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Saturday, September 6, 2025

भौगोलिक संकेतक (GI) टैग सांस्कृतिक धरोहर ,बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) ,GI टैग ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक संरक्षण ,GI टैग और सहकारी संघवाद

 

Q1 “भौगोलिक संकेतक (GI) टैग सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदायों की आर्थिक आत्मनिर्भरता का साधन बन सकते हैं।” बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) की हाल की पहल के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।  (15 अंक, ~250 शब्द)

उत्तर

भौगोलिक संकेतक (GI) टैग किसी उत्पाद की विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति तथा उसकी विशिष्ट गुणवत्ता, कौशल या परंपरा से जुड़ी पहचान को दर्शाता है। यह न केवल कानूनी संरक्षण प्रदान करता है बल्कि स्थानीय समुदायों को वैश्विक बाजार से जोड़ने का अवसर भी देता है।

BTR का संदर्भ:
हाल ही में असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) की पहल से 21 उत्पादों को GI टैग प्राप्त हुआ। इनमें अरनाई, दोखोना, ज़्वमग्रा जैसे वस्त्र, खाम, सेरजा, सिफुंग जैसे वाद्य, मैब्रा ज़्वु बिद्वी, ज़्वु गिसी जैसे पारंपरिक पेय और औषधीय पौधे शामिल हैं। यह पहल युवाओं के नेतृत्व और सरकार के सहयोग से संभव हुई।

आर्थिक आत्मनिर्भरता:

  • GI टैग से उत्पादों की बाजार कीमत और निर्यात क्षमता बढ़ती है।

  • नकली उत्पादों से कानूनी सुरक्षा मिलती है।

  • “GI गाँव” योजना के तहत शिल्पकारों और किसानों को प्रशिक्षण, विपणन व बुनियादी ढाँचा उपलब्ध होगा।

  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया प्रोत्साहन मिलेगा।

सांस्कृतिक संरक्षण:

  • परंपरागत बुनाई, खानपान, वाद्य और औषधीय ज्ञान संरक्षित होगा।

  • 26 समुदायों की भागीदारी से सांस्कृतिक विविधता को मान्यता मिलेगी।

  • युवाओं में अपनी जड़ों के प्रति गौरव की भावना बढ़ेगी।

निष्कर्ष:
GI टैग आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक पहचान दोनों का साधन है। BTR की पहल यह दर्शाती है कि स्थानीय समुदाय यदि सक्रिय भूमिका निभाएँ तो सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण आर्थिक सशक्तिकरण में भी बदल सकता है।


Q2 “GI टैग ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक संरक्षण का संगम है।” BTR के उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।  (10 अंक, ~150 शब्द)

उत्तर

भौगोलिक संकेतक (GI) टैग स्थानीय उत्पादों की विशिष्ट पहचान को सुरक्षित करता है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने का प्रभावी साधन है।

BTR का उदाहरण:

  • बोडो युवाओं की पहल से 21 वस्तुओं (जैसे अरनाई वस्त्र, खाम वाद्य, पारंपरिक पेय) को GI टैग मिला।

  • इससे शिल्पकारों और किसानों को कानूनी सुरक्षा, अधिक बाजार मूल्य और निर्यात की संभावना मिली।

  • GI टैग ने 26 समुदायों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की प्रेरणा दी।

संगम का बिंदु:
एक ओर यह ग्रामीण कारीगरों की आजीविका को सुरक्षित करता है, वहीं दूसरी ओर यह उनकी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को जीवित रखता है।

निष्कर्ष:
GI टैग स्थानीय उत्पादों को केवल आर्थिक महत्व ही नहीं देता, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक बनाता है।


Q3  BTR में GI टैग पहल किस प्रकार भारत की विविधता में एकता और सहकारी संघवाद को सुदृढ़ करती है? (10 अंक, ~150 शब्द)

उत्तर

भारत की सांस्कृतिक विविधता इसकी सबसे बड़ी शक्ति है। GI टैग पहल इस विविधता को वैश्विक पहचान दिलाने का माध्यम बन सकती है।

BTR में पहल:

  • 21 वस्तुओं को GI टैग मिला, जिनमें विभिन्न समुदायों की परंपराएँ शामिल हैं।

  • 26 समुदाय (बोडो, आदिवासी, गोरखा, कोच-राजबंशी आदि) अब अपनी सांस्कृतिक धरोहर के GI पंजीकरण में जुटे हैं।

  • केंद्र सरकार, BTR प्रशासन और नागरिक समाज का संयुक्त प्रयास सहकारी संघवाद की मिसाल है।

विविधता में एकता:
यह पहल दिखाती है कि भिन्न-भिन्न समुदाय अपनी विशिष्ट पहचान को बनाए रखते हुए भी साझा मंच पर एकजुट हो सकते हैं।

निष्कर्ष:
GI टैग न केवल आर्थिक अवसर देता है बल्कि सहकारी संघवाद और विविधता में एकता की भारतीय भावना को भी मजबूती प्रदान करता है।

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