Blog Archive

Thursday, July 31, 2025

“शिक्षा खर्च नहीं, निवेश है।” – इस कथन पर मानव पूंजी निर्माण के संदर्भ में टिप्पणी करें। (15 अंक | GS Paper II | UPSC Mains)

 प्रश्न:

“शिक्षा खर्च नहीं, निवेश है।” – इस कथन पर मानव पूंजी निर्माण के संदर्भ में टिप्पणी करें।
(15 अंक | GS Paper II | UPSC Mains)


✍️ परिचय (Introduction):

महात्मा गांधी ने कहा था, “If we are to reach real peace in this world… we shall have to begin with the children.”
इसी भावना को आधार बनाकर यह कथन इस बात पर प्रकाश डालता है कि शिक्षा को केवल वित्तीय व्यय न मानकर, मानव संसाधन पूंजी (Human Capital) में रणनीतिक निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए, जो राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति का आधार है।


📚 शिक्षा: खर्च नहीं, निवेश क्यों?

क्षेत्रनिवेश के लाभ
आर्थिकउत्पादकता में वृद्धि, कुशल कार्यबल, नवाचार में वृद्धि
सामाजिकगरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, अपराध में कमी
राजनीतिकलोकतांत्रिक भागीदारी में वृद्धि, संवैधानिक चेतना
स्वास्थ्यपोषण व स्वच्छता के प्रति जागरूकता, शिशु मृत्यु दर में कमी

👨‍🏫 मानव पूंजी निर्माण में शिक्षा की भूमिका

  1. ज्ञान, कौशल और योग्यता का विकास:
    शिक्षा व्यक्ति को रोजगार योग्य बनाती है। उदाहरण: कौशल भारत मिशन, आईटीआई संस्थान।

  2. स्वास्थ्य और जीवन शैली पर प्रभाव:
    शिक्षित समाज अधिक स्वास्थ्य-जागरूक होता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ कम होता है।

  3. अवसरों तक पहुंच:
    शिक्षा समाज के वंचित तबकों को भी समान अवसर प्रदान करती है।
    उदाहरण: आरटीई, समग्र शिक्षा अभियान।

  4. नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा:
    एक शिक्षित युवा स्टार्टअप और तकनीकी नवाचारों में योगदान करता है।
    उदाहरण: डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया।

  5. जनसंख्या लाभांश को उपयोगी बनाने में योगदान:
    भारत के पास 65% से अधिक युवा आबादी है — शिक्षा के अभाव में यह बोझ बन सकती है, शिक्षा के साथ यह पूंजी है।


📌 समकालीन उदाहरण और पहलें

  • NEP 2020: ECCE, FLN, 5+3+3+4 संरचना द्वारा जीवनभर सीखने की नींव।

  • PM Poshan Yojana: पोषण और शिक्षा का एकीकरण — बाल विकास में निवेश।

  • Skill India Mission: शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक कौशल पर ज़ोर।

  • POSHAN अभियान और ECCE: प्रथम 1000 दिनों में शिक्षा-स्वास्थ्य का संयोजन।


चुनौतियाँ जो शिक्षा को खर्च जैसी प्रतीत कराती हैं:

  • शिक्षा में सार्वजनिक निवेश अभी भी जीडीपी का केवल ~2.9% (2023-24)

  • शहरी–ग्रामीण व अमीर–गरीब के बीच गुणवत्ता की खाई

  • शिक्षकों की कमी व प्रशिक्षण की गुणवत्ता

  • बालिका शिक्षा, विशेष रूप से उच्चतर स्तर पर, में सामाजिक बाधाएँ


🔎 समाधान व सुझाव:

  • शिक्षा बजट को 6% GDP तक ले जाना (NEP का सुझाव)

  • ECCE और माध्यमिक शिक्षा में निवेश बढ़ाना

  • डिजिटल डिवाइड को पाटना

  • शिक्षक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण


निष्कर्ष (Conclusion):

"If you think education is expensive, try ignorance." — Derek Bok
शिक्षा में किया गया निवेश तुरंत आर्थिक लाभ न दे, परंतु यह दीर्घकालिक सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास की नींव रखता है। यह न केवल व्यक्तियों को सशक्त करता है, बल्कि राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाता है।


मूल्यवर्धन के लिए उद्धरण:
🔹 अमर्त्य सेन: “Education and health are not welfare, they are production.”

No comments:

Post a Comment

भारत को अपने व्यापार संबंधों और रणनीतियों पर नए सिरे से सोचने की ज़रूरत है

  भारत को अपने व्यापार संबंधों और रणनीतियों पर नए सिरे से सोचने की ज़रूरत है ✍️ By Suryavanshi IAS प्रस्तावना भारत की अर्थव्यवस्था इस सम...