भारत का भू-राजनीतिक संतुलन: विखंडित होते वैश्विक व्यवस्था में रणनीति का पुनर्संतुलन
✍️ सूर्यवंशी IAS द्वारा UPSC केंद्रित ब्लॉग
📘 UPSC पाठ्यक्रम से सम्बद्धता
GS पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध
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भारत और उसके पड़ोसी
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द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक संगठन
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विकसित देशों की नीतियों का भारत पर प्रभाव
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भारत की रणनीतिक स्वायत्तता
GS पेपर 3: आर्थिक विकास और आंतरिक सुरक्षा
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वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
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आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ
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बाहरी राज्य और गैर-राज्य कारकों की भूमिका
🔍 प्रसंग: भारत एक रणनीतिक मोड़ पर
विश्व व्यवस्था नए सिरे से आकार ले रही है और भारत का स्थान अब और अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। पाहलगाम हमला (अप्रैल 2025) के बाद शुरू किया गया ऑपरेशन सिन्दूर, अमेरिकी टैरिफ़, और दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती पकड़ — ये सभी भारत के लिए एक निर्णायक मोड़ हैं।
मुख्य सन्देश:
एक आर्थिक और तकनीकी महाशक्ति बनने से पहले भारत को अपना भू-राजनीतिक स्थान सुरक्षित करना होगा।
🇮🇳 ऑपरेशन सिन्दूर: एक कड़वी सच्चाई
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अप्रैल 22 को पाहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई की।
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आतंकियों का संबंध पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा से पाया गया।
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लेकिन वैश्विक समर्थन बहुत कमजोर रहा — भारत के रणनीतिक साझेदारों ने भी पाकिस्तान का नाम लेने से परहेज़ किया।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम का श्रेय अपने व्यापार दबाव को दिया — जिसे भारत ने खारिज कर दिया।
🧠 UPSC बिंदु:
अंतरराष्ट्रीय वैधता और सूचना युद्ध आज की रणनीति के अहम उपकरण हैं।
🤝 अमेरिका से तनावपूर्ण संबंध
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भारत-अमेरिका NISAR उपग्रह लॉन्च के दिन ही अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ लगा दिया।
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ट्रंप ने इसे रूस से भारत के तेल आयात से जोड़ा — जबकि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम और केमिकल आयात करता है।
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TRF (जिन्होंने पाहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी) को अमेरिका ने FTO और SDGT घोषित किया।
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फिर भी, अमेरिका की पाकिस्तान से नजदीकी और बांग्लादेश-म्यांमार में भारत विरोधी रुख को समर्थन चिंताजनक है।
📌 भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और गठबंधन राजनीति के बीच संतुलन दबाव में है।
🌍 EU और इंडो-पैसिफिक की जटिलताएं
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EU ने रूस से संबंध रखने वाली वाडीनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाए — जबकि वह खुद रूस से तेल खरीदता रहा।
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भारत-EU मुक्त व्यापार वार्ता डिजिटल, कार्बन टैक्स और विनियामक मुद्दों पर अटक गई है।
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क्वाड की प्रभावशीलता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है — ट्रंप की आंतरिक नीतियों के कारण।
🧭 भारत की आर्थिक वृद्धि और ऊर्जा सुरक्षा अब वैश्विक सत्ता की राजनीति से उलझ चुकी है।
🐉 चीन की क्षेत्रीय चालें
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चीन, बांग्लादेश-पाकिस्तान-चीन त्रिपक्षीय वार्ता से भारत को अलग-थलग करना चाहता है।
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WWII के दौरान इस्तेमाल हुए लालमोनीहाट हवाई अड्डे को पुनर्जीवित कर रहा है — जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास है।
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चीन जिन संसाधनों को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है:
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रेयर अर्थ मेटल्स
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उर्वरक
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API (औषधि उत्पादन सामग्री)
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निर्माण उपकरण
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यारलुंग जांगबो (ब्रह्मपुत्र) पर बांध — जल सुरक्षा को खतरा।
⚠️ चीन की घेराबंदी सिर्फ भौगोलिक नहीं, बल्कि आर्थिक भी है।
🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया: बहु-संरेखण और मुखर रणनीति
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भारत ने पूर्वी एशिया के साथ संबंध मजबूत किए हैं, और प्रधानमंत्री की मालदीव यात्रा से चीन को संतुलित करने की कोशिश की है।
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BRICS, SCO जैसे मंचों से जुड़ाव बढ़ाया है और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की कोशिश जारी है।
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भारत ने यूक्रेन पर वोटिंग से परहेज किया था, लेकिन अब गाज़ा जैसे मुद्दों पर मुखर हो रहा है।
🧠 UPSC दृष्टिकोण: ऑपरेशन सिन्दूर से सबक
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वैश्विक सहानुभूति स्वतः नहीं मिलती; इसके लिए द्विपक्षीय निवेश जरूरी है।
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यदि भारत अपने मुद्दों पर समर्थन चाहता है, तो उसे वैश्विक मुद्दों पर भी भूमिका निभानी होगी।
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अब गुटनिरपेक्षता की पारंपरिक नीति की जगह रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुसार बहु-संरेखण आ चुका है।
🗃️ UPSC मुख्य परीक्षा के पिछले प्रश्न (PYQs)
वर्ष | प्रश्न |
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2022 | बदलते वैश्विक व्यवस्था में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की भूमिका की आलोचनात्मक विवेचना करें। |
2021 | भारत की पड़ोसी नीति उसके वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को कैसे प्रभावित करती है? |
2019 | BRICS और SCO जैसे क्षेत्रीय समूह भारत की विदेश नीति को कैसे आकार दे रहे हैं, का मूल्यांकन करें। |
2018 | भारत का आर्थिक विकास उसकी विदेश नीति विकल्पों पर निर्भर है — चर्चा करें। |
✍️ मुख्य उत्तर लेखन प्रारूप (GS-2)
प्रश्न:
"भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति यह मांग करती है कि वह वैश्विक संघर्षों में मौन न रहे।" — हाल की भू-राजनीतिक घटनाओं के संदर्भ में चर्चा करें।
परिचय:
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वैश्विक शक्ति-संतुलन में बदलाव और भारत की आर्थिक शक्ति में वृद्धि को रेखांकित करें।
मुख्य भाग:
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ऑपरेशन सिन्दूर, ट्रंप टैरिफ, EU प्रतिबंध जैसे हालिया उदाहरण।
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यूक्रेन, गाज़ा, ईरान-इज़राइल पर भारत का मौन।
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रणनीतिक गठबंधन की ज़रूरत।
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अगर भारत तटस्थ बना रहा तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ सकता है।
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बहु-संरेखण को एक व्यवहारिक नीति के रूप में स्वीकार करना।
निष्कर्ष:
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भारत का वैश्विक शक्ति बनने का मार्ग सक्रिय भू-राजनीतिक भागीदारी से होकर ही जाता है, तटस्थता या अलगाव से नहीं।
✅ अंतिम विचार: अब भू-राजनीति पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण क्यों है
जब प्रतिबंध, आपूर्ति श्रृंखलाएं, और टैरिफ़ हथियार बन चुके हैं — भारत को आर्थिक और कूटनीतिक खेल दोनों को चतुराई से खेलना होगा।
ऑपरेशन सिन्दूर एक मोड़ था — जिसने दिखा दिया कि अब मुखर रणनीति कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन चुकी है।
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