Sunday, May 25, 2025

 

रश्मिरथी (कृष्ण – दुर्योधन संवाद )

हो गया पूर्ण अज्ञातवास,
पांडव लौटे वन से सहास,
पावक में कनक सदृश तप कर,
वीरत्व लिये कुछ और प्रखर।

नस­नस में तेज प्रवाह लिये,
कुछ और नया उत्साह लिये।

बरसों तक बन में घूम घूम,
बाधा वृक्षों को चूम चूम,
सह धूप घाम पानी पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।

सौभाग्य न हर दिन सोता है,
देखें आगे क्या होता है?

मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को।

भगवान हस्तिनापुर आये,
पंडव का संदेशा लाये।

दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर इसमे भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पांच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।

हम वही खुशी से खाएंगे,
परिजन पर असि न उठाएंगे।

दुर्योधन वह भी दे न सका,
आशिश समााज की ले न सका,
उलटे, हरि को बांधने चला,
जो था असध्य, साधने चला।

जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।

हरि ने भीषण हुंकार किया,
अपना स्वरूप विस्तार किया,
डगमग डगमग दिग्गज डोले,
भगवान कुपित हो कर बोले ­ ­

जंजीर बढ़ा अब साध मुझे,
हां­हां दुर्योधन! बांध मुझे।

हित­वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तोे ले मैं भी अब जाता हूं,
अंतिम संदेश सुनाता हूं।

याचना नहीं अब रण होगा,
जीवन जय या कि मरण होगा।

टकरायेंगे नक्षत्र निकर,
बरसेगी भू पर वहनि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुंह खोलेगा

दुर्योधन! रण ऐसा होगा,
फिर कभी नहीं वैसा होगा।

भाई पर भाई टूटेंगे,
विष बाण बूंद से छूटेंगे,
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे,
वायस श्रगाल सुख लूटेंगे।

आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दाई होगा।

थी सभा सन्न सब लोग डरे,
या चुप थे या बेहोश पड़े।
केवल दो नर न अगाते थे,
धृतराष्ट्र विदुर सुख पाते थे।

कर जोड़ खड़े प्रमुदित निर्भय,
दोनो पुकारते थे ‘जय­जय!’

No comments:

Post a Comment

What challenges do gig workers face?

 What challenges do gig workers face? Gig workers face several challenges, primarily revolving around the nature of temporary, project-based...