोज़गार के लिए होता है।

🔍 मापन कैसे हुआ?

  • 2024 लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी को देखा गया।

  • कई जिलों में, महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया, जबकि पंजीकरण के अनुसार पुरुष मतदाता अधिक थे।

  • इसका अर्थ: पुरुष मतदाता प्रवासन के कारण अनुपस्थित रहे।

📈 सहसंबंध:

  • महिलाओं के अपेक्षाकृत अधिक मतदान और नाम विलोपन में सकारात्मक सहसंबंध (r ≈ 0.40) मिला।

  • अर्थात् प्रवासन अधिक → नाम हटाने की संभावना अधिक


⚖️ लोकतांत्रिक मूल्य और चिंता के मुद्दे

❗ 1. चुनावी पारदर्शिता बनाम सामाजिक समावेश

  • एक ओर मतदाता सूची से मृत और डुप्लीकेट नाम हटाना आवश्यक है।

  • दूसरी ओर, यदि यह प्रक्रिया अल्पसंख्यकों या प्रवासी समूहों को अधिक प्रभावित करे, तो यह लोकतांत्रिक समावेशिता पर आघात है।

❗ 2. पारदर्शिता और शिकायत निवारण की कमी

  • लाखों नाम हटे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किन आधारों पर किसका नाम हटा

  • शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया कठिन होने से कई असली मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं।


📜 कानूनी और संवैधानिक पहलू

  • अनुच्छेद 326: वयस्क मताधिकार बिना किसी धार्मिक, जातीय, या लैंगिक भेदभाव के

  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950-51: मतदाता पंजीकरण और अर्हता से संबंधित

  • उच्चतम न्यायालय: लगातार समावेशी और पारदर्शी पंजीकरण की बात करता है


📚 UPSC GS पेपर 2 व 1 में पूछे गए प्रश्न (पिछले 8 वर्षों में)

वर्षप्रश्नपेपर
2023भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की चुनौतियाँ क्या हैं? सुधार सुझाएं।GS-2
2022निर्वाचन आयोग की भूमिका और चुनौतियों की समीक्षा करें।GS-2
2021डिजिटल शासन और लोकतांत्रिक जवाबदेही में संबंध की विवेचना करें।GS-2
2020क्या राजनीतिक बहिष्करण संरचनात्मक होता है? उदाहरण सहित समझाएं।GS-2
2019प्रवासन का शहरी योजना और प्रतिनिधित्व पर क्या प्रभाव है?GS-1
2018विविधता भरे समाज में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की चुनौतियाँ।GS-2
2017सार्वजनिक संस्थानों की भूमिका और लोकतांत्रिक भागीदारी में योगदान।GS-2

✍️ UPSC उत्तरलेखन अभ्यास प्रश्न (GS-2)

प्रश्न: “मतदाता सूची की शुद्धता आवश्यक है, लेकिन यह समावेशिता और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।” बिहार में SIR के संदर्भ में विश्लेषण करें।

उत्तर संरचना:

भूमिका:

  • लोकतंत्र में मतदाता सूची की भूमिका और SIR का संक्षिप्त उल्लेख

मुख्य भाग:

  • निर्वाचन आयोग के औपचारिक कारण

  • मुस्लिम बहुल जिलों में अधिक नाम विलोपन

  • SC बहुल जिलों में कम विलोपन

  • प्रवासन से जुड़े मुद्दे

  • पारदर्शिता और शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता

  • संवैधानिक अधिकारों पर प्रभाव

निष्कर्ष:

  • लोकतंत्र में केवल प्रशासनिक शुद्धता नहीं, बल्कि सार्वजनिक विश्वास और समान भागीदारी भी जरूरी है।

  • Electoral reforms का उद्देश्य "हर नाम की गिनती" से ज्यादा "हर आवाज़ की सुनी जाए" होना चाहिए।


🧠 समाप्ति विचार: क्या भारत का लोकतंत्र डिजिटल समावेश से पिछड़ रहा है?

बिहार का SIR केवल एक राज्य का मामला नहीं, बल्कि यह भारत के लिए एक नीतिगत चेतावनी (Policy Warning) है।
प्रवासन, डिजिटल पहचान, धार्मिक जनसांख्यिकी, और प्रशासनिक तकनीकीकरण का मेल तब तक खतरनाक है जब तक उसमें लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व और मानवीय पहलू सम्मिलित न हों।

➡️ अगर हमें एक विकसित भारत (Viksit Bharat) बनाना है, तो मतदाता सूची को सिर्फ डेटाबेस नहीं, बल्कि सम्मान और प्रतिनिधित्व का दस्तावेज़ मानना होगा।

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