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Saturday, August 2, 2025

प्रश्न: "नवीकरणीय ऊर्जा भारत के सतत विकास के लिए अनिवार्य है, किंतु इससे जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।" पवन ऊर्जा परियोजनाओं के सन्दर्भ में इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए। (250 शब्द)

 

प्रश्न:

"नवीकरणीय ऊर्जा भारत के सतत विकास के लिए अनिवार्य है, किंतु इससे जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।" पवन ऊर्जा परियोजनाओं के सन्दर्भ में इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
(250 शब्द)


उत्तर:

भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें पवन ऊर्जा प्रमुख भूमिका निभाती है। यह ऊर्जा स्रोत कार्बन उत्सर्जन रहित, दीर्घकालिक रूप से सस्ती और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली है।

हालांकि, हालिया अध्ययन दर्शाते हैं कि पवन ऊर्जा परियोजनाएं जैव विविधता के लिए भी चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकती हैं, विशेषकर जब उनका स्थान चयन पारिस्थितिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखे बिना किया जाता है।

🔍 नुकसान के पक्ष (Case of Thar Desert):

  • 2025 में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा थार रेगिस्तान में किए गए अध्ययन के अनुसार,

    • प्रति 1,000 वर्ग किमी ~4,464 पक्षी प्रतिवर्ष मारे गए।

    • Great Indian Bustard जैसी अत्यंत संकटग्रस्त प्रजातियाँ सर्वाधिक प्रभावित।

    • यह क्षेत्र Central Asian Flyway के तहत एक प्रमुख प्रवासी मार्ग है।

🌊 अपतटीय परियोजनाओं का प्रभाव:

  • गुजरात की खंभात खाड़ी में प्रस्तावित अपतटीय पवन परियोजना में डॉल्फिन, शार्क, और समुद्री सरीसृपों पर निर्माण के दौरान शोर व गाद से दुष्प्रभाव की संभावना जताई गई है।

🛠️ समाधान व नीति सुझाव:

  • परियोजनाओं के लिए साइट चयन में पारिस्थितिकी आधारित मूल्यांकन

  • EIA को अनिवार्य व पारदर्शी बनाना, विशेषकर ऑनशोर प्रोजेक्ट्स के लिए भी।

  • ब्लेड रंग तकनीक (जैसे एक ब्लेड को काला रंगना) जिससे पक्षियों को दृश्य संकेत मिले।

  • संवेदनशील समयों पर टरबाइन संचालन रोका जाए।


निष्कर्ष:

पवन ऊर्जा निःसंदेह हरित भविष्य की कुंजी है, परंतु सतत विकास के लिए केवल ऊर्जा दक्षता नहीं, पारिस्थितिक संतुलन भी अनिवार्य है। नीति-निर्माण में "ऊर्जा और जैव विविधता के सह-अस्तित्व" को प्राथमिकता देना समय की मांग है।

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