भारत–UK CETA समझौता और बौद्धिक संपदा अधिकार: भारत की रणनीति में बदलाव?
लेखक: Suryavanshi IAS
UPSC अभ्यर्थियों हेतु | GS पेपर 2 और 3 | प्रीलिम्स और मेन्स के लिए उपयोगी
📌 क्यों चर्चा में है?
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हो रहे Comprehensive Economic and Trade Agreement (CETA) में एक विवादास्पद अनुच्छेद है – अनुच्छेद 13.6: "Understandings Regarding TRIPS and Public Health Measures"।
यह अनुच्छेद कहता है कि:
"दवाओं तक पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए स्वैच्छिक लाइसेंसिंग (Voluntary Licensing) को प्राथमिक और सर्वोत्तम रास्ता माना जाता है।"
इससे भारत की दो पारंपरिक रणनीतियों को कमजोर किया गया है:
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Compulsory Licensing के पक्ष में रुख।
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विकासशील देशों को अनुकूल शर्तों पर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की माँग।
📚 UPSC सिलेबस से संबद्धता
पेपर | विषय | उपविषय |
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GS Paper 2 | अंतरराष्ट्रीय संबंध | भारत के व्यापार समझौते, IPR नीति |
GS Paper 2 | शासन और नीति | स्वास्थ्य नीति, सार्वजनिक स्वास्थ्य |
GS Paper 3 | विज्ञान और तकनीक | बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), TRIPS |
GS Paper 3 | अर्थव्यवस्था | अंतरराष्ट्रीय व्यापार, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, दवाओं तक पहुंच |
⚖️ Compulsory vs Voluntary Licensing: भारत का पक्ष
✅ Compulsory Licensing (अनिवार्य लाइसेंसिंग):
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किसी दवा की कीमत बहुत अधिक होने पर सरकार तीसरे पक्ष को बिना अनुमति के उत्पादन की अनुमति दे सकती है।
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2012: भारत ने Natco Pharma को Bayer की महंगी कैंसर दवा sorafenib tosylate के लिए Compulsory License दिया।➤ कीमत ₹2,80,000 से घटकर ₹8,800 हुई।
❌ Voluntary Licensing (स्वैच्छिक लाइसेंसिंग):
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बड़ी कंपनियां सीमित शर्तों के साथ ही लाइसेंस देती हैं।
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भारत जैसे देशों की फार्मा कंपनियां सौदेबाज़ी में कमजोर होती हैं।
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उदाहरण: Cipla ने Gilead से Remdesivir के लिए स्वैच्छिक लाइसेंस लिया, पर भारत में कीमत अमेरिका से अधिक थी (PPP के अनुसार)।
🔬 TRIPS और Doha Declaration
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2001 Doha Declaration: WTO में भारत और विकासशील देशों को यह अधिकार मिला कि वे आवश्यकतानुसार Compulsory Licensing जारी कर सकते हैं।
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CETA में यह स्थिति कमजोर हुई है क्योंकि अब भारत Voluntary Licensing को प्राथमिक मान रहा है।
🌍 टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की माँग पर प्रभाव
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भारत 1974 के NIEO प्रस्ताव से ही मांग करता रहा है कि विकसित देश विकासशील देशों को "अनुकूल शर्तों पर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर" दें।
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जलवायु परिवर्तन पर भी भारत लगातार कहता रहा है कि IPR एक बाधा है।
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2024 की भारत की UNFCCC रिपोर्ट में कहा गया कि "धीमी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर" और IPR बाधाएं पर्यावरण तकनीक के तेजी से उपयोग में रोड़े हैं।
अब CETA के चलते यह नैतिक स्थिति कमजोर हो गई है।
🧠 मुख्य परीक्षा (Mains) से जुड़ी चर्चा
GS Paper 2:
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भारत के व्यापार समझौतों का IPR नीति पर प्रभाव।
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वैश्विक स्वास्थ्य न्याय और भारत की भूमिका।
GS Paper 3:
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TRIPS और Doha Declaration की भूमिका।
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Compulsory Licensing vs Voluntary Licensing: सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव।
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टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और जलवायु न्याय।
📝 मेन्स अभ्यास प्रश्न
🔍 पिछले वर्षों के प्रीलिम्स प्रश्न (2016–2023)
❓ Q1. WTO के TRIPS समझौते का मुख्य उद्देश्य क्या है? (UPSC Prelims 2017)
❓ Q2. TRIPS और Doha Declaration के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है? (UPSC Prelims 2020)
❓ Q3. भारत की IP नीति का उद्देश्य क्या है? (UPSC Prelims 2016)
🧾 निष्कर्ष
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भारत-UK CETA समझौता भारत की पारंपरिक रणनीति से हटकर है।
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Voluntary Licensing को प्राथमिकता देने से Compulsory Licensing की ताकत कमजोर होती है।
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इससे न केवल सस्ती दवाओं तक पहुंच, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता और जलवायु न्याय की मांग पर भी असर पड़ सकता है।
📍 Suryavanshi IAS की सलाह:
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TRIPS, Doha Declaration, और भारत की IP नीति के विषय को मेन्स व प्रीलिम्स दोनों के लिए ध्यानपूर्वक पढ़ें।
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इन मुद्दों को "स्वास्थ्य, नवाचार, और वैश्विक न्याय" के साथ जोड़कर उत्तर लिखें।
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