प्रश्न: “डिजिटल इंडिया के संदर्भ में ई-गवर्नेंस के क्रियान्वयन ने शासन में सुधार किया है। विवेचना करें।”
(GS Paper II | 10/15 अंक | UPSC Mains)
✍️ परिचय (Introduction):
डिजिटल इंडिया एक परिवर्तनकारी मिशन है जिसे 2015 में भारत सरकार ने “सशक्त भारत - डिजिटल भारत” की परिकल्पना के साथ शुरू किया।
इसका उद्देश्य था — ई-गवर्नेंस के माध्यम से शासन को पारदर्शी, उत्तरदायी, दक्ष और जन-केन्द्रित बनाना।
ई-गवर्नेंस का अर्थ है – सूचना और संचार तकनीक (ICT) के उपयोग से शासन में सुधार करना।
📌 ई-गवर्नेंस ने शासन को कैसे बेहतर बनाया है?
क्षेत्र | सुधार |
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✅ पारदर्शिता | डिजिटल पोर्टल्स (RTI Online, e-Courts, PMGDISHA) से भ्रष्टाचार में कमी |
✅ जवाबदेही | डिजिटल फीडबैक सिस्टम (CPGRAMS, MyGov, UMANG) से प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ी |
✅ सेवा वितरण | e-Seva Kendras, DigiLocker, CoWIN जैसे प्लेटफार्मों से सेवाओं की आसान पहुँच |
✅ समावेशन | दूरदराज़ के इलाकों तक CSCs के ज़रिए डिजिटल सेवाओं की पहुँच |
✅ लागत व समय में बचत | दस्तावेज़ों का डिजिटलीकरण (DigiLocker), DBT के ज़रिए सब्सिडी ट्रांसफर |
🔍 प्रमुख ई-गवर्नेंस पहलें (Digital India के अंतर्गत):
योजना/पहल | उद्देश्य |
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UMANG App | एकीकृत सरकारी सेवाएँ मोबाइल पर |
DigiLocker | डिजिटल दस्तावेज़ रखने का सुरक्षित माध्यम |
Aarogya Setu / CoWIN | स्वास्थ्य सेवाओं में डिजिटल समाधान |
BharatNet Project | ग्रामीण भारत में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी |
e-NAM | कृषि विपणन में पारदर्शिता और कुशलता |
⚠️ वर्तमान चुनौतियाँ:
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डिजिटल डिवाइड – ग्रामीण-शहरी, महिला-पुरुष, शिक्षित-अशिक्षित में तकनीकी पहुँच की असमानता
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डिजिटल साक्षरता की कमी – खासकर वरिष्ठ नागरिकों और ग्रामीण क्षेत्रों में
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डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा – डेटा लीक और हैकिंग की घटनाएँ
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बहुभाषी इंटरफेस की कमी – कई सरकारी पोर्टल अभी भी केवल अंग्रेज़ी आधारित हैं
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इन्फ्रास्ट्रक्चर की बाधाएँ – बिजली, नेटवर्क, उपकरणों की कमी
✅ सुझाव और आगे की राह:
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डिजिटल साक्षरता अभियानों को मज़बूती देना (जैसे: PMGDISHA)
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मल्टी-भाषा सपोर्ट और प्रयोक्ता-अनुकूल इंटरफेस
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डेटा सुरक्षा कानून को शीघ्र प्रभाव में लाना
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महिला और सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को डिजिटल सेवाओं से जोड़ना
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ब्लॉकचेन, AI, और Big Data जैसी तकनीकों को गवर्नेंस में शामिल करना
🔚 निष्कर्ष (Conclusion):
ई-गवर्नेंस ने निश्चित रूप से भारतीय शासन को जवाबदेह, पारदर्शी और सुलभ बनाया है। हालांकि चुनौतियाँ अभी शेष हैं, परंतु एक ‘डिजिटल रूप से समावेशी भारत’ की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम है।
“डिजिटल इंडिया एक कार्यक्रम नहीं, एक आंदोलन है – शासन को जनभागीदारी बनाना इसका मूल है।”
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