भारत-अमेरिका व्यापार टकराव के बीच IMEC सम्मेलन और दक्षिण एशिया में नई भू-राजनीति
✍️ Suryavanshi IAS विशेष | अंतरराष्ट्रीय संबंध | GS Paper II
🔎 प्रसंग: अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी की भारत यात्रा
4 अगस्त 2025 से शुरू हो रहे सप्ताह में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी रिकी गिल भारत आ रहे हैं। उनका उद्देश्य है — दिल्ली में आयोजित हो रहा India-Middle East-Europe Corridor (IMEC) सम्मेलन।
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब:
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अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगा दिया है (पड़ोसी देशों पर अपेक्षाकृत कम)।
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भारत-अमेरिका व्यापार समझौता तनावपूर्ण स्थिति में है।
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मध्य पूर्व में संकट IMEC परियोजना पर खतरा बनकर मंडरा रहा है।
🛤️ IMEC: भारत की रणनीतिक गलियारा योजना
IMEC की रूपरेखा:
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घोषणा: G20 सम्मेलन, नई दिल्ली, सितंबर 2023
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मार्ग: भारत → मध्य पूर्व (UAE, सऊदी अरब) → यूरोप (ग्रीस, इटली आदि)
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लाभ:
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Suez Canal के मुकाबले 40% कम ट्रांज़िट टाइम
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30% कम परिवहन लागत
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डिजिटल, ऊर्जा, रेलवे व समुद्री कनेक्टिविटी
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🌍 IMEC पर मध्य पूर्व संकट का प्रभाव
MEA (विदेश मंत्रालय) अधिकारियों ने भी माना है कि:
“मध्य पूर्व संकट इस परियोजना के लिए प्रमुख बाधा बन सकता है।”
खासकर ईरान, लेबनान, और यमन में जारी तनाव IMEC के स्थायित्व और निवेश विश्वास को प्रभावित कर सकता है।
ईरानी अधिकारियों ने तो IMEC को “राजनीतिक परियोजना” करार दिया है जो “कई भागीदारों को बाहर कर रहा है” — यानी यह चीन और ईरान के OBOR (Belt and Road Initiative) के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
💰 भारत-अमेरिका व्यापार विवाद: भू-राजनीतिक गहराई
ट्रंप द्वारा नए टैरिफ आदेश में:
देश | टैरिफ (%) |
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भारत | 25 |
म्यांमार | 40 |
पाकिस्तान | 19 |
अफगानिस्तान | 15 |
बांग्लादेश | 20 |
इंडोनेशिया | 19 |
जापान | 15 |
श्रीलंका | 20 |
📌 UPSC प्रासंगिकता
GS Paper II – अंतरराष्ट्रीय संबंध
2023 Mains प्रश्न:
“Belt and Road Initiative के संदर्भ में भारत की विदेश नीति की विवेचना कीजिए।”
2022 Mains प्रश्न:
“भारत-अमेरिका संबंधों में व्यापार विवादों का प्रभाव और समाधान खोजिए।”
2020 Essay Paper:
“भू-राजनीति और व्यापार: आज के युग की असली सीमाएं”
📈 रणनीतिक विश्लेषण: भारत को आगे क्या करना चाहिए?
1. IMEC को भूराजनीतिक टकराव से बचाना होगा
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इसे आर्थिक सहयोग मंच के रूप में प्रस्तुत किया जाए, न कि किसी गुटबंदी के हिस्से के रूप में।
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ईरान और मध्य एशिया जैसे देशों को भविष्य में शामिल करने की लचीलापन नीति बनाई जाए।
2. टैरिफ विवाद में WTO या द्विपक्षीय वार्ता का सहारा
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भारत को WTO में कानूनी उपायों की खोज करनी चाहिए।
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या अमेरिका के साथ व्यावसायिक हितों के आधार पर द्विपक्षीय वार्ता तेज़ करनी चाहिए।
3. “ईस्ट-वेस्ट कनेक्टिविटी” को बहु-ध्रुवीय बनाना
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भारत को IMEC के साथ-साथ INSTC, SAGAR, चाबहार और दक्षिण एशियाई बंदरगाह रणनीतियों पर भी ध्यान देना चाहिए।
📝 निष्कर्ष:
“व्यापार केवल लाभ नहीं, विश्वास का आधार है। और गलियारे केवल मार्ग नहीं, साझेदारी का संकेत हैं।”
भारत को ट्रंप की टैरिफ नीतियों से विचलित हुए बिना IMEC जैसे दीर्घकालिक रणनीतिक प्रोजेक्ट्स को सफल बनाना होगा। साथ ही यह भी स्पष्ट करना होगा कि भारत वैश्विक व्यापार और सहयोग का एक स्वतंत्र और स्थिर भागीदार बना रहेगा।
📌 उत्तर लेखन टिप:
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प्रस्तावना: IMEC और ट्रंप के टैरिफ आदेश का उल्लेख
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मुख्य भाग: IMEC की विशेषताएं, चुनौतियाँ, भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि
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निष्कर्ष: बहुपक्षीय सहयोग और व्यापार के संतुलन की आवश्यकता
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